शायर मुनव्वर राणा का दिल का दौरा पड़ने की वजह से रविवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने 71 साल की उम्र में लखनऊ में अंतिम सांस ली। उन्हें लंबे समय से किडनी की बीमारी थी। वे मां पर लिखी गईं अपनी शायरियों की वजह से आम लोगों में खूब लोकप्रिय थे।
पिछले 2 साल से उनकी किडनी खराब होने के कारण डायलिसिस चल रही थी। साथ में फेफड़ों की गंभीर बीमारी सीओपीडी से भी परेशान थे। 9 जनवरी को हालत खराब होने पर पीजीआई के आईसीयू वॉर्ड में एडमिट किया गया था। उनकी बेटी सुमैया राणा ने मौत की पुष्टि की है।
मुनव्वर राणा की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उनके बेटे उन्हें दिल्ली एम्स में शिफ्ट करने वाले थे। उन्होंने शनिवार को दिल्ली एम्स के डॉक्टर से बातचीत कर मुनव्वर को शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी थी। इसी बीच मुनव्वर के निधन की सूचना के बाद वे दिल्ली से लखनऊ के लिए रवाना हो गए हैं।
बेटे तबरेज के आने के बाद ही मुनव्वर राणा का शव अस्पताल से उनके लखनऊ के घर पर ले जाया जाएगा। रायबरेली में उनको सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
गॉल ब्लेडर में इन्फेक्शन की वजह से पिछले साल मई में उनका ऑपरेशन किया गया था। उसके बाद वह काफी समय वेंटिलेटर पर रहे। वे बीपी और शुगर के भी पेशेंट थे। उनके निधन की सूचना के बाद उनके घर पर लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई।
मुनव्वर का कई सालों से डायलिसिस किया जा रहा था। साल 2017 में भी सीने में दर्द की शिकायत हुई थी। लंग्स और गले में भी इन्फेक्शन था। इसके बाद इन्हें लखनऊ के SGPGI में भर्ती कराया गया था। किडनी की समस्याओं के चलते दिल्ली में भी उनका इलाज चल रहा था।
मुनव्वर को साल 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। हालांकि, साल 2015 में असहिष्णुता बढ़ने के नाम पर अवॉर्ड वापस कर दिया था। वहीं, किसानों के आंदोलन के दौरान उन्होंने कहा था कि संसद भवन को गिराकर वहां खेत बना देना चाहिए।
साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मुनव्वर राणा का नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गया था। इसके चलते वह वोट नहीं डाल पाए थे। राणा ने कहा था कि मेरा वोटर लिस्ट में नाम नहीं है। इसलिए मैं वोट डालने नहीं जा पाऊंगा। राना लखनऊ के कैंट विधानसभा के वोटर थे।
मुनव्वर ने RSS की तुलना तालिबान से की थी। उन्होंने अफगानिस्तान के हालात को भारत से बेहतर बताया था। राणा ने तालिबान की तुलना RSS, BJP और बजरंग दल से की। उनके बयान पर अब विवाद शुरू हो गया था।
अफगानिस्तान से ज्यादा क्रूरता तो हिंदुस्तान में है। बताया कि भारत में बजरंग दल, BJP और RSS सब एक हैं। 1000 साल पुराना इतिहास उठाकर देख लीजिए, अफगानियों ने कभी हिंदुस्तान को धोखा नहीं दिया है।
मुनव्वर राणा अक्सर विवादों में रहते थे। राम मंदिर पर फैसला आने के बाद उन्होंने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर सवाल उठा दिया था। वहीं, किसानों के आंदोलन के दौरान उन्होंने कहा था कि संसद भवन को गिराकर वहां खेत बना देना चाहिए।
यूपी चुनाव में पाकिस्तान-पलायन और जिन्ना जैसे शब्द चर्चा में थे। उसी बीच शायर मुनव्वर राणा ने एक चैनल से इंटरव्यू में कहा था, ‘वर्तमान सरकार पलायन-पलायन रट रही है, लेकिन भाजपा सरकार में मुसलमानों में इतना खौफ है कि कोई बोल नहीं सकता है। अगर फिर भी ओवैसी की मदद से भाजपा की सरकार आ जाती है तो हमें यहां रहने की जरूरत नहीं है, मैं यहां से पलायन कर लूंगा’।
मुनव्वर राणा ने कहा था कि जनता असल मुद्दों पर गौर करके वोट डालेगी। जिन्ना और पाकिस्तान से चुनाव का क्या लेना देना? ये करके किसी पार्टी को कुछ हासिल नहीं होने वाला है। करीब 6 महीने पहले हमने कहा था कि अगर ओवैसी की वजह से यूपी में बीजेपी सरकार फिर से आती है तो हम पलायन कर जाएंगे, जिसके बाद हमें परेशान किया गया। हमारे ऊपर कई FIR दर्ज कराई गई। हमारे बेटे को पकड़ा गया।
कैराना का जिक्र करते हुए मुनव्वर ने कहा था, ‘पलायन की बात होती है, लेकिन हजारों मुसलमानों ने पलायन किया उसकी कोई बात नहीं होती, कहीं चर्चा नहीं होती। मुसलमानों ने अपने घरों में छुरी रखना भी बंद कर दिया है, क्योंकि पता नहीं कब योगी जेल में बंद करवा दें।
विधानसभा चुनाव में मुनव्वर राना का नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गया था। इसके चलते वह वोट नहीं डाल पाए थे। मुनव्वर ने कहा था कि मेरा वोटर लिस्ट में नाम नहीं है। इसलिए मैं वोट डालने नहीं जा पाऊंगा। राना लखनऊ के कैंट विधानसभा के वोटर थे।
मुनव्वर को साल 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। हालांकि, साल 2015 में असहिष्णुता बढ़ने के नाम पर अवॉर्ड वापस कर दिया था। वहीं, किसानों के आंदोलन के दौरान उन्होंने कहा था कि संसद भवन को गिराकर वहां खेत बना देना चाहिए।
CAA-NRC प्रोटेस्ट के दौरान मुनव्वर की बेटियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। मुनव्वर राणा की 3 बेटियां हैं- सुमैया, फौजिया और उरुसा। सुमैया और उरुसा राणा कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। हालांकि सुमैया बाद में कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गई थीं तो उरुसा राणा कांग्रेस में हैं।