पाकिस्तान के केयर टेकर प्राइम मिनिस्टर अनवार उल हक काकड़ के मुताबिक, सऊदी अरब सरकार पांच साल के दौरान पाकिस्तान में 25 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट करेगी।
सोमवार रात बातचीत में काकड़ ने कहा- हम मुल्क की इकोनॉमी सुधारने के लिए काफी कोशिश कर रहे हैं। उम्मीद है, जल्द बेहतर नतीजे सामने आने लगेंगे। इसके अलावा एक इंटरव्यू में काकड़ ने कहा- हमारी सरकारी कंपनियां इकोनॉमी को जबरदस्त नुकसान पहुंचा रही हैं। बहुत जल्द हम इन्हें प्राईवेट सेक्टर के हवाले करेंगे। इससे सरकारी खजाने में पैसा भी आएगा और इन कंपनियों की ऑपरेशन्स भी सुधरेंगे।
काकड़ के मुताबिक- सऊदी सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वो दो से पांच साल के दौरान पाकिस्तान में 25 अरब डॉलर इन्वेस्टमेंट करेंगे। ये निवेश अलग-अलग सेक्टर में किया जाएगा।
काकड़ की बात अपनी जगह ठीक हो सकती है, लेकिन यहां एक बात ध्यान रखनी जरूरी है। 2019 और इसके बाद 2022 में सऊदी ने दो बार पाकिस्तान को 10-10 अरब डॉलर के इन्वेस्टमेंट का भरोसा दिलाया था। 2019 में इमरान खान प्रधानमंत्री थे और यह वादा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) की पाकिस्तान विजिट के दौरान किया गया था।
इसके बाद शाहबाज शरीफ जब अगस्त 2022 में सऊदी गए तो यही वादा दोहराया गयाकाकड़ ने कहा- ज्यादातर सरकारी कंपनियां बेहद घाटे में हैं और ये सरकार के लिए बोझ बन चुकी हैं। लिहाजा, हमने एक टीम बनाई है जो जल्द से जल्द इन सरकारी कंपनियों को प्राईवेट सेक्टर के हाथों में सौंपने का प्लान सौंपेगी। इसके बाद 6 महीने में इन कंपनियों को प्राईवेट सेक्टर को बेच दिया जाएगा। माना जा रहा है कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस इनमें से एक होगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक- IMF ने दो महीने पहले पाकिस्तान को 2.9 अरब डॉलर का कर्ज दिया था। इसके पहले उसने कुछ शर्तें रखी थीं। वो साफ कह रहा था कि पाकिस्तान पहले अपने सहयोगी देशों (चीन, सऊदी, यूएई और कतर) से 100% गारंटी दिलाइए, इसके बाद किश्त जारी की जाएगी। इसके बाद तब के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने IMF चीफ से पांच मुलाकातें कीं और किसी तरह लोन हासिल करके मुल्क को दिवालिया होने से बचा लिया था।
ये देश कुछ और ही सोच रखते हैं। चारों ही देश अपने पैसे की गारंटी चाहते हैं। इसके लिए उनकी शर्त थी कि पाकिस्तान सरकार पहले IMF से गारंटी दिलाए। मतलब साफ है कि दोनों ही पक्षों ने पाकिस्तान को जबरदस्त उलझा दिया था। बहरहाल, अब सऊदी मदद ने पाकिस्तान की मदद कर दी है।
चीन ने 2 अरब डॉलर का लोन रोल ओवर किया। यानी इसकी वसूली कुछ वक्त के लिए टाल दी। इसके बाद 500 मिलियन डॉलर कर्ज और भी दे दिया, लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरा समान था। IMF और दूसरे देशों के लिए फिक्र की एक बहुत बड़ी वजह पाकिस्तान पर चीन का कर्ज है। दरअसल, पाकिस्तान ने चीन के प्राइवेट बैंकों से भी पैसा लिया है। इसकी शर्तें और ब्याज दर टॉप सीक्रेट है।
पाकिस्तान की मुश्किल ये है कि अगर वो IMF और दूसरे देशों को यह शर्तें बता देता है तो चीन नाराज हो जाएगा और अगर शर्तें नहीं बताता तो IMF और दूसरे देश कर्ज नहीं देंगे। इसलिए उसका फोकस अब सऊदी और चीन से लोन हासिल करने पर है।
2020 में जब सऊदी ने पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर और उधार पर तेल दिया था, तब एक शर्त रखी थी। सऊदी ने कहा था कि वो 36 घंटे के नोटिस पर यह पैसा वापस ले सकता है। पाकिस्तान को ब्याज भी चुकाना होगा और यह सिर्फ गारंटी मनी होगी। मतलब, पाकिस्तान इसे खर्च नहीं कर सकेगा। इस बार भी शर्तों में बदलाव नहीं हुआ है। लिहाजा, साफ है कि पुरानी शर्तें ही जारी रहेंगी।
2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान पाकिस्तान दौरे पर आए थे। तब इमरान खान प्रधानमंत्री थे और उन्होंने खुद कार ड्राइव की थी। तब भी सलमान ने पाकिस्तान में 10 अरब डॉलर इन्वेस्ट करने का वादा किया था। 3 साल बाद भी वादा पूरा नहीं हुआ है।
सऊदी अरब के फाइनेंस मिनिस्टर मोहम्मद अल जेदान ने फरवरी में पाकिस्तान को साफ शब्दों में सुधरने की नसीहत दी थी। जेदान ने कहा था- हमने अपने सहयोगियों को बहुत साफ तौर पर बता दिया है कि सऊदी अरब ने अब फाइनेंशियल हेल्प और कर्ज देने की पॉलिसी बदल दी है। अब पहले की तरह बिना शर्त कर्ज या गारंटी डिपॉजिट नहीं किए जाएंगे। इन मुल्कों को अपना इकोनॉमिक सिस्टम और इन्फ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त करना होगा।
जेदान ने कहा था – बतौर मुल्क हमने फैसला किया है कि अब हम सहयोगी देशों की उस तरीके से मदद नहीं करेंगे, जैसे पहले करते थे। पहले हम सीधी और बिना शर्त आर्थिक मदद करते थे। उनके खजाने में बिना शर्त डिपॉजिट भी कर देते थे। अब ये नहीं होगा।
सऊदी फाइनेंस मिनिस्टर ने जून में जिनेवा में एक मीटिंग में कहा था- अब तक सऊदी सरकार बिना किसी शर्त और बिना किसी लटकावे के ग्रांट्स या लोन देती थी। वक्त बदल गया है और हम दुनिया के कई देशों और इंस्टीट्यूशन्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि हम ग्रांट मांगने वाले देशों में रिफॉर्म्स देखना चाहते हैं। इतना ही नहीं, हम इसकी मॉनिटरिंग भी करेंगे।
सऊदी फाइनेंस मिनिस्टर ने दो बेहद अहम बातें कहीं थीं। दोनों पाकिस्तान के बारे में कही गईं। पहली- अब ग्रांट यानी मदद नहीं कर्ज मिलेगा। दूसरी- इन देशों ने जो रिफॉर्म्स किए हैं, उनकी मॉनिटरिंग भी की जाएगी।
2020 में इमरान खान पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम थे। तब भी पाकिस्तान बिल्कुल दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया था। उस वक्त सऊदी ने ऐन वक्त पर उसे 3 अरब डॉलर देकर बचा लिया था। एक अरब डॉलर UAE ने दिया था। बतौर मुल्क पाकिस्तान के लिए सबसे शर्मिंदगी वाला मैसेज भी इन दोनों मददगार मुस्लिम दोस्तों ने दिया था।
सऊदी और UAE ने पाकिस्तान के सामने तब दो शर्तें रखीं थीं। पहली- यह पैसा गारंटी मनी या डिपॉजिट होगा। यानी इसे खर्च नहीं किया जा सकता। दूसरी- इस पर ब्याज देना होगा और दोनों ही सरकारें सिर्फ 36 घंटे के नोटिस पर ये पैसा वापस ले लेंगी।
ऐसा हुआ भी। 2021 में जब इमरान खान ने सऊदी को दरकिनार करके मलेशिया और तुर्की के साथ मुस्लिम देशों का नया ब्लॉक बनाने की साजिश रची तो सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान (MBS) बिफर गए। उन्होंने पाकिस्तान से फौरन एक अरब डॉलर की किश्त मांग ली। पाकिस्तान ने चीन से आनन-फानन में यह पैसा लिया और सऊदी को किश्त चुकाई।