केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के विधायक अभय सिंह को Y-कैटेगरी की सुरक्षा देने का आदेश जारी किया है. इसके बाद अभय सिंह का नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है. दरअसल अभय सिंह वही नेता हैं, जिन पर समाजवादी पार्टी का विधायक होने के बावजूद पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को वोट देने के आरोप लगे थे. अब अभय सिंह की सुरक्षा मजबूत किए जाने के बाद एक बार फिर इस क्रॉस वोटिंग की चर्चा शुरू हो गई है.
गोसाईंगंज सीट से विधायक हैं अभय सिंह
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के नेता अभय सिंह उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने बसपा से जुड़कर राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी, लेकिन बाद में सपा जॉइन कर ली थी. अभय सिंह साल 2022 के विधानसभा चुनाव में गोसाईंगंज सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बने थे. उन्होंने भाजपा उम्मीदवार आरती तिवारी को करीब 13 हजार वोट से हराया था. इससे पहले साल 2012 में भी उन्होंने इसी सीट से आरती तिवारी के पति व बाहुबली नेता इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को हराकर चुनाव जीता था. साल 2017 में उन्हें खब्बू तिवारी से हार का सामना करना पड़ा था.
पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के हैं दूर के रिश्तेदार
24 मई, 1974 को जौनपुर में जन्मे अभय सिंह के पिता का नाम भगवानबख्श सिंह है. अभय सिंह का परिवार खुद को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह का दूर का रिश्तेदार भी बताता है. 1994 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से स्नातक करने वाले अभय सिंह पेशे से कृषि विशेषज्ञ हैं. अभय सिंह की पत्नी का नाम सरिता सिंह है. उनके 2 बेटियां और 1 बेटा है.
माफिया मुख्तार अंसारी का माना जाता था दाहिना हाथ
अभय सिंह को पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं में गिना जाता था. उन्हें माफिया डॉन व पूर्व सांसद मुख्तार अंसारी का दाहिना हाथ भी कहा जाता था. यह भी कहा जाता है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से प्रदेश की राजनीति तक का सफर अभय सिंह ने मुख्तार के संरक्षण में ही तय किया था.
जेलर आरके तिवारी से भाजपा MLA कृष्णानंद राय की हत्या तक में चर्चित
लखनऊ के जेलर आरके तिवारी की राजभवन के सामने गोली मारकर हत्या करने के मामले में अभय आरोपी रह चुके हैं. लखनऊ जेल में अभय और तिवारी के बीच विवाद हुआ था.
इसके बाद भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में भी अभय सिंह का नाम तब चर्चा में रहा, जब उनका और मुख्तार अंसारी की बातचीत का एक कथित ऑडियो वायरल हुआ था. इस ऑडियो में मुन्ना बजरंगी द्वारा राय की हत्या के बाद उनकी चोटी काटने का जिक्र था.
अभय सिंह पर परिवार कल्याण विभाग के CMO विनोद आर्या की हत्या का भी आरोप लगा था. पुलिस ने अभय को मुख्य साजिशकर्ता बताया था. हालांकि CBI जांच में भी अभय को क्लीन चिट मिल गई थी. अभय पर पूर्वांचल के तमाम सरकारी ठेकों में दबंगई दिखाने के भी आरोप लगते रहे हैं.
अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करने पर बिगड़ी थी अखिलेश से बात
अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने के बाद अभय सिंह वहां दर्शन करने पहुंचे थे. अभय सिंह विधायकों के उस दल में शामिल थे, जो विधानसभा अध्यक्ष के आमंत्रण पर अयोध्या पहुंचे थे. उस समय सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि सपा उद्घाटन के बाद रामलला के दर्शन करेगी. माना जाता है कि अखिलेश के मना करने पर भी अभय सिंह के राम मंदिर जाने के कारण ही उनके बीच बात बिगड़ी थी और अभय सिंह के भाजपा से रिश्ते सुधरे थे. अभय सिंह ने इसके बाद ही राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था. इसके लिए उन्होंने कहा भी था कि यह वोट अंतरात्मा की आवाज पर दिया गया है.
रिपोटर – अर्पित यादव