पूर्व IPS के नाम से बोर्ड लगाकर कब्जा कर लिया गया था 200 करोड़ रुपए की कीमत वाली जमीन

लखनऊ में LDA ने करीब 200 करोड़ रुपए की कीमत वाली जमीन को खाली कराया। बताया जा रहा है कि पूर्व IPS डॉक्टर कश्मीरा सिंह और अनीता सिंह के नाम से बोर्ड लगाकर कब्जा कर लिया गया था। इस जमीन पर नौसेना का संग्रहालय बनना था। लगभग 35,000 वर्गमीटर जमीन से अवैध कब्जा हटाया गया है।
हालांकि इस बीच पूर्व IPS डॉ. कश्मीरा सिंह का कहना है कि इसको लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा है। उसके बाद भी LDA ने बिना किसी सूचना के जमीन पर बुलडोजर चला उसको समतल कर दिया है। यह जमीन उनकी है।जबकि LDA अधिकारियों ने उनके दावे को गलत बताया है। उनका कहना है कि साल 2000-2001 में इस जमीन का अधिग्रहण LDA की तरफ से किया गया था। जिस पर बीते कई वर्षों से कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा था।
प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी के आदेश पर आज अभियंत्रण व अर्जन विभाग की संयुक्त टीम ने अवैध कब्जे पर बुलडोजर चलाया। इस दौरान बाउन्ड्रीवॉल, गार्ड रूम समेत अन्य अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए गए तथा मौके पर प्राधिकरण के स्वामित्व का बोर्ड स्थापित कर दिया गया। खाली करायी गयी उक्त भूमि की वर्तमान कीमत 200 करोड़ रुपए से अधिक है।
उपाध्यक्ष डॉक्टर इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2000-2001 में अमर शहीद पथ गोमती नगर विस्तार योजना के अंतर्गत ग्राम-अरदौनामऊ की भूमि का अधिग्रहण किया गया था। इसमें से पुलिस मुख्यालय, शहीद पथ के पास एनडीआरएफ को आवंटित भूमि तथा अर्द्ध निर्मित बंधे के मध्य स्थित लगभग 35,000 वर्गमीटर भूमि को खसरा संख्या-315 बताकर अन्टलिया आर्गेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक व अन्य लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा किया हुआ था।
इसमें राजस्व विभाग व प्राधिकरण की संयुक्त टीम द्वारा स्थल का सर्वे कराया गया, जिसमें स्पष्ट हो गया कि विपक्षियों द्वारा जिस भूमि को खसरा संख्या-315 बताया जा रहा है। वह भूमि खसरा संख्या-261पी, 260पी, 259पी, 238पी, 239पी, 243पी, 244पी, 290पी, 291पी, 292पी, 295पी, 296पी व 324पी ग्राम-अरदौनामऊ की है, जोकि प्राधिकरण की अर्जित भूमि है। वहीं, भूमि खसरा संख्या-315 का आंशिक भाग बंधे तथा शेष भाग गोमती नदी में समाहित है।
पूर्व IPS कश्मीरा सिंह का कहना है कि यह जमीन नवाब काजिम अली, सैयद सादिक अली और अली हसन की थी। इसमें से एक तिहाई जमीन उनकी पत्नी ने एक भाई से खरीदा था। साल 2007 में यह खरीदारी हुई थी। यहां कुछ निर्माण भी किया गया है। हालांकि 2021 में LDA ने एसटीपी का निर्माण यहां करना शुरू कर दिया था। उसके बाद कोर्ट में मामला चला गया। हाईकोर्ट में अभी भी मामला चल रहा है। ऐसे में बिना किसी सूचना और नोटिस के एलडीए ने यहां अभियान चला दिया है।