भारतीय जनता पार्टी ने अलग- अलग प्रदेशों की कुल 195 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस अभी यात्रा पर है। सुना है कांग्रेस के कई संभावित उम्मीदवार चुनाव लड़ने में संकोच कर रहे हैं। कुल मिलाकर राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह फ़ार्मूला दिया था कि चुनाव घोषित होने से कम से कम तीन महीने पहले सौ प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएँगे ताकि प्रत्याशियों को ज़्यादा से ज़्यादा वक्त मिल सके।
इस फ़ार्मूले पर खुद कांग्रेस और अशोक गहलोत ही अमल नहीं कर पाए थे जबकि भाजपा ने कांग्रेस से पहले ज़्यादा प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। यही हाल लोकसभा चुनाव में भी है। भारतीय जनता पार्टी लगभग दो सौ प्रत्याशियों को मैदान में उतार चुकी है लेकिन कांग्रेस और उसके प्रत्याशियों का अब तक कोई अता- पता नहीं है। कांग्रेस के टिकटों का बहुत हद तक निर्णय करने वाले या इन मामलों में दखल रखने वाले राहुल गांधी फ़िलहाल यात्रा पर निकले हुए हैं।
जहां- जहां यात्रा जा रही है वहाँ के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और नेता खुली जीप पर राहुल के साथ खड़े होकर नंबर बढ़ाने में लगे हुए हैं। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं लेकिन लगता है, इसकी किसी को पड़ी नहीं है। खुद राहुल गांधी को भी नहीं। लगता है कांग्रेस पहले से ही हार मान चुकी है। यही वजह है कि अबकी बार, चार सौ पार के भाजपा के नारे ने आने वाले इस लोकसभा चुनाव को बहुत हद तक एकतरफ़ा कर दिया है।एकतरफ़ा होने की संभावना ने ही इन चुनावों को आम लोगों के लिए नीरस या कम रुचिकर भी बना दिया है।
दरअसल, कांग्रेस को जिस इंडिया गठबंधन पर भरोसा था वह लगभग बिखर चुका है या कहना यह चाहिए कि भाजपा की रणनीति ने इंडिया गठबंधन को बुरी तरह तहस- नहस कर दिया है। ऊपर से उत्तर प्रदेश के मेरठ क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले राष्ट्रीय लोकल को भाजपा ने अपने पक्ष में कर लिया सो अलग।
इस राष्ट्रीय लोकल को फ़िलहाल चौधरी चरण सिंह के पोते संभाल रहे हैं। बहरहाल भाजपा ने जो टिकट घोषित किए हैं, वे सूझबूझ के साथ किए हैं। साध्वी प्रज्ञा सहित कई बड़ों के टिकट काटे भी गए हैं। कुछ नए चेहरे भी उतारे गए हैं। यानी जीत को पक्का करने वाले उम्मीदवारों को ही अब तक मैदान में उतारा गया है।
मध्यप्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टिकट देकर उनके राजनीतिक पुनर्वास का रास्ता निकाला गया है। समझा जाता है केंद्र में उन्हें मंत्री या संगठन में कोई बड़ा पद देकर संतुष्ट किया जाएगा। टिकटों को लेकर कांग्रेस की रणनीति क्या होगी, फ़िलहाल किसी को पता नहीं है।