अमेरका के अलबामा राज्य में एक शख्स केनेथ स्मिथ को नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा दी गई है। स्मिथ ने इस सजा से बचने के लिए गुरुवार देर रात अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में लास्ट मिनट अपील की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद अमेरिका में नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा दिए जाने का ये पहला मामला है। स्मिथ को 1988 में हुई एक हत्या का दोषी पाया गया था। एक पादरी ने स्मिथ से अपनी पत्नी की हत्या कराई थी। 2022 में स्मिथ को जहरीला इंजेक्शन देकर सजा देने की कोशिश की गई, लेकिन वो बच गया था।
नाइट्रोजन गैस से सजा-ए-मौत का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि इसे बिना दर्द हुए जान जाती है। जबकि UN और दूसरे एक्सपर्ट्स का मानना है कि नाइट्रोजन गैस से इंसान तड़प-तड़प कर मरता है।
अलाबामा के जेल अधिकारियों के मुताबिक सबसे पहले स्मिथ को एक चेंबर में ले जाकर स्ट्रैचर पर बांधा गया। उसके मूंह पर एक इंडस्ट्रियल मास्क पहनाया गया, इसमें नाइट्रोजन गैस छोड़ी गई।
इसे सूंघते ही ये गैस पूरे शरीर में फैल गई और शरीर के सारे हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया। इससे स्मिथ की मौत हो गई।
मास्क पहना कर नाइट्रोजन गैस सूंघाने से उल्टी भी हो सकती है, इससे मौत की सजा देने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। स्मिथ के वकील ने भी ये दलील दी थी। इससे बचने के लिए जेल अधिकारियों ने स्मिथ को सुबह दस बजे के बाद कुछ भी खाने को नहीं दिया।
नाइट्रोजन गैस सुंघा कर मौत की सजा देना, मूंह को प्लास्टिक से ढककर जान लेने जैसा है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें नाइट्रोजन की बजाय कार्बन डाइऑक्साइड से मौत होती है।
58 साल का स्मिथ उन दो लोगों में से एक था, जिस पर 18 मार्च 1988 को एलिजाबेथ सेनेट नाम की एक महिला का मारने का दोषी पाया गया था। एलिजाबेथ का पति चार्ल्स सेनेट सीनियर एक चर्च में पादरी था। वो एलिजाबेथ की मौत के बाद इंश्योरेंस का पैसा हड़पना चाहता था।
अपनी पत्नी की हत्या के लिए पादरी चार्ल्स ने स्मिथ और जॉन फोरेस्ट पार्कर को 1000 यूएस डॉलर दिए थे। पार्कर को दोषी पाया जाने के बाद 2010 में जहरीला इंजेक्शन देकर मौत की सजा दे दी गई थी।
स्मिथ ने दावा किया था कि वो उस जगह मौजूद जरूर था, जहां हत्या हुई लेकिन उसका हत्या में कोई हाथ नहीं था। हालांकि, 1996 में उसे सजा-ए-मौत सुना दी गई।
अमेरिका में 1980 के दशक से जहरीला इंजेक्शन देकर सजा-ए-मौत दी जा रही है। इससे हार्ट काम करना बंद कर देता है। हालांकि, कई राज्यों में इस तरीके से एक समस्या देखी जा रही है। दोषियों को इंजेक्शन देने वाले लोगों को उनकी नसें ही नहीं मिलती। ऐसा ही स्मिथ के केस में भी हुआ था।