बॉलीवुड के ‘ही-मैन कहे जाने वाले धर्मेंद्र (धर्म सिंह देओल) की सेहत को लेकर लुधियाना के गांव साहनेवाल में रहने वाले लोग काफी चिंतित थे। अपने चहेते स्टार की खराब सेहत से जुड़ी खबरों के झूठा निकलने से गांववाले खुश है।
धर्मेंद्र के बीमार होने और इलाज के लिए अमेरिका ले जाए जाने से गांव के लोग टेंशन में थे। सनी देओल की ओर से आए स्पष्टीकरण के बाद लोगों ने धर्मेंद्र की चंगी सेहत के लिए दुआएं कीं।
धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को लुधियाना के गांव डांगो में हुआ था। जन्म के बाद पिता किशन सिंह और माता सतवंत कौर के साथ वह गांव साहनेवाल में किराए के मकान में आकर रहने लगे। उसी मकान में उन्होंने अपना बचपन और जवानी गुजारी।
कॉमेडी शो में धर्मेंद्र ने जिक्र किया था कि साहनेवाल में नंबरदार स्वीट्स (साधु हलवाई) की दुकान की गाजर की बर्फी आज भी उन्हें बेहद पंसद है। जो लोग पंजाब से उन्हें मिलने आते हैं वह अपने साथ साधु हलवाई की बर्फी जरूर लाते हैं
धमेंद्र के गांव के लोगों से बातचीत की। लोगों का आज भी उनके प्रति वही प्यार है जो आज से 45 साल पहले था। गांव के लोग बताते है कि धमेंद्र शुरू से मेहनतकश इंसान रहे है। वह गांव में ट्यूबवेल चलाने का काम करते थे। आस-पास के जितने भी गांव थे सभी गांव में लगे ट्यूबवेल को बंद करना और चलाना उनका काम था।
जिस मकान में वह रहे है आज भी उस मकान के मालिक ने उसे बिल्कुल उसी तरह रखा है। उस मकान के नक्शे में कोई बदलाव नहीं किया। अक्सर धर्मेंद्र के चाहने वाले उनकी यादों को ताजा करने के लिए साहनेवाल में उनके मकान को देखने आते रहते हैं।
धर्मेंद्र की पहली शादी 1954 में 19 साल की उम्र में प्रकाश कौर से हुई थी। इस शादी से उनके 2 बेटे सनी और बॉबी और 2 बेटियां विजेता और अजीता है।
साहनेवाल वाले घर में ही सनी देओल का जन्म हुआ है। उस समय अस्पताल की जगह घर पर गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हुआ करती थी। इस कारण सनी देओल का जन्म इसी घर में हुआ
गांव के लोग बताते है कि स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद धर्मेंद्र ने एक टैलेंट कॉन्टेस्ट के लिए अपनी फोटो भेजी थी और उसमें सिलेक्ट होने के बाद वह एक्टर बनने मुंबई आ गए थे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। अभी तक धर्मेंद्र ने पांच दशकों के करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया है। 1997 में उन्हें हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला।
2012 में धमेंद्र को भारत सरकार द्वारा भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। धर्मेन्द्र ने 1960 में अर्जुन हिंगोरानी की दिल भी तेरा हम भी तेरे के साथ फिल्म जगत में शुरुआत की।
धर्मेंद्र ने भारतीय जनता पार्टी की ओर से 2004 से 2009 तक राजस्थान में बीकानेर का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय संसद (लोकसभा) के सदस्य के रूप में कार्य किया। 2004 में अपने चुनाव अभियान के दौरान, उन्होंने एक आक्रामक टिप्पणी की कि उन्हें “लोकतंत्र के लिए आवश्यक बुनियादी शिष्टाचार” सिखाने के लिए हमेशा के लिए तानाशाह चुना जाना चाहिए, जिसके लिए उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ गया था।
जिस घर में धर्मेंद्र रहते थे उनके पड़ोसी मनजिंदर सिंह भोला मौजूदा पार्षद ने कहा कि अक्सर धर्म पाजी का आना-जाना लगा रहता था। अब आयु अधिक होने के कारण भी कह सकते है कि पिछले करीब 10 सालों से वह साहनेवाल में कम आ रहे है। गांव के मास्टर सुरजीत सिंह थे को धर्मेंद्र के खास दोस्त थे। उन्हें वह मुंबई भी लेकर गए थे। उन्हें उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में काम दिलवाने की भी कोशिश की थे लेकिन मास्टर सुरजीत कामयाब नहीं हो पाए थे।
साहनेवाल का नाम धर्मेंद्र के कारण ही मशहूर है। करीब 5 साल पहले धर्मेंद्र ने एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी इसी घर में की थी। गांव निवासी हेमराज राजी ने बताया कि देश-विदेश से लोग अक्सर साहनेवाल में धर्मेंद्र का घर देखने आते है। सरकार को चाहिए कि साहनेवाल में कोई ऐसी जगह बनवाई जाए जहां धर्मेंद्र के बारे सैलानियों को पूर्ण जानकारी मिल सके।