बॉलीवुड के डांसिंग स्टार शम्मी कपूर की आज 92वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उन्होंने अपने यूनिक डांसिंग स्टाइल से सबको दीवाना बना दिया था। शम्मी ने इंडस्ट्री को ‘तुमसा नहीं देखा’, ‘कश्मीर की कली’, ‘जानवर’ और ‘पगला कहीं का’ जैसी कई शानदार फिल्में दी हैं।
पढ़ाई छोड़कर जूनियर आर्टिस्ट और फिर हीरो बने शम्मी कपूर ने 1950 से लेकर 1970 तक तकरीबन 100 फिल्मों में काम किया। गीता बाली से परिवार को बिना बताए शादी की क्योंकि गीता उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और भाई राज कपूर की हीरोइन रह चुकी थीं और वो उम्र में उनसे एक साल बड़ी भी थीं।
21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में जन्मे शम्मी के पिता पृथ्वीराज कपूर फिल्म इंडस्ट्री के महान अभिनेता थे। शम्मी जब पैदा होने वाले थे तो पृथ्वीराज कपूर के घर बेचैनी का माहौल था। ऐसा इसलिए था क्योंकि पृथ्वीराज कपूर और रामसरणी के बड़े बेटे राज कपूर के पैदा होने के बाद उनके दो बच्चों की मौत पैदा होते हो गई थी। जिस वजह से शम्मी कपूर का जन्म हास्पिटल में हुआ था। कपूर खानदान में ये पहले बच्चे थे जिनका जन्म हास्पिटल में हुआ था। उनके जन्म के बाद उनके छोटे भाई शशि कपूर पैदा हुए थे।
शम्मी के जन्म के कुछ समय बाद पृथ्वीराज कपूर परिवार को लेकर कोलकाता चले गए थे जहां वो सात-आठ साल रहे। फिर 1944 में मुंबई वापस पृथ्वीराज कपूर ने मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की। तब तक शम्मी 13 साल के हो गए थे और पृथ्वी थिएटर के प्ले शकुंतला में वो भरत का रोल निभाते थे। इसी प्ले के कारण शम्मी कपूर का स्कूल छूट गया था।
दरअसल, राज कपूर चाहते थे कि शम्मी छुट्टी लेकर प्ले की रिहर्सल करें लेकिन स्कूल ने छुट्टी देने से मना कर दिया। राज कपूर शम्मी के स्कूल गए जहां उनका प्रिंसिपल से जमकर झगड़ा हो गया। इसके बाद शम्मी उस स्कूल में नहीं पढ़े। उन्होंने दूसरे स्कूल में एडमिशन लिया। फिर कॉलेज में दाखिला हुआ तो शम्मी का मन पढ़ाई में नहीं लगा। एक दिन वो कॉलेज छोड़कर घर आ गए और पिता जी से कहा, सॉरी, मैंने कॉलेज छोड़ दिया। पृथ्वीराज कपूर बोले, कोई बात नहीं पुत्तर, कल से थिएटर आजा। अगले दिन शम्मी थिएटर पहुंचे जहां उन्हें 50 रु. की सैलरी पर काम पर रखा गया। यहां उन्होंने बतौर जूनियर आर्टिस्ट काम किया।
बचपन में शम्मी ने क्लासिकल संगीत सीख लिया लेकिन उन्हें वेस्टर्न म्यूजिक ज्यादा पसंद था। इससे उन्हें रूबरू करवाने वाली अभिनेत्री नरगिस थीं। दरअसल, नरगिस जब राज कपूर के साथ फिल्म बरसात की शूटिंग कर रही थीं तो शम्मी भी सेट पर मौजूद थे। एक दिन उन्होंने देखा कि नरगिस अपने मेकअप रूम में बैठी रो रही हैं।
शम्मी ने उनसे पूछा तो नरगिस बोलीं-मैं राज कपूर की अगली फिल्म ‘आवारा’ में काम करना चाहती हूं लेकिन मेरे घरवाले इसके लिए तैयार नहीं। तुम मेरे लिए भगवान से प्रार्थना करो कि ‘आवारा’ में मैं ही हीरोइन बनूं। शम्मी बोले-ठीक है मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा। फिर नरगिस बोलीं-अगर फिल्म आवारा मुझे मिली तो मैं तुम्हें किस दूंगी।
बाद में नरगिस ही राज कपूर की हीरोइन बनीं। फिल्म की शूटिंग पर शम्मी कपूर भी सेट पर मौजूद थे। नरगिस उन्हें देखकर घबरा गईं और कहा-मैं तुम्हें किस नहीं करूंगी और इतना कहकर वो वहां से भाग गईं।
शम्मी उनके पीछे गए तो नरगिस बोलीं-देखो तुम अब बच्चे नहीं रहे और किस के हिसाब से बड़े हो चुके हो। तुम कुछ और मांग लो। शम्मी बोले-मुझे किस नहीं कुछ और चाहिए। ये सुनकर नरगिस ने पूछा क्या चाहिए फिर? वो बोले-ग्रामोफोन प्लेयर।
ये सुनकर नरगिस रो पड़ीं और बोलीं-तुम्हें केवल ग्रामोफोन प्लेयर चाहिए? इसके बाद नरगिस उन्हें शॉप पर ले गईं जहां से शम्मी ने एक ग्रामोफोन और 20 वेस्टर्न म्यूजिक के रिकॉर्ड चुन लिए। इन्हें ही सुनते-सुनते शम्मी वेस्टर्न म्यूजिक के दीवाने हो गए
शम्मी कपूर ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1953 में रिलीज हुई फिल्म जीवन ज्योति से की थी। इस फिल्म के लिए उन्हें 11 हजार 111 रुपए मिले थे। शम्मी ने 1953 में आई फिल्म लैला मजनूं में नूतन के साथ काम किया था लेकिन वो उन्हें बचपन से जानते थे। नूतन की मां शोभना समर्थ और पृथ्वीराज कपूर अच्छे दोस्त थे इसलिए बचपन में शम्मी और नूतन भी साथ खेलते-कूदते थे। जब दोनों टीनएज में आए तो इन्होंने डेटिंग शुरू कर दी थी। जब 1951 में नूतन की फिल्म नगीना का प्रीमियर मुंबई में हुआ।
शम्मी बतौर ब्वॉयफ्रेंड उन्हें न्यू एंपायर सिनेमा ड्रॉप करने पहुंचे जहां प्रीमियर होना था। जैसे ही नूतन थिएटर में एंट्री लेने गईं तो दरबान ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। दरअसल, नूतन केवल 15 साल की थीं और नगीना केवल एडल्ट दर्शक ही देख सकते थे। शम्मी और नूतन शादी भी करना चाहते थे लेकिन शोभना समर्थ ने इससे इंकार करके नूतन को पढ़ाई के लिए स्विटजरलैंड भेज दिया।
शम्मी की गीता बाली से मुलाकात उनके डायरेक्टर दोस्त हरि वालिया ने फिल्म ‘कॉफी हाउस’ (1957) की शूटिंग के दौरान करवाई थी। लेकिन तब दिल के दरवाजे पर मोहब्बत ने दस्तक नहीं दी थी। उसके बाद दोबारा मुलाकात हुई फिल्म ‘रंगीन रातें’ (1956) की शूटिंग के दौरान जो रानीखेत में फिल्माई जा रही थी। इसमें गीता बाली का कैमियो था। शम्मी कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘हम लोग वहां रानीखेत में 20 दिन थे शूटिंग के लिए, पहाड़ी जगह, पहाड़ी गाने, वादियां, खूबसूरत लड़की, जवान लड़का…इश्क हो गया जी!’ फिर ठान लिया कि शादी करनी है तो इसी के साथ करनी है।
उसके बाद वो लगातार गीता बाली से शादी करने को कहते रहे, गीता टालती रहीं। आगे आने वाले तीन महीनों तक ये सिलसिला जारी रहा। शम्मी शादी का कहते और गीता इनकार कर देतीं।
फिर आई 23 अगस्त 1955 की शाम! हमेशा की तरह शम्मी कपूर ने फिर शादी करने को कहा मगर आज शादी की बात सुनकर गीता ने इनकार नहीं किया, बल्कि कहा कि चलो शादी कर लेते हैं! लेकिन शादी आज ही होगी और अभी, नहीं तो कभी नहीं. शम्मी कपूर हैरान रह गए। उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो तुरंत अपने दोस्त हरि वालिया को बुलाया। फिर भागे जॉनी वाकर के घर क्योंकि याद आ गया था कि उनके दोस्त जॉनी वाकर ने एक्ट्रेस शकीला की बहन नूर को भगाकर पिछले हफ्ते ही शादी रचाई थी। लेकिन जब वे जानी वॉकर के घर पहुंचे तो उन्होंने कहा- भाई मैं मुस्लिम हूं, मस्जिद गया और निकाह पढ़वा लिया। तुम्हें मंदिर जाना होगा जहां पंडित जी तुम्हारी शादी कराएंगे।
तीनों मंदिर पहुंचे, लेकिन पंडित जी ने कहा कि मंदिर के द्वार अब बंद हो चुके हैं, सुबह मंदिर खुलेगा, आ जाना शादी करवा देंगे। शम्मी और गीता निर्णय ले चुके थे, पीछे हटने का कोई इरादा नहीं था। शम्मी, गीता और हरि वालिया को लेकर अपने मुंबई वाले घर माटुंगा पहुंच गए। तीनों ने सारी रात जागते हुए काट दी और 24 अगस्त 1955 को सुबह 4-5 बजे बाण गंगा मंदिर गए। पुजारी ने मंदिर के पट खोले और शम्मी कपूर-गीता बाली की शादी हो गई। जब बारी आई गीता की मांग भरने की तो सिंदूर नहीं होने पर गीता ने अपने पर्स से लिपस्टिक निकाली और उस लिपस्टिक से शम्मी ने गीता की मांग भरकर उन्हें अपनी जीवन संगिनी बना लिया।
शम्मी को अपने घरवालों की तरफ से थोड़ा डर लग रहा था कि वे गीता को कैसे स्वीकार करेंगे क्योंकि एक तो वो उम्र में उनसे एक साल बड़ी थीं और दूसरे गीता उनके भाई राज कपूर और पिता पृथ्वी राज कपूर की हीरोइन भी रह चुकी थीं। दोनों घर पहुंचे और सबने इस शादी को स्वीकार कर लिया। दोनों 1956 में एक बेटे और 1961 में एक बेटी के पेरेंट्स बने। 1964 में गीता बाली बीमार पड़ गईं और 21 जनवरी 1965 को उनका निधन हो गया।
गीता बाली के निधन से शम्मी कपूर तकरीबन तीन महीने तक डिप्रेशन में रहे। 1966 में रिलीज हुई फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ से उन्होंने कमबैक किया था। 1968 की फिल्म ‘ब्रह्मचारी’ में शम्मी कपूर मुमताज के साथ नजर आए। फिल्म के गाने ‘आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे’ में दोनों की केमिस्ट्री शानदार थी। फिल्म की शूटिंग के दौरान शम्मी उन्हें पसंद करने लगे थे। शूटिंग के दौरान मुमताज ने भी उनसे कहा था कि वो उनको पसंद करती हैं और वो उनके पहले क्रश हैं।
इंडस्ट्री में भी उनके अफेयर की खबरें सामने आ गईं। एक दिन शम्मी ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज कर दिया, लेकिन इस प्रपोजल के साथ उन्होंने एक ऐसी बात कही जिससे उनका रिश्ता खत्म हो गया।
दरअसल, कपूर खानदान की परंपरा थी कि शादी के बाद घर की बहुएं फिल्मों में काम नहीं करती थीं। जब ये बात शम्मी ने मुमताज को बताई तो उन्होंने शादी करने से इनकार कर दिया। मना करने की वजह ये भी थी कि उस समय शम्मी उनसे 20 साल बड़े थे। वहीं मुमताज को इंडस्ट्री में अभी लंबा सफर तय करना था क्योंकि उस वक्त उनकी उम्र 18 साल थी। मुमताज के इस फैसले से शम्मी का दिल टूट गया। 1969 में घरवालों की मर्जी से उन्होंने नीला देवी से दूसरी शादी कर ली।
1970 आते-आते शम्मी कपूर का करियर ढलने लगा। उनसे पहले जैसा डांस नहीं हो पा रहा था क्योंकि उनके घुटनों में दर्द रहता था। फिल्म ‘जंगली’ के गाने याहू… की शूटिंग में उनके घुटने चोटिल हो गए थे। इसके बाद 1964 में आई फिल्म ‘राजकुमार’ में भी उनके पैर में चोट लग गई थी। दरअसल, इस फिल्म का गाना ‘यहां के हम हैं राजकुमार’ शूट हो रहा था जिसमें शम्मी जी हाथी पर बैठे थे। हाथी बेकाबू हो गया और उसने शम्मी जी के पैर पर अपना पैर रख दिया। इससे शम्मी कपूर का पैर टूट गया और वो तीन महीने तक शूटिंग नहीं कर पाए। इस हादसे के बाद शम्मी जी ने एक्टिंग से डेढ़ साल के लिए ब्रेक ले लिया था जिससे उनका वजन भी काफी बढ़ गया था।
1982 में फिल्म विधाता के लिए शम्मी कपूर को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। इस फिल्म के गाने ‘हाथों की चंद लकीरों का…’ से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है।
गाने में शम्मी कपूर और दिलीप कुमार को ट्रेन चलाते हुए दिखाया गया था। ट्रेन के रियल इंजन में शूट करना काफी मुश्किल था क्योंकि ये काफी छोटा होता है। दोनों ही बुजुर्ग थे। इनका वजन भी बढ़ चुका था। इंजन में ट्रेन का असली ड्राइवर, शूटिंग एक्विपमेंट्स और यूनिट के मेंबर्स होने से बिलकुल जगह नहीं थी और गर्मी भी बहुत ज्यादा थी। मुझे लगा था कि शम्मी जी गुस्सा होकर शूट छोड़ देंगे लेकिन उन्होंने इतनी मुश्किल स्थिति में भी पूरा गाना शूट किया और बेहतरीन एक्सप्रेशन भी दिए। उन्होंने अपना एनर्जी लेवल बिलकुल डाउन नहीं होने दिया।
शम्मी कपूर की आखिरी फिल्म रॉकस्टार थी। इस फिल्म में उन्होंने रणबीर कपूर के साथ काम किया था। रणबीर उन्हें प्यार से शम्मी दादाजी कहते थे। रणबीर के कहने पर ही शम्मी कपूर ने इम्तियाज अली की इस फिल्म में काम किया था। इस फिल्म में उन्होंने क्लासिकल आर्टिस्ट उस्ताद जमील खान का रोल निभाया था। 11 नवंबर 2011 को फिल्म रिलीज हुई और इसके तीन महीने पहले ही 14 अगस्त को शम्मी कपूर का निधन हो गया था।