मायावती का वोट बैंक छीनने में लगे चंद्रशेखर, दलित राजनीति में कौन?

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर छोटे और बड़े राजनीतिक दल अपने-अपने प्रयोग में जुटे हैं। बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद के सक्रिय होने के बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने अपनी यूथ ब्रिगेड को फील्ड पर उतार दिया है।
आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर की टीम मिशन 2024 के चुनाव से पहले खुद को साबित करने में जुटी है। सितंबर महीने से आजाद समाज पार्टी द्वारा चलाए जा रहे अभियान में यूथ दलित को जोड़ने की मुहिम तेज कर दी गई है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चंद्रशेखर आजाद ‘I.N.D.I.A’ के दलों के गठबंधन में अखिलेश यादव के साथ हैं। यही नहीं वह 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ना चाहते हैं, लेकिन चुनाव से पहले आकाश आनंद की बढ़ती राजनीतिक लोकप्रियता और उनके दावों को चुनौती देने के लिए यूपी के कई जिलों में ‘समाज जोड़ो यात्रा’ और मंडलवार समीक्षा बैठक आजाद समाज पार्टी ने तेज कर दी है। 2024 चुनाव से पहले प्रदेश में आकाश VS आजाद के बीच शीत युद्ध की जंग छिड़ चुकी है।
​​​​​​​​​​​​​​गुरुवार को अयोध्या पहुंचे चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सीटें भाजपा के पास है, इसलिए भाजपा का विजय रथ उत्तर प्रदेश में ही रोकेंगे।

आजाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आजाद समाज पार्टी देश बचाओ संविधान बचाओ यात्रा निकाल रही है। इस दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार को लेकर जनता को जागरूक करेंगे और जनता को टिप्स देंगे कि वो आने वाले लोकसभा चुनाव में अपने वोट का सही प्रयोग करे।
भीम आर्मी के नाम से प्रसिद्ध चंद्रशेखर आजाद की राजनीतिक पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) बहुजन समाज के दलित यूथ में अपने पद को मजबूत कर रही है। चंद्रशेखर आजाद ने पार्टी पदाधिकारी के साथ सितंबर महीने में ‘समाज जोड़ो यात्रा’ निकालना शुरू कर दिया है। बसपा के संस्थापक रहे कांशीराम के नाम को जोड़कर आजाद समाज पार्टी में दलित यूथ की नई टीम तैयार कर रहे हैं।
पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि समाज जोड़ो यात्रा के जरिए नई सोच के दलित युवाओं को पार्टी से जोड़ने का संकल्प कराया जा रहा है। कमजोर होती बसपा, राजनैतिक पकड़ और लगातार वोट प्रतिशत कम होने के कारण दलित वर्ग के युवाओं के लिए एक नया विकल्प तैयार किया जा रहा है। आजाद समाज पार्टी की ‘समाज जोड़ो यात्रा’ पूरे सितंबर चलाई जाएगी
भीम आर्मी की पकड़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में मानी जाती रही है। इस बार चंद्रशेखर की पार्टी आजाद समाज पार्टी ने पूर्वांचल और अवध के क्षेत्र में पकड़ मजबूत करने के लिए समीक्षा बैठक मंडलवार कर रही है। पूर्वांचल के 6 मंडलों में समीक्षा बैठक सितंबर माह में ही की गई। बैठक में खासतौर पर 2024 चुनाव को लेकर की जा रही तैयारी और पार्टी की रूपरेखा को बताया जा रहा है।
आजाद समाज पार्टी के सूत्र बताते हैं कि 2024 के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के सुरक्षित सीटों पर आजाद समाज पार्टी मजबूत पकड़ बनाकर बसपा के सामने एक चुनौती के रूप में खड़ी होगी। इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा पूर्वांचल और अवध के क्षेत्र में भीम आर्मी को मजबूत करने के लिए युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने का अभियान चलाया जा रहा है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उत्तर प्रदेश की सत्ता में जितना मजबूत संगठन होगा, उतनी अच्छी दावेदारी चुनाव में पार्टी करती है। यह माना जाता है कि पार्टी की मजबूती को देखते हुए सीटों का बंटवारा होता है। ऐसे में बसपा के विकल्प के तौर पर संगठन तैयार करने की जोड़तोड़ में आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता और उनके पदाधिकारी पूरी तरह से प्लानिंग में जुटे हैं।
चंद्रशेखर आजाद खुद कई बैठकों में पहुंचे। “इंडिया” के घटक दलों में खुद को स्थापित करने के लिए कई जिलों में कार्यक्रमों का आयोजन भी कर रहे हैं। वह यह संदेश दे रहे हैं कि दलित समाज के यूथ और बहुजन वर्ग के लिए आजाद समाज पार्टी लगातार काम कर रही है।
बसपा के संस्थापक कांशीराम की फोटो लगाकर आजाद समाज पार्टी बसपा की उम्मीद और उनके प्रयोग पर खुद को साबित करने का पूरा प्रयास कर रही है। भीमराव आंबेडकर के अलावा कांशीराम की फोटो लगाकर वह बैठकों में बहुजन समाज वर्ग के हित और मुद्दों की बात पर पूरा जोर दे रहे हैं।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि शुरू से दलित वर्ग या कहें बहुजन समाज भीमराव आंबेडकर की नीतियों और उनके बनाए गए सिद्धांतों को फॉलो करता आ रहा है। कांशीराम के सिद्धांतों और दलितों के लिए उठाए गए मुद्दे और उनकी मांगों से प्रेरित रहा है। आजाद समाज पार्टी में जहां कांशीराम का नाम जोड़ा तो वहीं उनकी फोटो और आंबेडकर की फोटो के साथ बहुजन समाज वर्ग में बड़ा संदेश देना चाहते हैं। जिससे दलित वर्ग की युवाओं में कोई भ्रम न स्थापित हो
चंद्रशेखर ने 2022 में चुनाव आयोग को दिए एफिडेविट में बताया था कि उनके खिलाफ 17 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। वैसे पहली बार चंद्रशेखर आजाद के नाम की चर्चा 5 मई 2017 को सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलित और ठाकुर समुदाय के बीच हुई जातीय हिंसा में मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आने के बाद हुई थी।
जातीय हिंसा के बाद वह फरार हो गए थे, जिसके बाद पुलिस ने उन पर 12 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। हालांकि उन्हें बाद में यूपी एसटीएफ ने हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद सहारनपुर में हिंसा भड़कने के डर से दो दिन के लिए मोबाइल इंटरनेट, मैसेजिंग और सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया गया था। इस मामले में चंद्रशेखर को 15 महीने जेल में रहना पड़ा था।
चंद्रशेखर को मार्च 2019 में बिना अनुमति सहारनपुर में रैली निकालने के आरोप में पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। इसी के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें मेरठ में भर्ती कराया गया था। तब प्रियंका गांधी अस्पताल पहुंची थीं।
चंद्रशेखर को मार्च 2019 में बिना अनुमति सहारनपुर में रैली निकालने के आरोप में पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। इसी के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें मेरठ में भर्ती कराया गया था। तब प्रियंका गांधी अस्पताल पहुंची थीं।पश्चिमी यूपी में चंद्रशेखर दलित समाज में यूथ आइकॉन हैं। यूपी की पॉलिटिक्स में ओबीसी के बाद दलित सबसे ज्यादा प्रभावी हैं। यहां 21 प्रतिशत दलित हैं, जिसमें 12 प्रतिशत जाटव और 9% गैर जाटव दलित हैं। यूपी में 84 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं। यूपी में 49 जिले ऐसे हैं, जहां दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं 42 जिले ऐसे हैं, जहां दलित मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से ज्यादा है। इनमें मुजफ्फरनगर में 23%, सहारनपुर में 24%, मेरठ में 23%, बिजनौर में 25%, गाजियाबाद में 21%, बागपत में 20%, अमरोहा में 22%, मुरादाबाद में 18% और गौतमबुद्ध नगर में 18% दलित वोटर्स हैं। इसी तरह लोकसभा की 17 सीटें दलितों के लिए रिजर्व हैं।