डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा ने कबीर सिंह की रिलीज के बाद कहा था कि वो अपनी अगली फिल्म में असली वायलेंस दिखाएंगे। रणबीर कपूर स्टारर फिल्म एनिमल देखने के बाद उनकी यह बात बिल्कुल सटीक मालूम पड़ती है। आज हम इस फिल्म का रिव्यू करेंगे। एक्शन थ्रिलर ड्रामा इस फिल्म की लेंथ 3 घंटे 23 मिनट है।
फिल्म की कहानी एक बाप बेटे के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है। रणविजय सिंह यानी रणबीर कपूर के पिता बलवीर सिंह (अनिल कपूर) देश के जाने-माने बिजनेस टायकून हैं। बलवीर सिंह अपनी बिजी लाइफ की वजह से बेटे रणविजय को टाइम नहीं दे पाते। इस वजह से रणविजय के मन में हमेशा एक टीस रहती है।
इनकी लाइफ में भूचाल तब आता है जब बलवीर सिंह पर गोलीबारी हो जाती है। रणविजय अपने बाप का बदला लेने के लिए जंग का ऐलान कर देता है। इस जंग में उसकी मुलाकात ऐसे लोगों से होती है जो कभी न कभी किसी वक्त में बलवीर सिंह के साथ जुड़े होते हैं।
रणविजय सिंह अपने पिता के हमलावरों को ढूंढने निकल जाता है। उसके रास्ते में कई बाधाएं आती हैं। इन बाधाओं को पार करके रणविजय सिंह बदला ले पाता है या नहीं, स्टोरीलाइन इसी पर आगे चलती है।
संदीप रेड्डी वांगा ने फिर से वो काम कर दिखाया गया है, जिसके लिए वो जाने जाते हैं। फिल्म में शुरू से लेकर अंत तक मार-काट और डिस्टर्बिंग सीन्स दिखाए गए हैं। हॉलीवुड फिल्मों में जिस लेवल का वायलेंस दिखाया जाता है, कुछ ऐसा ही संदीप रेड्डी वांगा ने यहां दिखाने की कोशिश की है।
कहानी के हिसाब से उनका डायरेक्शन कमाल का है। उन्होंने स्टोरी को शुरू से अंत तक इंगेजिंग बनाकर रखा है। इंटरवल के पहले वाले सीक्वेंस को देख आपका मुंह खुला रह सकता है। सेकेंड हाफ का पहला सीक्वेंस जरूर थोड़ा स्लो है। रश्मिका मंदाना के कुछ डायलॉग्स और सीन्स ट्रिम किए जा सकते थे। हालांकि, असली सरप्राइज क्लाइमैक्स में देखने को मिलेगा।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि फिल्म में रणबीर कपूर का नेवरसीन एक्शन अवतार देखने को मिला है। उन्होंने साबित किया है कि उनकी गिनती इस जेनरेशन के सबसे प्रतिभाशाली एक्टर्स में क्यों होती है।
यंग लड़के से लेकर एक बुजुर्ग व्यक्ति तक के रोल को उन्होंने विविधता के साथ बखूबी निभाया है। रणबीर पहली बार इतने वायलेंट रूप में दिखाई दिए हैं। कुछ सीन्स तो ऐसे हैं जिन्हें देखकर आपको डर भी लग सकता है। रोमांस और ड्रामा में तो रणबीर पहले से माहिर थे, लेकिन इस फिल्म में उन्होंने साबित कर दिया कि एक्शन में भी वो किसी से कम नहीं हैं। एक्शन सीन्स ऐसे नहीं हैं जिन्हें साधारण कहा जाए।
बॉबी देओल ने छोटे से रोल में अपना सब कुछ झोंक दिया है। जितने देर वो स्क्रीन पर रहते हैं, उतनी देर बिल्कुल अलग माहौल बना कर रखते हैं।
बॉबी के छोटे से रोल को देख एक ही बात दिमाग में आती है कि उनका स्क्रीन टाइम और ज्यादा होना चाहिए था। रश्मिका मंदाना ने भी रणबीर की पत्नी का रोल ठीक अंदाज में निभाया है। अनिल कपूर हमेशा की तरह अपना स्क्रीन प्रेजेंस दिखाने में कामयाब रहे हैं। तृप्ती डिमरी भी फिल्म में एक सरप्राइज एलिमेंट बनकर उभरी हैं। अगला पार्ट बनने की दशा में उनका रोल अहम हो सकता है।
करियर के इस पड़ाव पर बाँबी देओल का काम तारीफ के लायक है। फिल्म में उनका और रणबीर कपूर का फेस ऑफ रोंगटे खड़ा कर सकता है।
गाने कैसे हैं?
फिल्म के गाने हर सीक्वेंस के हिसाब से सही लगे हैं। खास तौर पर बी प्राक की आवाज में ‘सब कुछ भुला देंगे’ और भूपिंदर बब्बल की आवाज में ‘अर्जन वैली’ फिल्म के सीन्स के मुताबिक जंचे हैं। एक्शन सीक्वेंस के बैकग्राउंड में बज रहे ये गाने दर्शक के अंदर एक थ्रिल पैदा करेंगे।
रणबीर कपूर का किरदार बेशक इस फिल्म का सबसे बड़ा पॉजिटिव पॉइंट है। इसके अलावा बॉबी देओल की एक्टिंग, फिल्म का स्क्रीनप्ले, म्यूजिक और डायरेक्शन भी इसे स्पेशल बनाता है। इसके अलावा फिल्म का क्लाइमैक्स और उसके बाद का एक सीक्वेंस सबसे बड़ा पॉजिटिव पॉइंट है।
फिल्म के एक सीन में रणबीर कपूर मॉनस्टर वॉर मशीन गन चलाकर अंधाधुन गोलियां बरसाते नजर आए। यह मेड इन इंडिया स्टफ है। इस मॉनस्टर मशीन गन को मुंबई के अंधेरी स्थित एक वर्कशॉप में बनाया गया है।
फिल्म का निगेटिव पॉइंट
पंजाबी और अंग्रेजी संवादों की अधिकता खटक सकती है। फर्स्ट हाफ में रश्मिका मंदाना का किरदार प्रभावी नहीं लगा है। कुछ-कुछ सीन्स में जरूरत से ज्यादा हिंसा दिखाई गई है।
अगर आप एक अलग तरह की एक्शन फिल्म को एक्सपीरिएंस करना चाहते हैं। अगर आप रणबीर कपूर और संदीप रेड्डी वांगा का बनाया लार्जर दैन लाइफ एक्शन ड्रामा फिल्म देखना चाहते हैं तो बिना हिचके इसके लिए जा सकते हैं। अगर आप फिल्म को फिल्म की तरह लेते हैं, तो एंटरटेनमेंट के नजरिए से इसके लिए एक बार जरूर जा सकते हैं। हालांकि, कमजोर दिल वालों के लिए यह फिल्म बिल्कुल नहीं है।