चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार देर रात रात कैलिफोर्निया में मुलाकात की। यह मुलाकात सैन फ्रांसिस्को में चल रही APEC यानी एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन समिट से इतर हुई।
दोनों राष्ट्राध्यक्षों की बाइलैटरल मीटिंग का पहला सेशन करीब 2 घंटे तक चला। दोनों नेता आखिरी बार नवंबर 2022 में बाली में G20 समिट में मिले थे।
मीटिंग से पहले जिनपिंग ने कहा, ‘चीन और अमेरिका के रिश्ते दुनिया के लिए अहम है। दो बड़े देशों के लिए, एक-दूसरे से मुंह मोड़ना कोई विकल्प नहीं है। हमारी जिम्मेदारी है हम अपने-अपने देशों और बाकी दुनिया की भलाई के लिए मिलकर काम करें।’
वहीं, बाइडेन बोले- हमारे बीच गलतफहमियां नहीं होनी चाहिए। हमें यह तय करना होगा कि दोनों देशों के बीच कॉम्पिटिशन संघर्ष में न बदल जाए। हमारी जिम्मेदारी है कि हम क्लाइमेट चेंज, एंटी ड्रग ट्रैफिकिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे मुद्दों पर बात करें।
इस मुलाकात से दोनों देशों के पास ये मौका है कि उनके रिश्ते इस वक्त जिस हाल में हैं, उन्हें और खराब होने से रोका जाए।
फरवरी में चीन के एक स्पाय बैलून को अमेरिका ने मार गिराया था। इसके बाद वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच रिश्ते अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंच गए थे। ट्रेड रिलेशन्स को लेकर टेंशन पहले ही काफी ज्यादा थी। ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका ने सख्त रुख अपनाया और चीन की कई कंपनियों को इस दलील के साथ बैन कर दिया कि उनके चीनी फौज से सीधे ताल्लुक हैं।
बाइडेन और जिनपिंग की पहली कोशिश किसी भी तरह के रिस्क को कम करना है, ताकि रिश्ते टूटने का खतरा न रहे। अमेरिकी अफसरों का कहना है कि वो दोनों देश एक-दूसरे को चैलेंज न समझें।
2015 में एक अमेरिकी वॉरशिप चीन पहुंचा था। इस वक्त तक दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव नहीं के बराबर था। हालिया वक्त में ये काफी बढ़ा है।
एक-दूसरे की जरूरत को समझें
अमेरिका की कॉमर्स सेक्रेटरी गिना रेमांडो ने कुछ दिन पहले कहा था- हम चीन से करीब 700 अरब डॉलर का ट्रेड करते हैं। इसमें 99% ट्रेड ऐसा है, जिसका एक्सपोर्ट कंट्रोल से कोई संबंध नहीं है।
अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जैक सुलिवन कहते हैं- चीन और अमेरिका आर्थिक तौर पर एक-दूसरे पर निर्भर हैं। वहीं, ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन तो वॉर्निंग देती हैं। उनके मुताबिक- अगर अमेरिका और चीन आर्थिक रिश्ते तोड़ लेते हैं तो पूरी दुनिया को खराब नतीजे भुगतने होंगे।
पिछले साल तब की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान गईं थीं। इसके बाद से दोनों सेनाओं के बीच कम्युनिकेशन नहीं के बराबर है।
अमेरिका ने आरोप लगाया था कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव (2021) में रूस और चीन ने दखलंदाजी की कोशिश की थी। 2024 में ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा ड्रग स्मगलिंग और क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर भी बड़े हैं।
पिछले महीने अमेरिकी सांसदों का दल बीजिंग गया था। इससे मुलाकात में जिनपिंग ने कहा था- अमेरिका और चीन के रिश्ते बेहतर करने की हजार वजह हैं और इनको खराब करने का एक भी कारण नहीं बताया जा सकता।