बसपा सुप्रीमो मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। आकाश मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। मायावती के ऐलान के बाद इसको लेकर सियासी माहौल गर्म हो गया है। साथ ही ये सवाल भी उठ रहा है कि तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने आकाश को ही अपना उत्तराधिकारी क्यों घोषित किया है। आकाश के उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के क्या सियासी मायने होंगे? तो आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, आकाश आनंद की उम्र 28 साल है। ऐसे में मायावती ने सोची समझी रणनीति के तहत उन्हें पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित किया है। इसके पीछे उनकी दूरगामी सोच है। आकाश युवा हैं। युवा कंधे पर पार्टी की जिम्मेदारी डालकर मायावती ने युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए ये नया दांव खेला है। उन्होंने धीरे-धीरे अपनी स्फूर्ति खो रही इस पार्टी में फिर से जान फूंकने की कोशिश की है।
दरअसल मौजूदा समय में देश में युवाओं की संख्या 60% से ज्यादा बताई जा रही है। वहीं बसपा में यूथ को लेकर लंबे समय बहुत ही अधिक गैप चल रहा था। मायावती ने समय रहते अपना उत्तराधिकारी घोषित कर उस गैप को भरने का प्रयास किया है।
पार्टी के जानकारों के मुताबिक मायावती ने बीते 10 सालों से किसी भी जिले का दौरा नहीं किया है। न ही किसी बड़ी घटना पर मौके पर गई है। सोशल मीडिया पर भी पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई है। बसपा के कार्यकर्ताओं को कहीं ना कहीं इसकी कमी जरूर खल रही थी। ऐसे में मायावती ने आकाश को उत्तराधिकारी घोषित कर उस कमी को दूर करने का प्रयास किया है। मायावती को उम्मीद है कि आकाश बसपा के सोशल इंजीनियरिंग और सोशल मीडिया के प्रयोग को और आगे ले जाएंगे। वह यूथ के साथ सियासी मुद्दों को उठाएंगे और उन मुद्दों के बीच रहकर बहुजन मूवमेंट को आगे बढ़ने का कार्य करेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस का कहना है कि मायावती ने 2017 से ही आकाश आनंद को राजनीति की समझ के लिए हिमाचल प्रदेश के राज्य के चुनाव में उतारा था। आकाश आनंद ने हिमाचल प्रदेश के राज्य चुनाव में राजनीतिक समझ को समझना शुरू किया। फिर उनकी परीक्षा छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में संपन्न हुई। माना जा रहा है कि आकाश आनंद ने राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनाव से पहले वहां पर कार्यकर्ताओं के साथ सरकार को घेरने और सियासी मुद्दे को गर्म करने के लिए जो अभियान चलाया। वह उनकी परीक्षा का प्रमुख अंश था
आज से छह साल पूर्व सहारनपुर में बसपा के चुनावी मंच पर आकाश आनंद की एंट्री हुई थी। हिमाचल चुनाव में सक्रियता के बाद तीन राज्यों के हालिया चुनावों में आकाश ने ही पार्टी कैंपेन की बागडोर संभाली। अब अपने भतीजे को उत्तराधिकारी बनाकर मायावती ने बड़ा दाव चला दिया है। आकाश के सामने चुनौतियों का पहाड़ है, पार्टी कैडर में जोश फूंककर बसपा को नए सिरे से तैयार करना है तो ताकतवर विपक्षी योद्धाओं के दांवपेंचों से मुकाबला भी करना है।
आकाश को कमान देकर मायावती ने विरासत की सियासत में एक नया पन्ना जोड़ दिया है। सबकी निगाहें टिकी हैं कि इस कवायद से बसपाई हाथी की ताकत में कितना इजाफा होता है, पार्टी कैडर का मनोबल कितना बढ़ता है। जनता की अदालत बसपा सुप्रीमो के इस ट्रंप कार्ड पर क्या फरमान सुनाती है। हालांकि अपने सगे भतीजे को उत्तराधिकारी बनाने के मायावती के इस फैसले ने विरोधियों को निशाना साधने का मौका दे दिया है। अब परिवारवाद के मुद्दे पर तंज कसने और हमला करने में विपक्षी खेमे कोताही नहीं बरतेंगे।
अगर आप बहुजन समाज पार्टी नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश ने अपनी ट्विटर प्रोफाइल जुलाई 2021 में बनाई और तकरीबन 2 साल में उनके 1 लाख 84 हज़ार से अधिक उनके फ़ॉलोअर्स हैं। उनकी वेरिफ़ाइड प्रोफ़ाइल में वो अपने आप को बसपा का राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बताते हैं और उन्हें बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र भी फॉलो करते हैं। लेकिन उनकी बुआ मायावती जो ख़ुद भी ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं, उन्हें ट्विटर पर फ़ॉलो नहीं करती हैं। आकाश अपने पिता और बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार को भी ट्विटर पर फॉलो करते हैं।
कांशीराम ने 15 दिसंबर 2001 को लखनऊ में रैली को संबोधित करते हुए मायावती को उत्तराधिकारी घोषित किया था। उन्होंने कहा था, ”मैं काफी समय से उत्तर प्रदेश में बहुत कम आ रहा हूं। लेकिन खुशी की बात है कि मेरी इस गैरहाजिरी को कुमारी मायावती ने मुझे महसूस नहीं होने दिया।” कांशीराम ने अपने किसी सगे संबंधी को अपना उत्तराधिकारी बनाने की जगह मायावती को अपना उत्तारधिकारी घोषित किया। वंचित तबके की सियासत को वंशवाद या परिवारवाद से परे रखकर कांशीराम ने एक मिसाल पेश की। ज्योतिराव फूले, बाबा भीमराव आंबेडकर, छत्रपति शाहू की तरह दलितों को मुख्यधारा में शामिल करने के ख्वाब को कांशीराम ने आगे बढ़ाया और मायवती इसे आगे बढ़ाएंगी इस उम्मीद के साथ उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया।
आकाश को कमान देकर मायावती ने विरासत की सियासत में एक नया पन्ना जोड़ दिया है। सबकी निगाहें टिकी हैं कि इससे बसपा की ताकत में कितना इजाफा होता है।आकाश ने हरियाणा के अंबाला में बसपा के संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस के मौक़े पर 9 अक्टूबर 2021 को कहा था, “कांशीराम आज हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके विचार हमें आज भी प्रेरणा देते हैं।” आकाश अपने भाषण में अंग्रेजी के शब्दों का का काफ़ी इस्तेमाल करते हैं। जैसे कांशीराम के बारे में बात करते हुए वो उन्हें अंग्रेजी में, “सोर्स ऑफ़ इंस्पिरेशन बताते हैं।”आकाश आनंद के फ़ेसबुक प्रोफाइल पर उनका दक्षिण भारत में दिया गया भाषण भी मिला। जिसमें उन्होंने अंग्रेजी में 24 मिनट लंबा भाषण दिया है। उसमें आकाश के पीछे बड़ी सी वीडियो स्क्रीन में दिख रहे प्रोजेक्शन में एक टेली-प्रॉम्प्टर भी नजर आ रहा है, जिसकी मदद से वो भाषण दे रहे हैं। अपने शुरुआती भाषणों में आकाश युवा होने की वजह से शायद कुछ गलतियां भी करते थे।
जैसे उन्होंने एक भाषण में मायावती को बसपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बता दिया अपने भाषणों में वो बसपा की समितियों में नौजवानों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक करने की बात करते हैं। वे मायावती की तरह “साम दाम दंड भेद” जैसे राजनीतिक जुमलों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अपने भाषणों में वो बसपा की निर्धारित लाइन के तहत बयान देते हैं और अपनी राजनीतिक पहचान बनाने के नज़रिए से वो कोई ऐसी बात नहीं कहते हैं। जिसमें उनके उभरते हुए राजनीतिक चरित्र और महत्वाकांक्षाओं की झलक दिखा सके।