लखनऊ विश्वविद्यालय अपने स्थापना के 103वां साल पूरा कर रहा हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में शनिवार शाम को फाउंडेशन ईयर का शुभारंभ मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा व कुलपति ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के 6 पूर्व छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। इस दौरान लखनऊ यूनिवर्सिटी काफी टेबल बुक भी लॉन्च की गई।
केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा, “जो भी काम आपको मिले उसे पूरे मनोयोग से करें। गोस्वामी जी ने मानस में लिखा है कि कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जसी करे वो तस फल चाखा। छात्रों के साथ मेरा अध्यापकों को भी यही संदेश हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय को न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में अब सम्मान मिल रहा हैं। हालिया रैंकिंग में उच्च स्थान मिलना ये दर्शाता हैं कि विश्वविद्यालय अनुसंधान पर फोकस कर रहा हैं। शिक्षा को आधुनिक दौर में अनुसंधान करना जरूरी हैं।
NEP के क्रियान्वयन में भी आपने दिशा देने का काम किया है। इसके लिए भी आपको शुभकामनाएं। आप एक कदम आगे बढ़ेंगे तो सरकार 100 कदम आगे बढ़कर आपका सहयोग करेगी। आप सभी को शुभकामनाएं।”
कार्यक्रम के दौरान कुलपति आलोक कुमार राय ने कहा, परस्पर विरोधाभासी विचारों के सहयोग का माहौल बनाने का काम ही विश्वविद्यालय करता है। समय के साथ बदलना भी समय की मांग होती हैं। LU में पूर्ण सजगता के साथ शिक्षण कार्य कर रहा हैं। मेरे लिए 100वें वर्ष में कुलपति बनना गौरव का विषय रहा।
उन्होंने कहा, यूनिवर्सिटी की पहचान आयु से कम बल्कि योगदान से ज्यादा हो। इसके मूल में सभी छात्रों की भूमिका है। हमारी भूमिका देश व प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालय से भी जुड़ी हैं। हम फॉलोवर नहीं शुरू करने वाला बनना चाहिए।
उन्होंने कहा, सामान्य श्रेणी के विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स शुरू करने में हम पहले रहे हैं। रिसर्च प्रोमोशन पर फोकस के साथ 200 से ज्यादा नए फैकल्टी की रिक्रूटमेंट की गई है। कहा, एग्रीकल्चर साइंस, मेडिकल साइंस और परफार्मिंग आर्ट्स पर हमारा फोकस है। उम्मीद है कि जल्द ही विश्वविद्यालय की खुद की मेडिकल फैकल्टी होगी
जस्टिस ए आर मसूदी ने कहा, मैं 1985 में कश्मीर के कुपवाड़ा से लखनऊ विश्वविद्यालय आया। मैं अपने गांव का पहले प्रयास में हाईस्कूल पास करने वाला शख्स रहा। 8वीं बाद ट्यूशन शुरू कर दिया। बीएससी करने के बाद जब कश्मीर यूनिवर्सिटी से एमएससी नहीं कर पाया।
उन्होंने कहा, मां की बचत के 950 या 960 रुपए लेकर कश्मीर छोड़ दिया था। अलीगढ़ जब पहुंचा तो देर हो चुकी थी, किसी ने राय दी कि लखनऊ यूनिवर्सिटी से लॉ कर लो। मां ने पैसे शर्ट के अंदर सिल दिए थे। यूनिवर्सिटी ने भले ही सत्र देर से शुरू किया पर मुझ जैसे विद्यार्थी को जगह दी।
लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़ने के बाद मुझे इस शहर और इस विश्वविद्यालय का कर्ज उतारने का मौका दिया। उन्होंने कहा, शिक्षा का उद्देश्य हैं स्वतंत्रता, और स्वतंत्रता का अर्थ जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त होना। कहा, मैं जीवन मे बहुत कुछ नही कर पाया पर विश्वविद्यालय ने मुझे सम्मानित करने का काबिल समझा। इसके लिए मैं हमेशा ऋणी रहूंगा।