वनडे वर्ल्ड कप इस बार भारत में होने जा रहा है। आम तौर पर भारत की पिचें स्पिनर्स के लिए मुफीद होती हैं। हालांकि, डे-नाइट मैचों के दौरान ओस ज्यादा गिरने पर स्थिति बदल जाती है। फिर स्पिनर्स बेअसर हो जाते हैं। मुश्किलें फास्ट बॉलर को भी आने लगती हैं। इससे टारगेट का पीछा करने वाली टीम की स्थिति बेहतर हो जाती है।
वर्ल्ड कप 5 अक्टूबर से शुरू होकर 19 नवंबर तक चलेगा। इन महीनों में भारत के ज्यादातर शहरों में ओस गिरती है। इससे आशंका है कि यह वर्ल्ड कप टॉस जीतो, पहले फील्डिंग करो और मैच जीतो वाला टूर्नामेंट बन सकता है। हमने पिछले 10 साल में भारत में हुए डे-नाइट मैचों के स्टैस्ट के आधार यह जानने की कोशिश की है कि किन शहरों में ओस का रोल ज्यादा बड़ा होगा।
डे-नाइट मैचों में टॉस जीतने पर कप्तान अक्सर पहले गेंदबाजी चुनते हैं। कारण पूछे जाने पर कहते हैं कि ड्यू फैक्टर के कारण उन्होंने चेज करना चुना। दरअसल, ओस गिरने से क्रिकेट की आउटफील्ड और पिच गीली हो जाती है।
ऐसे में बैटर के शॉट खेलने पर गेंद घास में रोल होते हुए जाती है। इससे गेंद पर पानी लगता है और उस पर फिसलन बढ़ जाती है। गीली बॉल पर गेंदबाज ठीक से पकड़ नहीं बना पाता और गेंद हाथ से फिसलना शुरू कर देती है।
इससे स्पिनर्स गेंद को टर्न नहीं करा पाते, पेसर्स टप्पा मेंटेन नहीं कर पाते और फील्डर्स भी गेंद को आसानी से नहीं पकड़ पाते। इससे बैटर्स हावी हो जाते हैं और रन स्कोरिंग आसान हो जाती है। इस तरह चेज करने वाली टीम को फायदा होता है।
भारत के ज्यादातर शहरों में रात 9 बजे के बाद ओस गिरना शुरू हो जाती है। ठंड के मौसम में ओस का असर रात 7:30 बजे के बाद ही दिखने लग जाता है।
ओस का असर कम करने के लिए ICC ने स्टेडियम में केमिकल का छिड़काव करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन इन केमिकल का असर भारत में ओस पर ज्यादा नहीं पड़ता। IPL के दौरान भी एंटी-ड्यू स्प्रे का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन तब भी ओस पर कुछ खास इफेक्ट नहीं होता और चेज करने वाली टीमों को फायदा होता है
रवि अश्विन और कुछ पूर्व क्रिकेटर्स ने वर्ल्ड कप मैचों की टाइमिंग बदलने का सजेशन दिया था। अश्विन ने कहा था, ड्यू फैक्टर कम करने के लिए वर्ल्ड कप मैच सुबह 11:00 या 12:00 बजे तक शुरू करने चाहिए। जिससे ओस आने से पहले ही मैच खत्म हो जाए और चेजिंग टीम को एक्स्ट्रा बेनिफिट न मिले।
माना जा रहा है कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने ब्रॉडकास्टर्स के दबाव में मैचों की टाइमिंग नहीं बदली। ब्रॉडकास्टर्स प्राइम टाइम (रात 7 से 10 बजे तक) में खेल जारी रखना चाहते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग टीवी पर मैच देखें और उसे महंगे विज्ञापन मिलें।
ICC ने उल्टा मैचों की टाइमिंग आधे घंटे बढ़ाकर दोपहर 2:00 बजे कर दी है। भारत में आम तौर पर डे-नाइट मैच दोपहर 1:30 बजे शुरू हो कर 9 से 9:30 बजे तक खत्म हो जाते हैं। लेकिन अब 2 बजे शुरू होने से मैच रात 10 बजे के बाद खत्म होंगे और चेज करने वाली टीम को आखिर के 25-30 ओवर में फायदा मिलेगा।
2011 वनडे वर्ल्ड का फाइनल याद कीजिए। श्रीलंका ने भारत को जीत के लिए 275 रन का टारगेट दिया था। भारतीय टीम ने जवाब में दो विकेट 31 रन के स्कोर पर गंवा दिए थे। तीसरा विकेट 114 रन के स्कोर पर गिरा। इसके बाद गौतम गंभीर और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने बेहतरीन बल्लेबाजी की और भारत मैच जीत गया। गंभीर और धोनी की मेहनत को ओस ने भी सपोर्ट किया था। भारत की आधी पारी बीतते-बीतते ओस गिरने लगी थी।
सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ 192 रन डिफेंड नहीं कर सके 2016 के टी-20 वर्ल्ड कप में भारत और वेस्टइंडीज के बीच मुंबई में सेमीफाइनल हुआ। भारत ने पहले बैटिंग की और 20 ओवर में 192 रन बनाए। वेस्टइंडीज की पारी रात 9 बजे शुरू हुई, तब तक ओस आनी शुरू हो गई थी। जसप्रीत बुमराह, रवि अश्विन, रवींद्र जडेजा और आशीष नेहरा जैसे गेंदबाज भी गेंद पर पकड़ नहीं बना सके। जिस कारण भारत 7 विकेट से मैच हार गया और फाइनल में नहीं पहुंच सका।
2021ः पाकिस्तान ने 10 विकेट से वर्ल्ड कप मैच हराया 2021 के टी-20 वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच ग्रुप स्टेज मैच दुबई में हुआ। भारत ने पहले बैटिंग की और 7 विकेट पर 151 रन बनाए। पाकिस्तानी पारी शुरू होने के दौरान ओस भी आ गई, जिस कारण पिच बैटिंग के लिए बहुत ही आसान हो गई। पाकिस्तानी ओपनर्स ने इसका फायदा उठाया और 18वें ओवर में ही अपनी टीम को भारत को खिलाफ किसी भी वर्ल्ड कप में पहली जीत दिला दी।
2022ः सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने एकतरफा हराया 2022 के टी-20 वर्ल्ड कप में भारत और इंग्लैंड एडिलेड के मैदान पर सेमीफाइनल में भिड़े। भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 6 विकेट पर 168 रन बनाए। इस बार फिर दूसरी पारी में ओस गिरी। पिच बैटिंग के लिए आसान हो गई और इंग्लैंड ने 169 रन का टारगेट 16 ओवर में ही हासिल कर लिया। भारतीय गेंदबाज एक विकेट भी नहीं निकाल सके।
जब हम इस स्टोरी के लिए स्टैट्स खंगाल रहे थे तो हमने पाया कि वर्ल्ड कप के 10 वेन्यू में से 6 में ओस ने पिछले 10 साल में बड़ा रोल प्ले किया है। ये वेन्यू मुंबई, अहमदाबाद, धर्मशाला, हैदराबाद, बेंगलुरु और कोलकाता हैं। ओस दिल्ली, लखनऊ और चेन्नई में भी गिरती है लेकिन यहां की पिचें काफी धीमी हैं लिहाजा ओस का असर कुछ हद तक न्यूट्रलाइज हो जाता है। पुणे में इन 10 सालों में ओस का नतीजे पर खास असर नहीं दिखा है।नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 2013 के बाद 4 डे-नाइट वनडे खेले गए हैं। 2 बार पहले बैटिंग और 2 ही बार चेजिंग करने वाली टीमों को जीत मिली। पिच वैसे तो बैटिंग फ्रेंडली है, लेकिन पिछले 2 साल से IPL के दौरान चेज करने वाली टीमों ने 52% से ज्यादा मुकाबले जीते हैं। ओस के कारण यहां बाद में बैटिंग और भी आसान हो जाती है।
वानखेड़े स्टेडियम में पिछले 10 साल में 4 डे-नाइट वनडे खेले गए। 3 बार चेजिंग टीम और केवल एक बार पहले बैटिंग करने वाली टीम को जीत मिली। यानी ओस यहां भी मुश्किलें पैदा करेगी। पहले बैटिंग में एकमात्र मैच को भी जीतने के लिए साउथ अफ्रीका को 438 रन का स्कोर खड़ा करना पड़ा था। वानखेड़े में स्पिनर्स के लिए कुछ खास नहीं बचता, 2013 से यहां 78% विकेट पेसर्स को ही मिले हैं।
ईडन गार्डन्स स्टेडियम में 2013 से 5 वनडे खेले गए। 4 बार पहले बैटिंग और एक बार चेज करने वाली टीमों को फायदा मिला। लेकिन पिछले 2 सालों में IPL के दौरान यहां 60% मैच चेज करने वाली टीमों ने ही जीते।
एम चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच बैटिंग को मददगार होने के लिए ही फेमस है। यहां रोहित शर्मा ने 2013 के दौरान वनडे में अपना पहला दोहरा शतक लगाया था। पिछले 10 साल में यहां 3 ही वनडे हुए, 2 बार पहले बैटिंग और एक बार चेज करने वाली टीम ने मैच जीता। लेकिन यहां 54% से ज्यादा IPL मुकाबले चेजिंग टीमों ने ही जीते हैं।
राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम में 3 ही वर्ल्ड कप मैच होंगे, लेकिन यहां भी ओस का असर रहेगा। पिछले 10 साल में यहां 3 वनडे हुए, 2 बार चेजिंग टीम और एक बार पहले बैटिंग करने वाली टीम को जीत मिली। IPL में 57% चेज करने वाली टीमों ने ही जीते। न्यूजीलैंड-पाकिस्तान के बीच वॉर्म-अप मैच में भी ओस का असर दिखा, जहां कीवी टीम ने 346 का टारगेट 44वें ओवर में ही हासिल कर लिया।
धर्मशाला में ओस का असर सबसे ज्यादा रहेगा लेकिन यहां 5 में से 3 मैच सुबह 10 बजे ही शुरू हो जाएंगे। जिस कारण इन पर ओस का असर नहीं होगा, लेकिन 2 डे-नाइट मैचों पर असर जरूर रहेगा। पिछले 10 साल में यहां 3 डे-नाइट मैच हुए, जिनमें से 2 मुकाबले चेजिंग टीमों ने जीते। IPL में भी 55% मुकाबले पहले बॉलिंग करने वाली टीमों ने ही जीते।
MCA स्टेडियम में टीमें टॉस जीतकर बैटिंग करना पसंद करेंगी क्योंकि यहां ओस के बाद भी पिच ज्यादा बदलती नहीं है। 2013 से यहां 7 वनडे हुए, 4 बार पहले बैटिंग और 3 बार चेजिंग टीम को जीत मिली। IPL में भी 55% मुकाबले पहले बैटिंग करने वाली टीमों ने ही जीते।
चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम की पिच हमेशा से स्पिनर्स के लिए फायदेमंद रही है। यहां पिछले 10 साल में 4 वनडे हुए, 3 बार पहले बैटिंग और महज एक बार चेजिंग टीम को जीत मिली। IPL में भी 61% मुकाबले पहले बैटिंग करने वाली टीमों ने ही जीते।
इकाना स्टेडियम की पिच भी स्पिनर्स के लिए फायदेमंद है। यहां पिछले 10 साल में 4 वनडे हुए, जिनमें 50% विकेट स्पिनर्स को मिले। 2 बार पहले बैटिंग और 2 बार ही चेजिंग टीमों को जीत मिली। IPL में भी यहां 67% मुकाबले पहले बैटिंग करने वाली टीमों ने ही जीते। लखनऊ पहली बार किसी ICC इवेंट की मेजबानी करेगा, यहां कुल 5 मैच होंगे।
अरुण जेटली स्टेडियम अपनी धीमी पिच और लो-स्कोरिंग मुकाबलों के लिए मशहूर है। दिल्ली में ओस तो बहुत ज्यादा गिरती है, लेकिन खेल पर इसका असर उतना नहीं होता है। पिछले 10 साल में भी यहां 5 मैच हुए और 4 बार पहले बैटिंग करने वाली टीमों को ही जीत मिली।
वनडे वर्ल्ड कप शुरू होने में 3 ही दिन बाकी रह गए हैं। 5 अक्टूबर से क्रिकेट के सबसे बड़े महाकुंभ की शुरुआत होगी। टूर्नामेंट में 10 टीमें हिस्सा लेंगी और सभी एक-दूसरे के खिलाफ 9-9 लीग मैच खेलेंगी। इस बार सुपर ओवर टाई हुआ तो जब तक मैच का नतीजा नहीं आ जाता तब तक सुपर ओवर ही कराए जाएंगे।