अफगानिस्तान की धरती पर तालिबान के शासन में 33 साल की रोया अजीमी 2022 से लड़कियों के लिए अंडरग्राउंड स्कूल चला रही हैं। उनके साथ 6 अन्य महिलाएं 9 से 18 साल की करीब 150 लड़कियों को पढ़ाती हैं।
एक बार तालिबान की धार्मिक मामलों की समिति के लोगों ने स्कूल में घुसने की कोशिश भी की थी। लेकिन आस-पड़ोस के पुरुषों ने इसे सिर्फ लड़कियों का सिलाई स्कूल बताकर उन्हें रोक लिया। इसके बाद रोया को स्कूल बंद करना पड़ा था। लेकिन यह जानते हुए कि वे कभी भी पकड़ी जा सकती हैं, उन्होंने स्कूल शुरू किया। पकड़े जाने पर दूसरी बैक-अप इमारत ढूंढ रखी है। इतने जोखिमों के बाद भी रोया का कहना है कि वह डरी नहीं हैं। वे कहती हैं- पढ़ाना धर्म, विश्वास, संस्कृति या लोगों के विरुद्ध नहीं है। यह गर्व का काम है।
खुद रोया को भी शिक्षा पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। रोया के चाचा नहीं चाहते थे कि वे पढ़ाई करें। रोया की मां ने चाचा को राजी करवाया और हमेशा बुरका पहने रखने की शर्त पर उन्हें पढ़ाई करने की छूट मिली। रोया ने फारसी साहित्य में पढ़ाई की है।
अफगानिस्तान की तस्वीर 2021 में बदलना शुरू हुई। 15 अगस्त 2021 को तालिबान यहां दोबारा काबिज हुआ था। सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने कठोर इस्लामी शासन से राहत देने की बात कही थी। फिर भी महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए गए।
21 दिसंबर 2022 को सरकार ने लड़कियों की शिक्षा पर बैन लगा दिया था। महिलाओं को सरकारी नौकरियों में जाने नहीं दिया गया। महिलाओं के अकेले लंबी यात्रा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। महिलाएं केवल उसी तय दिन पब्लिक गार्डन और पार्कों में जा सकती हैं,जिस दिन पुरुष वहां नहीं जाते। मई 2022 में अफगानिस्तान के सुप्रीम लीडर और तालिबान चीफ हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर खुद को पूरी तरह से ढंकने का आदेश दिया था।पिछले साल यानी जनवरी 2023 में इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) का एक डेलिगेशन काबुल पहुंचा था। OIC मेंबर्स अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत पर वुमन एजुकेशन शुरू करने का दबाव डाल रहे थे।
तालिबान हुकूमत ने OIC के मेंबर कंट्रीज से कहा दिया कि उन्हें इस मामले में सब्र से काम लेना चाहिए। तालिबान हुकूमत और OIC डेलिगेशन के बीच महिला शिक्षा को लेकर कोई डील नहीं हो सकी।