भारत और रूस की दोस्ती कई दशकों पुरानी है। दोनों देश कई बार एक-दूसरी की मदद कर चुके हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा भी कर चुके हैं।
एक बार फिर से उन्होंने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि मोदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता है।पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध के बावजूद भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने का संदर्भ देते हुए कहा कि सबसे पहले, मैं यह कहना चाहता हूं कि रूस और भारत के बीच सभी क्षेत्रों में संबंध लगातार विकसित हो रहे हैं। और इसकी वजह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली नीति है। पुतिन ने बातें सेंट पीटर्सबर्ग में ‘रूस कॉलिंग इन्वेस्टमेंट फोरम’ के दौरान कहीं।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कार्यक्रम में आगे कहा कि मैं कल्पना भी नहीं कर सकता हूं कि मोदी को भारतीय हित और भारत लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने या फैसला लेने के लिए डराया, धमकाया या मजबूर किया जा सकता है। ऐसा दबाव है, मैं जानता हूं। हालांकि, मैं कभी उनसे इस बारे में बात नहीं करता। सिर्फ बाहर से देखता हूं कि क्या हो रहा है। कभी-कभी भारतीय लोगों की सुरक्षा पर उनके सख्त रूप से मैं आश्चर्यचकित भी हो जाता हूं। बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच लगभग दो साल से युद्ध जारी है। युद्ध के शुरू होने के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके बाद भी भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदा है।
यूक्रेन में युद्ध के लगभग 18 महीने बाद अगस्त 2023 तक रूस का भारत को कच्चे तेल का निर्यात 60 मिलियन बैरल प्रति माह से ऊपर हो गया है। रूस के कच्चे और परिष्कृत तेल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी लगभग एक चौथाई है। पीएम मोदी की तारीफ करता हुआ रूसी राष्ट्रपति पुतिन का यह 45 सेकंड का वीडियो वायरल हो गया है। इसे अब तक हजारों बाद देखा जा चुका है।
इससे पहले, अक्टूबर महीने में भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए उन्हें बहुत बुद्धिमान व्यक्ति बताया था। उन्होंने कहा था कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी के साथ बहुत अच्छे राजनीतिक संबंध हैं, वह बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हैं। और उनके नेतृत्व में भारत विकास में बहुत बड़ी प्रगति कर रहा है। पुतिन की यह प्रशंसा भारत में जी20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर आई थी, जहां नई दिल्ली घोषणा को अपनाया गया था। घोषणा, जिसे मॉस्को ने मील का पत्थर बताया था, ने रूस पर दोष लगाए बिना चल रहे यूक्रेन संघर्ष में शांति पर जोर दिया, जो पिछले बाली घोषणा से हटकर था।