राज्य विश्वविद्यालय क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस करते हुए पड़ोसी देशों के विश्वविद्यालयों के MOU करें। इस पहल से फैकल्टी और स्टूडेंट्स दोनों को ही बेहतर एक्सपोजर मिलेगा। ये निर्देश राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को दिए हैं।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि हमारा लक्ष्य ऐसे युवा तैयार करना है, जो नए भारत को सुदृढ़ करने में सहयोग करें, विश्वस्तर पर प्रतिनिधित्व करें। उन्होंने कहा कि जी-20 के सफल आयोजन में विश्व भारत की सशक्त छवि को देखा है। देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सुदृढ़ राज्य के रूप में जाना जाए, इसके लिए हमें अपने विद्यार्थियों और युवाओं को परिपक्व करना होगा। विद्यार्थियों को परिपक्व बनाने का कार्य विश्वविद्यालयों का हैं।
गुरुवार को राजभवन के गांधी सभागार में प्रदेश के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों की नैक ग्रेडिंग, एनआईआरएफ, क्यूएस, एशिया एवं वर्ल्ड रैंकिंग में उत्कृष्ट ग्रेड प्राप्त करने के उद्देश्य से रैंकिंग उन्नयन: एक दिवसीय परिसंवाद कार्यशाला में कहीं। 5 सत्रों में सम्पन्न इस एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में राज्यपाल का स्वागत करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय ने प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता, स्तर, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में आए अभूतपूर्व सुधारों के लिए राज्यपाल के अथक प्रयासों के बारे में बताया।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थान बनाने, गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने तथा विश्वविद्यालयों द्वारा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग प्राप्त करने के लिए राजभवन से विशेष प्रयास किये गये, जिसके सार्थक परिणाम सामने आएं हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग हेतु विश्वविद्यालयों में आपसी तालमेल-सामंजस्य को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए उपक्रम की भूमिका कभी अहम बताया। राज्यपाल ने एनआईआरएफ के ग्रेडिंग के लिए विश्वविद्यालयों में आपसी तालमेल, साझेदारी, शैक्षणिक भागीदारी अपनी उत्कृष्ट सुविधाओं को साझा करने, शोध नवाचारों को अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग के अनुरूप करने पर बल दिया।
कार्यशाला विशेषज्ञ के तौर पर नैक और एनबीए दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नैक, एनआईआरएफ के पैरामीटर्स पर उत्कृष्ट ग्रेड के लिए क्राइटेरिया वाइज सुधारने पर जोर दिया।उन्होंने रैंकिंग के लिए दाखिल किए जाने वाले डेटा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, रैंकिंग परसेप्शन के महत्व, पैरामीटर्स के आधार पर वैरिफिकेशन, डेटा प्रस्तुतिकरण, वैल्यूशन की प्रक्रिया, डेटा दाखिल करने में होने वाली त्रुटियां, भ्रामक उल्लेखों के नकारात्मक असर जैसे बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। प्रो. सहस्रबुद्धे ने परसेप्शन सुधार के लिए आउटपुट पर ध्यान देने के लिए कहा। प्रो. सहस्रबुद्धे ने कार्यशाला में ‘वन नेशन वन डेटा के आधार पर विकसित किए जाने की बात कहते हुए कहा कि इसको विकसित कर लेने पर विश्वविद्यालयों को आवेदन दाखिल करने लिए अलग से डेटा तैयार करने में लगने वाले समय की बचत होगी। प्रत्येक रैंकिंग के लिए इससे स्वतः डेटा लिया जा सकेगा।