उत्तर प्रदेश की खाली हुई 10 राज्यसभा की सीटों पर भाजपा ने अपने सात उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया

भाजपा ने उत्तर प्रदेश की खाली हुई 10 राज्यसभा की सीटों पर अपने सात उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया था। आज यह सातों उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करेंगे। इन सातों उम्मीदवारों के बदौलत बीजेपी उत्तर प्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर जाति और क्षेत्रीय समीकरण साधेगी। यूपी के जिन 10 सीटों पर राज्यसभा का चुनाव होना है उनमें से अभी तक 9 सीटें बीजेपी के पास और एक सीट सपा के पास थी।
भाजपा द्वारा ऐलान किए गए सात राज्यसभा सदस्यों मैं सिर्फ सुधांशु त्रिवेदी को ही दोबारा मौका दिया गया है। सुधांशु त्रिवेदी लखनऊ के रहने वाले हैं और यह भी माना जा रहा है कि दूसरी बार इनको मौका देने के के पीछे बीजेपी का ब्राह्मण मैनेजमेंट है।
हाल ही में बीजेपी ने विधानसभा परिषद के सदस्य कि ब्राह्मण कोटे से खाली हुई सीट पर दारा सिंह चौहान को जगह दी थी। वह एक अति पिछड़े समुदाय से आते हैं। अब इस सीट को मैनेज करने के लिए बीजेपी एक बार फिर से सुधांशु त्रिवेदी जो कि एक ब्राह्मण चेहरा हैं, उन्हें मौका दे रही है। लखनऊ में लगभग 6 लाख से अधिक ब्राह्मण वोटर हैं।
लिस्ट में दूसरा बड़ा नाम आरपीएन सिंह का है। जिन्हें भाजपा ने राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। 2022 लोकसभा चुनाव से पहले आरपीएन सिंह ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा का हाथ थामा था। आरपीएन सिंह सैथवार कुर्मी जाति से आते हैं। पूर्वी यूपी के कद्दावर नेताओं में इनकी गिनती होती है। पूर्वांचल के कई जिलों में आरपीएन सिंह की जाति के अच्छा खासा वोट बैंक है।
बीजेपी ने 2022 लोकसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के काउंटर के तौर पर आरपीएन सिंह को पार्टी में शामिल किया था। आरपीएन सिंह पडरौना सीट से (1996,2002 और 2007) कांग्रेस के सिंबल पर तीन बार विधायक भी रह चुके है। 2009 लोकसभा चुनाव में आरपीएन सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को हराकर संसद पहुंचे और गृह राज्य मंत्री बने।
सिर्फ कुशीनगर बल्कि गोरखपुर, देवरिया और बस्ती में सैंथवार कुर्मी निर्णायक भूमिका में है। पडरौना में वैसे तो सैथवार बिरादरी के लगभग 50 हजार वोटर ही हैं। लेकिन आरपीएन सिंह का दबदबा कुशीनगर से सटे कई जनपदों में भी है। शायद यही कारण है कि भाजपा ने आरपीएन सिंह को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है।
बीजेपी के संगठन में लंबे समय से कार्यरत अमरपाल मौर्य मौजूदा समय में संगठन के प्रदेश महामंत्री के पद पर तैनात हैं। अमरपाल मौर्य भी पिछड़ी जाति से ही आते हैं और 2022 विधानसभा चुनाव में रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा सीट से लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
लेकिन बीजेपी ने अमरपाल मौर्य को राज्यसभा का सदस्य बनाकर रायबरेली सीट पर लोकसभा चुनाव में मौर्य समाज को साधने की तैयारी की है। रायबरेली जातीय और क्षेत्रीय समीकरण देखे तो ठाकुर ब्राह्मण,यादव और मौर्य समाज की अच्छी खासी आबादी है। यही वजह थी कि एक बार स्वामी प्रसाद मौर्य भी यहां से चुने गए थे और फिर उन्होंने अपने बेटे उत्कर्ष मौर्य को भी यही से लड़ाया था।
जाट बिरादरी से आने वाले तेजवीर सिंह मथुरा के रहने वाले हैं और 3 बार भाजपा के सांसद भी रह चुके हैं। अब बीजेपी चौधरी तेजवीर सिंह के जरिए जाट बिरादरी को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। मुरादाबाद के भूपेंद्र चौधरी को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त करने के पीछे भी यही कारण था।
दूसरी तरफ चर्चा यह भी है कि अब बीजेपी और आरएलडी का भी गठबंधन होना तय है। जिससे पूरे पश्चिम और ब्रज क्षेत्र में जाट बेल्ट को मजबूती मिलेगी। जाटों के बीच अपने विश्वास को और भी ज्यादा प्रखर बनाने के लिए बीजेपी ने चौधरी तेजवीर सिंह को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है।
पूर्वांचल के गाजीपुर से आने वाली संगीता बलवंत को बीजेपी ने राज्यसभा के प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया है। संगीता बलवंत बिंद-मल्लाह समाज से आती हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें पहली बार सदर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था। जहां भारी वोटों से उन्होंने जीत भी हासिल की थी।
2022 विधानसभा चुनाव में बिंद समाज की नाराजगी की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब डॉ. संगीता बलवंत को राज्यसभा प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने इस समाज को साधने की पूरी तैयारी की है। बीजेपी ने गाजीपुर में डेढ़ लाख से ज्यादा बिंद वोटर के साथ ही पिछड़ी जाति के वोटरों को भी साधने का प्रयास किया है।
चंदौली जिले से आने वाली साधना सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में प्रत्याशी के तौर पर चुना है। साधना सिंह मुगलसराय विधानसभा सीट से विधायक भी रही हैं, लेकिन बीजेपी ने 2022 में उनका टिकट काट दिया था। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अब उन्हें राज्यसभा भेजकर उनके क्षेत्र के मतदाताओं को साधने की फिराक में है। वैसे साधना सिंह क्षत्रिय बिरादरी से आती है और अपने क्षेत्र में साधना की अच्छी पकड़ है।
बीजेपी के पूर्व कोषाध्यक्ष रहे नवीन जैन को राज्यसभा सदस्य के प्रत्याशी के रूप में चुना गया है। जैन आगरा के पूर्व महापौर भी रह चुके हैं और लंबे समय से पार्टी के विचारधारा से जुड़े हुए है। नवीन जैन ने बीजेपी में रहते हुए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी निभाई है। नवीन जैन का फतेहपुर सीकरी की लोकसभा सीट पर भी अच्छी पकड़ है। क्योंकि नवीन जैन एक बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक भी है इसलिए उनका व्यापारियों के बीच में भी बहुत अच्छी पकड़ है यही कारण है कि भाजपा ने उनके राज्यसभा के सदस्य का प्रत्याशी चुना है।