यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की गुरुवार को जंग शुरू होने के बाद दूसरी बार अमेरिका पहुंचे। यहां उन्होंने राष्ट्रपति बाइडेन से मुलाकात की। इस बीच जेलेंस्की ने कहा- यूक्रेन के लिए अमेरिका की मदद बहुत जरूरी है। अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के एक सांसद ने बताया- जेलेंस्की ने उनसे कहा है कि अगर हमें मदद नहीं मिलेगी तो हम जंग हार जाएंगे।
जेलेंस्की के दौरे के समय विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने घोषणा की कि यूक्रेन को जंग के लिए अमेरिका 128 मिलियन डॉलर (1061 करोड़ रूपए) दे रहा है। इसके साथ ही अमेरिका का डिफेंस विभाग 198 मिलियन डॉलर (1642 करोड़ रूपए) के हथियार और इक्विपमेंट्स भी देगा।
अमेरिका ने अब तक पहले यूक्रेन को 110 अरब डॉलर यानी करीब 9 लाख 11 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद की है जिसमें 43 अरब डॉलर के हथियार शामिल हैं। विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन के सांसद विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि इन पैसों को अमेरिका की बॉर्डर सिक्योरिटी पर खर्च करना ज्यादा बेहतर रहेगा। यूक्रेन में हो रहे भ्रष्टाचार से अमेरिका का पैसा बर्बाद हो सकता है।
पैकेज की घोषणा के बाद जेलेंस्की ने अमेरिका को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा- हमारे सैनिकों को अभी इसी की जरूरत है। यह एक पावरफुल पैकेज है। उन सभी अमेरिकी लोगों को धन्यवाद जो इन मुश्किल 575 दिन से यूक्रेन और वहां के नागरिक के साथ खड़े हैं।
जेलेंस्की का अमेरिका का दौरा उस समय हुआ जब रूस यूक्रेन पर फिर से लगातार मिसाइल हमले कर रहा है। रूस के मिसाइल हमलों की वजह से खेरसॉन में कम से कम 3 लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल हुए हैं। अमेरिका के बाद अब जेलेंस्की सपोर्ट की उम्मीद में कनाडा के दौरे पर हैं।
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही अमेरिका यूक्रेन का समर्थन कर रहा है। अमेरिका समय-समय पर यूक्रेन को आर्थिक मदद देता रहा है। सितंबर की शुरुआत में अमेरिका ने यूक्रेन को डिप्लीटेड यूरेनियम से लैस गोला-बारूद (जिसमें यूरेनियम की मात्रा कम हो) भेजने की घोषणा की थी।
इन्हें फायर करने के लिए अमेरिका यूक्रेन को अब्राम टैंक भी दे रहा है, जिसकी पहली डिलीवरी अगले हफ्ते होने की संभावना है। रॉयटर्स के मुताबिक, ये हथियार रूसी टैंकों को तबाह करने में सक्षम होंगे।
ये पहला मौका नहीं है, जब अमेरिका यूक्रेन को कोई विवादित हथियार भेज रहा है। इससे पहले अमेरिका ने क्लस्टर हथियारों की सप्लाई की थी, जिसका यूक्रेन जंग में इस्तेमाल कर रहा है। कम यूरेनियम वाले इस तरह के हथियारों को लेकर कई बार बहस हो चुकी है। इंटरनेशनल कोलिशन ने यूरेनियम वाले हथियारों को बैन करने की भी मांग की थी, क्योंकि इनसे कैंसर और दूसरी गंभीर बीमारियों का खतरा होता है।