स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा से अलग होने के बाद भी पार्टी के प्रति वफादारी दिखाने के लिए अमरनाथ मौर्य को अखिलेश यादव ने बड़ा इनाम दिया है। भाजपा के पटेल उम्मीदवार के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने फूलपुर लोकसभा से मौर्य उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया।
यह पहला मौका है कि समाजवादी पार्टी ने फूलपुर लोकसभा से किसी मौर्य उम्मीदवार को मैदान में उतारा।
सहकारी बैंक में अध्यक्ष रहे अमर नाथ मौर्य को समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया था। तब उन्होंने अपना नामांकन भी कर दिया, लेकिन बाद में सपा ने रिचा सिंह को अपना प्रत्याशी बना दिया।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी नेताओं में गिने जाने वाले अमरनाथ मौर्य को विधानसभा चुनाव के दौरान ही आश्वस्त किया गया था कि पार्टी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी जरूर सौंपेंगी। इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य भी सपा से अलग हो गए, लेकिन अमर नाथ मौर्य ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के प्रति ही अपनी निष्ठा दिखाई।
इसका उन्हें रविवार को पुरस्कार भी मिल गया। उन्हें फूलपुर लोकसभा से सपा का प्रत्याशी घोषित किया गया। दोपहर ही में सपा के सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर इसकी जानकारी आ गई थी। अमर नाथ मौर्य लखनऊ में थे। इस वजह से तमाम नेताओं एवं पदाधिकारियों ने उन्हें फोन पर ही बधाई दी।
बता दें अमरनाथ मौर्य शहर के जयंतीपुर, प्रीतम नगर मोहल्ले के निवासी हैं। वह पूर्व में सहकारी बैंक प्रयागराज एवं कौशाम्बी के निर्विरोध अध्यक्ष रहें हैं। 4 अगस्त 1969 को जन्मे अमरनाथ मौर्य ने बी, एलएलबी तक शिक्षा ग्रहण की है। पेशे से वह व्यवसायी हैं। उनका ट्रांसपोर्ट आदि का बिजनेस है। सपा मीडिया प्रभारी दान बहादुर मधुर ने बताया कि 14 जनवरी 22 को समाजवादी पार्टी के लखनऊ कार्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। उसके पूर्व वह भाजपा में थे। वर्तमान में समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव एवं शहर पश्चिमी के प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
सपा ने फूलपुर लोकसभा सीट से अमरनाथ मौर्य को टिकट देकर मौर्य समाज की नाराजगी दूर करने का भी प्रयास किया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट देने के बाद अमरनाथ मौर्य की जगह बाद में डा. ऋचा सिंह को इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से पार्टी ने अपना उम्मीदवार बना दिया था। तब अमरनाथ मौर्य भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे। हालांकि, चुनाव हारने के बाद डा. ऋचा सिंह ने भाजपा का भले ही दामन थाम लिया हो लेकिन अमरनाथ सपा में ही रहे। अब उन्हें टिकट देकर सपा ने मौर्य मतदाताओं को विकल्प देने के साथ अपनी पीडीए ( पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) एजेंडे को भी धार दी है।
यूं तो फूलपुर लोकसभा सीट कुर्मी बाहुल्य है। हालांकि, यहां मौर्य वोटर भी सवा लाख के आसपास है। सपा यहां आश्वस्त है कि उसके मुस्लिम और यादव वोट कहीं भी नहीं छिटकने वाले। फूलपुर लोकसभा की सोरांव, फाफामऊ एवं फूलपुर विधानसभा सीट पर भी सपा अपने को मजबूत मानकर चल रही है। वहीं उत्तरी विधानसभा की बात करें तो वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां पार्टी प्रत्याशी संदीप यादव दूसरे नंबर पर आए थे।
शहर पश्चिम में भी सपा दूसरे स्थान पर रही। शहर की इन दोनों सीटों पर भी सपा को भरोसा है कि उसे यहां उसके परंपरागत वोट तो मिलेंगे। सपा ने अपने पीडीए एजेंडे के तहत प्रयागराज से सटे जौनपुर में बाबू सिंह कुशवाहा, प्रतापगढ़ में एसपी सिंह पटेल को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है। अब फूलपुर से अमरनाथ मौर्य को टिकट देकर यह दिखा दिया है कि पीडीए को लेकर वह कितनी गंभीर है।
सपा उम्मीदवार अमरनाथ मौर्य बसपा में भी रह चुके हैं। इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से उन्होंने 2002 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। तब अतीक अहमद ने अपना दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता था, जबकि सपा गोपाल दास यादव दूसरे एवं अमरनाथ मौर्य तीसरे स्थान पर आए। इनके पिता बद्री प्रसाद प्रधानाध्यापक थे। पत्नी चंद्रावती कौशाम्बी के रतवारा ग्राम की ग्राम प्रधान रह चुकी है। इनकी तीन बेटियां आराधना, उपासना एवं कल्पना है। अमरनाथ मौर्य के दो बेटे अभय प्रताप एवं अखिलेंद्र प्रताप हैं।