इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) का एक डेलिगेशन इन दिनों काबुल में है। OIC मेंबर्स अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत पर वुमन एजुकेशन शुरू करने का दबाव डाल रहा है।
दूसरी तरफ, तालिबान हुकूमत ने OIC के मेंबर कंट्रीज से कहा है कि उन्हें इस मामले में सब्र से काम लेना चाहिए। कुछ मिलाकर अब तक तालिबान हुकूमत और OIC डेलिगेशन के बीच इस मामले में कोई डील नहीं हो सकी है।OIC का जो डेलिगेशन काबुल पहुंचा है, उसमें कई धर्मगुरू भी शामिल हैं। इन्होंने तालिबान हुकूमत के हज और मजहबी मामलों के मंत्री नूर मोहम्मद साकिब के अलावा एजुकेशन मिनिस्टर से भी मुलाकात की।
इसके बाद उन्होंने होम मिनिस्टर सिराजउद्दीन हक्कानी से भी लंबी बातचीत की। बाद में यह कई आला अफसरों से मिले। इस दौरान सबसे ज्यादा फोकस गर्ल्स एजुकेशन पर रहा। तालिबान ने सत्ता में आने के बाद महिला शिक्षा पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी।
OIC ने बाद में एक बयान में कहा- इन मीटिंग्स में हमने इस्लाम पर तफ्सील से बातचीत की। सबसे अहम मसला गर्ल्स एजुकेशन का था। इसके अलावा OIC मेंबर चाहते हैं कि तालिबान हुकूमत महिलाओं को नौकरी करने का भी अधिकार दे। तालिबान ने हमें बताया कि वो इन मुद्दों पर किस तरह काम कर रहा है। इस बारे में हमें जानकारी दी गई है।
तालिबान ने एक बयान जारी किया। इसके मुताबिक- अफगान हुकूमत ने गर्ल्स एजुकेशन के मसले पर OIC मेंबर्स के सामने अपनी बात रखी। हमने उनसे कहा है कि वो इस मामले में सब्र से काम लें। हमारे मिनिस्टर सिराजउद्दीन हक्कानी ने मेंबर्स से कहा- वुमन एजुकेशन की हमारी सोसायटी को भी जरूरत है। हम इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं, लेकिन कोई भी फैसला जमीनी हकीकत को देखकर ही लिया जाएगा। इसलिए आप सब्र रखें।
दूसरी तरफ, अफगानिस्तान की फीमेल स्टूडेंट्स ने हक्कानी और तालिबान के बयान को खारिज कर दिया। इन्होंने कहा- कितना सब्र और रखा जाए। हम इस तरह की पाबंदियों से परेशान हो चुके हैं। करीब दो साल से गर्ल्स एजुकेशन के तमाम इंस्टीट्यूट्स बंद हैं। हमने जब भी तालिबान हुकूमत से इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने स्कूल और कॉलेज जल्द खोलने का भरोसा दिलाया, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ।
तालिबान ने लड़कियों को यूनिवर्सिटी में पढ़ने पर रोक लगाने के बाद अब महिलाओं को पूरी तरह शिक्षा से दूर करने वाला कदम उठाया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, तालिबान ने लड़कियों के प्राथमिक स्कूलों में जाने पर रोक लगा दी है। शिक्षकों से कहा गया है कि वे अब किसी भी उम्र की लड़कियों को नहीं पढ़ा पाएंगे। शिक्षा मंत्रालय व शरिया कानून लागू करने वाले मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक में इस पर फैसला लिया गया।