‘मुहब्बत की दुकान’ के नाम पर दानिश अली के गले मिलना बसपा को नहीं आ रहा रास, जानें वजह

बसपा सांसद दानिश अली पर बीजेपी सांसद की विवादित टिप्पणी नया रंग ले रही है. इसमें बीजेपी ने जहां नोटिस के जरिये अपने सांसद से सवाल-जवाब किया है. वहीं पार्टी के दूसरे नेता दानिश अली के आचरण पर ही सवाल उठा रहे हैं. उधर, बसपा प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने मामला प्रकाश में आने पर अपने सांसद के समर्थन में तुरंत ‘एक्स’ पर आवाज बुलंद की. इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अब यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का उनसे गले मिलना सुर्खियां बन रही हैं. लिहाजा, बसपा के अब सभी आला पदाधिकारीयों ने चुप्पी साध ली है. चर्चा है, दानिश और कांग्रेसियों का इस तरह गले मिलना बसपा को रास नहीं आ रहा है.बसपा सांसद दानिश अली पर जिस तरह की टिप्पणी बीजेपी सांसद रमेश विधूड़ी ने की उसकी मुस्लिम समाज में चर्चा जोरों पर है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां अपना सियासी फायदा उठाने में भी नहीं चूक रही हैं. खासकर कांग्रेस का ‘मोहब्बत की दुकान ‘ के नाम पर इस मुद्दे को लपकना बसपा को भी असहज कर रहा है. रणनीतिकार इसे कांग्रेस का ‘मुस्लिम कार्ड’ चलने का दांव बता रहे हैं. ऐसे में बसपा पूरे मसले पर अब बयानबाजी के बजाए पैनी नजर रख रही है. कारण, 6 दिन पहले बसपा प्रमुख के ट्वीट के बाद अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, वहीं कांग्रेस नेताओं का दानिश के आवास पर गले मिलने का सिलसिला जारी है. ऐसे में दानिश के सियासी मिजाज को लेकर भी चर्चाएं आम हैं.
रणनीतिकारों का मानना है कांग्रेस की यह रणनीति सपा पर भी प्रेशर बनाने की है. पश्चिम यूपी से ताल्लुक रखने वाले दानिश मुस्लिम समाज का बड़ा चेहरा हैं. वहीं मुस्लिम वोट पर अपना एकाधिकार जताने वाली सपा को दानिश के बहाने कांग्रेस का संदेश देने की कोशिश है. वह अल्पसंख्यकों से जुड़े मसलों पर किसी से पीछे नहीं है. लिहाजा, यूपी में लोकसभा चुनाव में याचक की भूमिका के बजाए खुलकर मैदान में उतरने का मैसेज दे रही है.