सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर ने कहा कि जिस दिन भी मंत्रिमंडल विस्तार होगा, उसे दिन हम सरकार में शामिल होंगे। वह घड़ी और वह दिन अब नजदीक आ रहा है। वहीं अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई दलित और पिछड़ों का हक मारेगा तो मैं उसे श्राप दे दूंगा चाहें वो अखिलेश यादव ही क्यों ना हों। मैं शंकर जी का भक्त हूं, पीला वस्त्र पहनता हूं। इसलिए मेरे श्राप से लोगों को पीलिया हो जाएगा।
ओपी राजभर ने कहा कि 2024 चुनाव का समय भी नजदीक आ गया। हम लगातार अपने संगठन पर काम कर रहे हैं। यूपी से लेकर बिहार तक हमने दौरा किया और संगठन को मजबूत कर रहे हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं को बताया जाता है कि जब जागो तभी सवेरा है।
उन्होंने कहा कि मैं अपने कार्यकर्ताओं को बताते हूं कि शिक्षा के लिए लड़ो, रोजगार के लिए लड़ो, अपने हक के लिए लड़ो। मैं सभी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहता हूं कि किसी की गुलामी मत करो, फिर चाहें वह अखिलेश यादव हो या फिर सोनिया गांधी हों। कार्यकर्ता खुद को मजबूत करें और अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीखें।
ओपी राजभर ने कहा कि अखिलेश यादव खुद 5 साल मुख्यमंत्री रहे चुके हैं। सीएम रहते हुए उन्होंने गरीबों, दलितों और पिछड़ों को लूटा है। अगर इन गरीब, पिछड़ों पर अत्याचार करोगे, तो हम शंकर भगवान के पुजारी हैं। हमारा झंडा पीला है। जब हम श्राप देते हैं तो पीलिया हो जाता है और तब तक सही नहीं होता है, जब तक वह पीला झंडा ना पकड़ ले।
विपक्ष के ईवीएम पर सवाल उठाने पर राजभर ने कहा कि ईवीएम कांग्रेस लेकर आई है। जब कर्नाटक का चुनाव जीते सही था. जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने तब कोई दिक्कत नहीं हुई। जब घोसी विधानसभा का उपचुनाव अखिलेश यादव की पार्टी जीती तो तब सही था। जब सपा की सरकार बनी थी तब ईवीएम बहुत सही था। जब यह हारते हैं तो ईवीएम का रोना रोते हैं। लेकिन चुनाव हारते ही ईवीएम का रोना शुरू कर देते हैं। जब जीत जाते हैं तब नहीं बोलते कि ईवीएम खराब है। जैसे ही चुनाव हारते हैं, ईवीएम याद आ जाती है।
ये नेता जनता के बीच नहीं जाते हैं, ना ही जनता के काम आते हैं। जब चुनाव हार जाते हैं तो ईवीएम का रोना शुरू हो जाता है। इन्हें अपने
‘9 सालों से पहले फारूक अब्दुल्ला क्या कर रहे थे’
फारूक अब्दुल्ला के गृहमंत्री अमित शाह पर दिए बयान पर भी राजभर ने फारूक अब्दुल्ला पर जमकर हमला बोला बोला। राजभर ने कहा कि केंद्र में तो बीजेपी की 9 सालों से ही सरकार है। इसके पहले तो कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन तब फारूक अब्दुल्ला को कश्मीर में दिक्कते नजर नहीं आईं। तब उन्होंने नहीं देखा कि वहां पर कितना विकास हुआ है।
अब जब जम्मू-कश्मीर विकास हो रहा है, स्कूल खुलने लगे हैं तो इन लोगों को चिंता हो रही है। अब यहां जमीन बिकने लगी है, लोगों को रोजगार मिलने लगा है तो इन्हें दिक्कत हो रही है। जब जम्मू-कश्मीर की जनता को लग रहा है कि अब हम बेहतर जिंदगी बिताएंगे, तो इन नेताओं को चिंता बढ़ना लगी है।