राकेश रोशन को किसने कहा था- आप गंजे हैं आपके बेटे का भी यही हाल हुआ तो?

खून भरी मांग, करण अर्जुन, कहो ना प्यार है और कोई मिल गया जैसी बेहतरीन फिल्में डायरेक्ट करने वाले राकेश रोशन आज 74 साल के हो चुके हैं। राकेश के पिता का नाम रोशन नाथ नागरथ था, जो अपनी बेहतरीन कव्वालियों के लिए जाने जाते थे। जब कम उम्र में ही पिता की अचानक मौत हो गई तो राजेश ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा और कई छोटे-मोटे काम किए। आज उनकी गिनती सबसे बेहतरीन डायरेक्टर्स में होती है।
फिल्मी संघर्ष के चलते राकेश रोशन नहीं चाहते थे कि उनका बेटा ऋतिक कभी फिल्मों में आए, लेकिन कुछ सालों बाद उन्होंने फैसला बदल लिया। राकेश के डायरेक्शन में बनी सुपरहिट फिल्म कहो न प्यार है से ऋतिक फिल्मों में आए और स्टार बने। हालांकि इस फिल्म में अपने रोल से नाखुश थे और पिता से जमकर बहस करते थे। यही वो फिल्म थी, जिसके चलते अंडरवर्ल्ड के लोगों ने राकेश रोशन को मारने की कोशिश कर उनपर दो गोलियां चलवाई थीं।
6 सितंबर 1949, राकेश रोशन का जन्म बॉम्बे में मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर रोशनलाल नागरथ और बंगाली सिंगर ईरा रोशन के घर हुआ था। उनके पिता की लिखी कव्वालियां फिल्मों में काफी पसंद की जाती थीं। लागा चुनरी में दाग और निगाहें मिलाने को जी चाहता है, जैसे कई बेहतरीन हिट गानों का कंपोजिशन रोशन नाथ ने ही किया था। राकेश के पिता 20 सालों तक दिल की बीमारी के मरीज थे
राकेश के पिता रोशन की दोस्ती मशहूर फिल्ममेकर जे.ओमप्रकाश से थी। दोनों के पारिवारिक संबंध थे, तो रोशन अक्सर राकेश के साथ उनके घर जाया करते थे। जब जे. ओमप्रकाश अपनी इकलौती बेटी पिंकी के लिए रिश्ता ढूंढ रहे थे, तो उन्हें राकेश से बेहतर कोई लड़का नहीं लगा। उन्होंने रोशन से राकेश की शादी की बात कही और रिश्ता जुड़ गया।
16 नवंबर 1967 की बात है, रोशन अपने परिवार के साथ एक फंक्शन में शामिल हुए थे, जहां उन्हें हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई। उस समय राकेश महज 18 साल के थे। घर के बड़े बेटे थे तो घर की पूरी जिम्मेदारी उन्होंने उठा ली और कुछ जान-पहचान के लोगों की मदद से उन्होंने फिल्मों में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करना शुरू कर दिया। सबसे पहले उन्हें मोहन कुमार के साथ राजेंद्र कुमार और बबीता स्टारर फिल्म अंजाना में बतौर असिस्टेंट काम करने का मौका मिला था।
वैसे तो राकेश रोशन का पूरा नाम राकेशलाल नागरथ है, हालांकि पिता की मौत के बाद उन्होंने पिता के नाम रोशन को ही अपना सरनेम बनाया और राकेश रोशन हो गए। ऐसे ही अब उनकी तीन पीढ़ियां रोशन सरनेम इस्तेमाल करती हैं।
राकेश हमेशा से ही बेहद हैंडसम हुआ करते थे। एक बार एक फिल्म के सेट पर उन पर डायरेक्टर सुदेश कुमार की नजर पड़ी। उन्होंने राकेश को फिल्म मन मंदिर में एक रोल दे दिया, हालांकि उससे पहले ही राकेश ने 1970 की फिल्म घर घर की कहानी से बतौर एक्टर हिंदी सिनेमा में कदम रखा। इस फिल्म में उन्होंने सपोर्टिंग रोल निभाया था। शुरुआती करियर में राकेश ने बतौर सपोर्टिंग एक्टर पहचान बनाई थी। राकेश को ज्यादातर मल्टीस्टारर फिल्मों में जगह दी जाती थी।
उन्हें बतौर लीड पराया धन, आंख मिचोली, खूबसूरत, कामचोर जैसी फिल्में मिलीं, जिनमें ज्यादातर फोकस हीरोइन पर ही होता था। राकेश के करियर की बतौर हीरो सबसे कामयाब फिल्में आंखों-आंखों में, नफरत, एक कुंवारी एक कुंवारा, हमारी बहू अलका और शुभ कामना रही हैं।
1980 में राकेश रोशन ने अपना प्रोडक्शन हाउस फिल्मक्राफ्ट शुरू किया। इस प्रोडक्शन की पहली फिल्म आप के दीवाने (1980) फ्लॉप रही। हालांकि दूसरी फिल्म कामचोर हिट रही और राकेश रोशन ने फिल्में बनाने पर फोकस करना शुरू कर दिया।
एक दिन बचपन में ऋतिक ने अपने कुछ दोस्त घर बुला लिए। कुछ समय बीता तो राकेश रोशन ने सुना कि घर के बाहर कुछ कांच की बोतलें टूट रही हैं। बाहर निकलकर देखा तो ऋतिक अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए खाली कांच की बोतलें छत से फेंक रहे थे। ये देखकर राकेश को इस कदर गुस्सा आया कि वो सीधे छत पर गए और दोस्तों के सामने ही ऋतिक को पीटने लगे। हालांकि उस दिन के बाद उन्हें कभी पिटाई नहीं पड़ी
जब राकेश के बेटे ऋतिक 6 साल के थे तो उनके नाना ने उन्हें फिल्म आशा (1980) में छोटा सा रोल दिया था, जिसके बाद लगातार उन्हें बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम मिलने लगा। जब राकेश रोशन ने खुद बतौर हीरो कमबैक करने के लिए फिल्म भगवान दादा (1986) तो उन्होंने भी बेटे को इसमें छोटा सा रोल दे दिया, लेकिन ये फिल्म फ्लॉप रही थी। ऋतिक अपने पिता से अकसर कहा करते थे कि वो हीरो बनना चाहते हैं, लेकिन राकेश का अपना फिल्मी करियर संघर्षों भरा था तो वो नहीं चाहते थे कि बेटा फिल्मों में आए। वो राकेश को पढ़ाई का हवाला देते हुए फिल्मों से दूर रखते थे
1987 की फिल्म खुदगर्ज से बतौर डायरेक्टर करियर की दूसरी पारी करने के बाद राकेश ने खून भरी मांग (1988), किशन कन्हैया (1990), करण अर्जुन (1995) जैसी कई फिल्में डायरेक्ट कीं।
1998 में राकेश रोशन ने फिल्म कहो ना प्यार है बनाने का फैसला किया। उन्हें लगा कि ऋतिक इस किरदार को अच्छी तरह निभा सकेंगे, ऐसे में उन्होंने फैसला बदल लिया और उन्हें साइन कर लिया। फिल्म में शुरुआत में ऋतिक के साथ करीना कपूर को कास्ट किया गया था, लेकिन राकेश और करीना की मां बबीता के बीच हुई अनबन के चलते राकेश ने उन्हें निकालकर अपनी फैमिली फ्रैंड की बेटी अमीषा पटेल को कास्ट कर लिया।
जब फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तो ऋतिक रोशन अपने किरदार से खुश नहीं थे। उन्हें लग रहा था कि फिल्म में ज्यादातर अच्छे सीन अमीषा के हैं। एक दिन गुस्से में ऋतिक, राकेश के पास पहुंच गए और कहा, मेरे पास फिल्म में ज्यादा कुछ करने को नहीं है, या तो मैं हंस रहा हूं, नाच रहा हूं या बस अच्छा दिखने की कोशिश कर रहा हूं। लोगों को कैसे पता चलेगा कि मैं कुछ कर सकता हूं।
राकेश, बेटे की शिकायत सुनकर गुस्सा हो गए। उन्होंने कहा, मैं एक फिल्म बना रहा हूं, तुम्हें इसमें एक्टिंग करनी है तो करो, लेकिन मुझे ये मत बताओ कि फिल्म कैसे बनानी है। मैं तुम्हें लॉन्च करने के लिए फिल्म नहीं बना रहा, बल्कि फिल्म इसलिए बना रहा हूं क्योंकि मेरे पास एक कहानी है। तुम इसके हीरो इसलिए हो क्योंकि मुझे लगा कि तुम इसमें फिट बैठोगे।

पिता का ऐसा जवाब सुनकर ऋतिक ने कुछ नहीं कहा और शूटिंग में लग गए। फिल्म कहो ना प्यार है, साल 2000 में रिलीज हुई और जबरदस्त हिट रही। ऋतिक रोशन पहली ही फिल्म से स्टार कहे जाने लगे और उन्हें 30 हजार शादी के प्रपोजल मिले। फिल्म के गाने इक पल का जीना और चांद सितारे जबरदस्त हिट रहे।
न्यूकमर ऋतिक और अमीषा की ये फिल्म 2000 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी, जबकि उसी साल हर दिल जो प्यार करेगा, दुल्हन हम ले जाएंगे, मोहब्बतें जैसी बड़े स्टार्स की फिल्में रिलीज हुई थीं। फिल्म कहो ना प्यार है को इतने अवॉर्ड मिले कि इसका नाम लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
फिल्म हिट रही तो राकेश रोशन के पास लगातार अंडरवर्ल्ड के लोगों का कॉल आने लगा। वो लोग फिल्म के मुनाफे का हिस्सा मांग रहे थे, लेकिन राकेश ने उन्हें रुपए देने से साफ इनकार कर दिया।
राकेश 21 जनवरी को तिलक नगर, सांताक्रूज स्थित अपनी ऑफिस से निकले ही थे कि दो बाइक सवार लड़कों ने उन पर गोली चला दी। खून से लथपत राकेश सड़क पर गिर गए और दोनों शूटर भाग निकले। उनका ड्राइवर उन्हें सीधे अस्पताल ले गया, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। एक गोली उनके बाएं हाथ में लगी थी और दूसरी उनकी छाती पर लगी थी। हमलावरों की पहचान बुदेश गैंग के रूप में हुई, जिनके कहने पर सुनील विट्ठल गायकवाड़ और सचिन कांबले ने राकेश को डराने के लिए उनपर हमला किया था। वो ये बताना चाहते थे कि अगर पैसे नहीं दिए तो अगली बार जान भी जा सकती है।
राकेश रोशन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वो अपने बेटे को लॉन्च कर रहे थे, तब एक रिपोर्टर ने उनके गंजेपन का मजाक उड़ाते हुए बेहद अटपटा सवाल किया था। उसने पूछा था, आपके बाल झड़ गए, अगर आपके बेटे का हाल भी यही हुआ तो क्या होगा। इसके जवाब में राकेश ने उस शख्स से कहा था, आपके बाल हैं, आपने जिंदगी में क्या कर लिया। आगे राकेश ने कहा था, भले ही मेरा बेटा अपने बाल खो दे, लेकिन अपनी किस्मत नहीं खोएगा। किस्मत बालों में नहीं उससे थोड़ा नीचे माथे पर होती है।
राकेश रोशन ने एक दिन अपनी बेटी सुनैना की बेटी सुरानिका को एलियन वाला कार्टून देखते हुए देखा। उन्होंने सुरानिका से पूछा कि एलियन क्या होते हैं। जब छोटी सी बच्ची ने एलियन से जुड़ी अपनी जानकारी शेयर की तो राकेश समझ गए कि बच्चों को इस तरह के किरदार पसंद आते हैं। उन्होंने इस सब्जेक्ट पर रिसर्च की और साइंस फिक्शन फिल्म बनाने का फैसला किया।
एलियन का किरदार बनाने के लिए राकेश ने हॉलीवुड के कलाकारों कॉलरन और लारा डैनमैन को भारत बुलाया। वो चाहते थे कि एलियन का किरदार ऐसा हो, जिसे बच्चे पसंद कर सकें।
राकेश रोशन ने फिल्म के लिए कोई आप सा टाइटल चुना था। कुछ समय बाद उन्होंने इसे बदलकर कोई..तुमसा नहीं कर दिया। इससे भी संतुष्टि नहीं मिली तो उन्होंने फिल्म का नाम कैसा जादू किया कर दिया। एक दिन जब टीम ने उन्हें एलियन के किरदार जादू का स्कैच दिखाया तो उन्होंने देखते ही उसे फाइनल कर दिया। देखते ही उन्होंने कहा, जादू मिल गया। जब दो से तीन बार उन्होंने इसी बात को दोहराया तो उन्होंने फिल्म का टाइटल ही कोई मिल गया कर दिया। फिल्म में ऋतिक रोशन और प्रीति जिंटा को कास्ट किया गया, जो पहले मिशन कश्मीर में साथ नजर आ चुके थे।

जब फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तो राकेश रोशन को लगा कि उन्होंने फिल्म शुरू कर गलती कर दी है, क्योंकि इससे पहले इस तरह की फिल्म नहीं बनी थी। लेकिन जैसे ही फिल्म का पहला शॉट हुआ तो ऋतिक की एक्टिंग देखकर उनका शक दूर हो गया।
फिल्म बनकर तैयार हुई तो राकेश ने 10 डिस्ट्रीब्यूटर्स को फिल्म देखने बुलाया। उन्हें लगा था कि ज्यादातर लोग उठकर निकल जाएंगे। जैसे ही फिल्म शुरू हुई तो एक पंजाबी डिस्ट्रीब्यूटर थिएटर से बाहर निकल गया। राकेश बाहर खड़े थे, उन्हें लगा कि उसे फिल्म पसंद नहीं आई, लेकिन वो डिस्ट्रीब्यूटर राकेश के पास आया और गले लग गया। उसने फिल्म की तारीफ की।
2003 तक ज्यादातर नई फिल्मों का पहला शो 6 बजे का होता था और पहले शो से ही समझ आ जाता था कि फिल्म हिट है या फ्लॉप। लेकिन राकेश डरे हुए थे। उन्होंने कोई मिल गया फिल्म रिलीज से पहले डिस्ट्रीब्यूटर से कहा था कि 6 बजे तो दूर फिल्म को 9 बजे भी न दिखाया जाए। उन्होंने तर्क दिया कि लोग सुबह देखने पहुंचेंगे और आधे घंटे में थिएटर से बाहर आ जाएंगे।डिस्ट्रीब्यूटर्स ने राकेश की बात को अनसुना कर दिया और उन्हें बिना बताए सुबह 6 बजे ही फिल्म रिलीज कर दी। कुछ समय बाद डिस्ट्रीब्यूटर का राकेश के पास कॉल आया और उसने बताया कि 6 बजे का पहला शो हाउसफुल था।
फिल्म को मिले थे 3 नेशनल अवॉर्डफिल्म सुपरहिट रही और इसे 3 नेशनल अवॉर्ड मिले। फिल्म के लिए राकेश रोशन को बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड भी मिला था। एलियन दिखाने वाली पहली हिंदी फिल्म आज भी साइंस फिक्शन जॉनर के लिए माइलस्टोन समझी जाती है। इसकी फ्रैंचाइजी फिल्म कृष, कृष 3 की कामयाबी के बाद जल्द ही राकेश रोशन कृष 4 बनाने वाले हैं।
साल 2018 में कृष 4 की शूटिंग करते हुए राकेश रोशन को पता चला कि उन्हें कैंसर है। 3 महीनों तक उनकी कीमोथैरेपी चली, जिस दौरान उनका 12 किलो वजन घट गया था। कुछ समय बाद उन्होंने कैंसर से जंग जीत ली।