इजराइल-हमास जंग का आज 32वां दिन है। इस बीच, इजराइल डिफेंस फोर्स (IDF) ने कहा है कि गाजा में मिलिट्री ऑपरेशन पूरा होने में वक्त लग सकता है। लिहाजा उसने आने वाली सर्दियों के मद्देनजर अपने सैनिकों को जरूरी सामान और वर्दियां मुहैया कराना शुरू कर दिया है। यह काम करीब-करीब पूरा होने को है।
लेबनान और इसके बाद तुर्किये में अपने एयरबेस पर हुए हमलों से अमेरिका सख्त नाराज है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को कहा- अगर इस तरह के हमले जारी रहे तो इसके गंभीर नतीजे होंगे।
IDF ने सोमवार को एक बयान जारी किया। इसमें सर्दियों के लिए अपनी तैयारी की कुछ जानकारी दी। कहा- अब तक जंग के लिए जरूरी एक लाख 29 हजार विंटर जैकेट्स सैनिकों को दी गई हैं। इसके अलावा 3 लाख 69 हजार डिस्पोजेबल विंटर वॉर्मर बैग्स भी ट्रूप्स को दिए गए हैं।
बयान के मुताबिक- गाजा और इस क्षेत्र में कड़ाके की सर्दी होती है। 1948 में आजादी की जंग के दौरान भी हमने इसका अनुभव किया था। लिहाजा, हर वो चैलेंज जो सामने आ सकता है, उसके मद्देनजर तैयारी की जा रही है। उस दौर के मुकाबले आज हमारे पास बहुत बेहतरीन प्रोटेक्शन गियर हैं।
इजराइली सेना ने कहा है कि वो हर वो चैलेंज जो सामने आ सकता है, उसके मद्देनजर तैयारी की जा रही है। हमारे पास बहुत बेहतरीन प्रोटेक्शन गियर हैं।
भारत के 200 यहूदी इजराइल में
भारत में रहने वाली यहूदी कम्युनिटी के करीब 200 लोग इस वक्त IDF का साथ दे रहे हैं। ये सभी नेई मेनाशे कम्युनिटी से ताल्लुक रखते हैं। यह जानकारी शेवी इजराइल नामक गैर सरकारी संगठन ने दी है।
इसके मुताबिक- हाल के दिनों में 75 लोग इजराइल पहुंचे। ये सभी ट्रेंड फाइटर हैं। इनमें तो कुछ एक्टिव पोस्ट पर तो कुछ रिजर्व में रखे गए हैं। शेवी संगठन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले इजराइलियों के लिए काम करता है। नेई मेनाशे कम्युनिटी के बारे में कहा जाता है कि वो इजराइल के विलुप्त होती जनजाति से आते हैं।
इजराइल और हमास की जंग में अमेरिका सीधे तौर पर इजराइल के साथ खड़ा है। इसी वजह से बगदाद, बेरूत और तुर्किये में उसके एयरबेस को निशाना बनाया गया है। अब अमेरिका ने इन घटनाओं पर सख्त रुख दिखाया है।
सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन तुर्किये पहुंचे। इसके पहले वो इराक की राजधानी बगदाद में थे। ब्लिंकन ने कहा- हाल ही में हमारे एयरबेस पर हमलों की कोशिश हुई है। अगर ये सिलसिला नहीं रुका तो नतीजे गंभीर होंगे। इन देशों की सरकारों को सतर्क हो जाना चाहिए।