अमेरिका ने शनिवार सुबह इराक और सीरिया में 85 ईरानी ठिकानों पर हमला किया। ये अटैक 5 दिन पहले जॉर्डन-सीरिया बॉर्डर पर ड्रोन हमले में तीन सैनिकों की मौत के जवाब में किया गया।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिकी सेना ने एक बयान में कहा कि उसके लड़ाकू विमानों ने शनिवार सुबह इराक और सीरिया में ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) और उनके समर्थित मिलिशिया से जुड़े 85 ठिकानों पर जवाबी हवाई हमले किए।
इस दौरान 7 जगहों (4 सीरिया, 3 इराक) पर मिसाइलें दागी गईं। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन स्टोरेज साइट के साथ-साथ इंटेलिसजेंस ठिकानों को निशाना बनाया।
अमेरिकी एयरस्ट्राइक के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा- अमेरिकी सैन्य बलों ने इराक और सीरिया में उन ठिकानों को निशाना बनाया जिनका उपयोग IRGC और उनके समर्थित मिलिशिया अमेरिकी बलों पर हमला करने के लिए करते हैं। हमने आज जवाब देने शुरू कर दिया है। ये जारी रहेगा।
उन्होंने कहा- अमेरिका मिडिल ईस्ट या दुनिया में कहीं भी संघर्ष नहीं चाहता है। लेकिन वे सभी जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, उन्हें यह जान लेना चाहिए कि यदि वे किसी अमेरिकी को नुकसान पहुंचाते हैं, तो हम जवाब देंगे। वहीं, अमेरिका रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा- यह तो बस शुरुआत है।
28 जनवरी को जॉर्डन-सीरिया बॉर्डर पर बने अमेरिकी बेस- टावर 22 पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला हुआ था। इसमें 3 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे और कई घायल हुए थे। इजराइल-हमास जंग के बीच ऐसा पहली था जब 3 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई।
अमेरिका ने इस हमले के पीछे ईरान के समर्थन वाले गुट को जिम्मेदार ठहराया था। तब से राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य टॉप अमेरिकी नेता लगातार चेतावनी दे रहे थे कि अमेरिका मिलिशिया पर जवाबी हमला करेगा। इसके बाद 2 जनवरी को बाइडेन ने सीरिया और ईराक में बने ईरानी ठिकानों पर हमले का प्लान अप्रूव किया। 3 जनवरी की सुबह अमेरिकी सेना ने हमला कर दिया।
अमेरिकी बेस पर हमले से पहले ईरान ने इजराइल पर सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक इमारत पर हमला करने का आरोप लगाया था। ईरानी मीडिया IRNA के मुताबिक, इसमें 5 लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में ईरान के 4 मिलिट्री एडवाइजर और सीरिया में ईरानी सेना का चीफ इंटेलिजेंस ऑफिसर शामिल था। इसके बाद ईरान ने बदला लेने की धमकी दी थी।
इजराइल-हमास जंग अब मिडिल ईस्ट में फैलने लगी है। ईरान और अमेरिका सीधे न लड़कर सीरिया और ईराक जैसे देशों का सहारा ले रहे हैं। जो पहले से ही आतंक की गिरफ्त में हैं। 7 अक्टूबर को इजराइल-हमास जंग शुरू होने के बाद इराक-सीरिया में अमेरिका पर 140 से ज्यादा बार हमला हुआ है।
इराक के प्रधानमंत्री अल सुदानी ने अपने देश में और अमेरिकी सैनिकों के घुसने पर पाबंदी लगा दी थी। सुदानी ने कहा था कि अमेरिकी सैनिकों को इराक से निकालने के लिए एक समय सीमा तय करने की जरूरत है।
दरअसल, सूदानी नहीं चाहते की ईरान और अमेरिका की दुश्मनी से उनके देश में कोई नई जंग छिड़ जाए। सुदानी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ये हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है कि कुछ देश आपसी लड़ाई के बीच हमारी जमीन का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।