डिप्टी सीएम बृजेश पाठक बोले- चुनाव में कभी भी हिंसा हो सकती है

घोसी विधानसभा उपचुनाव को सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। ऐसा 5 साल में पहली बार है, जब किसी चुनाव में शिवपाल यादव को अखिलेश ने इतना बड़ा टास्क दिया है। शिवपाल ने भी कहा है कि उन्होंने कसम खाई है कि जब तक सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को वो जीता नहीं लेंगे, तब तक घोसी छोड़कर नहीं जाएंगे।
जनीतिक पंडित मानते हैं कि घोसी में शिवपाल मैनपुरी मॉडल पर काम कर रहे हैं। मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी उपचुनाव में शिवपाल ने बहू डिंपल को रिकॉर्ड वोटों से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। 15 दिनों में शिवपाल, सुधाकर सिंह के पक्ष में करीब 10 हजार घरों तक वोट मांगने गए हैं। नुक्कड़ सभाएं भी कीं।
कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाए जाने की सूचना पर डीएम-एसपी से मिलकर जवाब तलब किया। ‌वहीं, आज आजमगढ़ में IG अखिलेश कुमार से मुलाकात कर पुलिसकर्मियों के मतदाताओं को धमकाने की शिकायत की। सपा के करीबी सूत्र बताते हैं कि अखिलेश ने यूपी उपचुनाव की जिम्मेदारी शिवपाल को दे दी है। वह खुद I.N.D.I.A गठबंधन में व्यस्त हैं।
शिवपाल का मैनपुरी मॉडल भी BJP के पन्ना प्रमुख फॉर्मूले से मिलता जुलता है। हर लोकसभा क्षेत्र में 10 से ज्यादा लोगों की एक कोर कमेटी बनती है। यह सीधे ग्राउंड की रिपोर्ट पार्टी मुख्यालय में बनी कमेटी को देगी। घोसी उपचुनाव में शिवपाल इसी मॉडल पर काम कर रहे हैं।

चुनाव आयोग के मुताबिक, मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल को 6 लाख से ज्यादा यानी 64% वोट मिले हैं। वहीं, रघुराज शाक्य को 3 लाख 29 हजार 659 वोट मिले हैं। डिंपल को कुल 6 लाख 18 हजार 120 वोट मिले हैं। यानी डिंपल ने बीजेपी उम्मीदवार को कुल 2 लाख 88 हजार 461 वोटों से हराया है। यह सपा के इतिहास में सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी।
शिवपाल लगातार मैदान में डटे हैं। घोसी उपचुनाव के मतदान की तारीख 5 सितंबर करीब आते ही मऊ पुलिस सक्रिय हो गई है। कई हजार लोगों को लाल कॉर्ड दिया गया। इसी बीच, प्रचार थमने से पहले शिवपाल घर-घर जाकर आज सभी से मुलाकात कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश की साख बचाने के लिए चाचा शिवपाल ने घोसी विधानसभा में चुनावी बिसात बिछा दी है।
घोसी उपचुनाव में शिवपाल के जमीन पर उतरने से जहां एक तरफ अखिलेश यादव पर उठ रहे कई सवालों के जवाब कार्यकर्ताओं को मिले हैं। वहीं, अखिलेश को एक और ट्विटर की राजनीति करने का आरोप लगाने वाले नेताओं को भी जवाब शिवपाल के माध्यम से दिया जा रहा है।

2024 के चुनाव से पहले उन्होंने कार्यकर्ताओं को ग्राउंड लेवल पर जिस तरीके से चुनाव में लगाया ही नहीं, फ्रंटल टीम को भी घोसी विधानसभा में चुनाव में उतार दिया है। वह बहुत ही बड़ा सपा के लिए संदेश माना जा रहा है। अखिलेश यादव पर आरोप लगता रहा है कि वह ट्वीट पर मुद्दे उठाते हैं। कभी वह कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चलते हैं। इन सब आरोपी और आलोचनाओं का जवाब देते हुए शिवपाल जमीन पर उतरकर पूरी की है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि 5 साल के बाद शिवपाल किसी उपचुनाव में जिस तरीके से ताकत लगा रहे हैं। उससे कहीं न कहीं 90 की दशक की सक्रियता दिखाने का पूरा मैसेज दे रहे हैं। जानकारों को यह भी मानना है कि शिवपाल के सक्रिय होने की वजह से यूपी के दोनों डिप्टी सीएम, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष समेत दर्जनों मंत्री घोसी चुनाव में पूरी ताकत के साथ प्रचार कर रहे हैं।
चुनाव परिणाम कुछ भी हो लेकिन शिवपाल खुद भी हाशिए की राजनीति से बाहर निकलते हुए एक बार फिर से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने का भी संदेश कार्यकर्ताओं के बीच दे रहे हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने आरोप लगाया कि किस तरीके से सपा के गुंडे अराजकता और धांधली के जरिए चुनाव जीतना चाहते हैं।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह संदेश ही बताता है कि जिस जिस मुद्दे पर भाजपा सपा को घेरती थी। आज वही मुद्दा लेकर बीजेपी के नेता सपा को घेरने का काम कर रहे हैं, जबकि भाजपा की उत्तर प्रदेश में सरकार है। राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि घोसी विधानसभा के उपचुनाव का रिजल्ट चाहे जो भी हो, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी को पहली बार किसी उपचुनाव में इतनी ताकत लगानी पड़ रही है
सपा के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा, ”अखिलेश ने शंका जाहिर की है कि सत्तारूढ़ दल जिस तरह से सरकारी मशीनरी का उपयोग कर रहे हैं। यहां निष्पक्ष चुनाव होना मुश्किल हो गया है। इसी को लेकर हमने दोबारा से राज्य निर्वाचन आयोग ज्ञापन दिया और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है।”
उन्होंने कहा, ”यहां एक इंस्पेक्टर अमित मिश्रा जो कि अपने सेवा नियमावली के विरूद्ध काम कर रहे हैं। लोगों से भाजपा के पक्ष में मतदान की अपील करने के साथ धमकी दे रहे हैं। उन्हें हटाया नहीं गया। सपा के 400 कार्यकर्ताओं को रेड कार्ड जारी किया है जिससे वे मतदान में हिस्सा न ले सकें। ऐसे में निष्पक्ष चुनाव कैसे होगा। एक-एक वोट की कीमत होती है। सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है।’

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने घोसी उपचुनाव में सपा प्रत्याशी की ओर से दलित व मलिन बस्तियों में रुपए बांटने की शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग में की है। उन्होंने कहा, सपा के प्रत्याशी और संगठन की ओर से वोटर्स को खरीदने का कार्य किया जा रहा है। सपा प्रत्याशी की ओर से मुस्लिम और दलित बहुल बूथों एवं गांवों में पैसे बांटे जा रहे हैं। इसके लिए सपा पार्टी के सेक्टर और बूथ स्तर की सूची में उसको मेंशन किया जा रहा है।

सेक्टर सूची में सपा के मऊ जिलाध्यक्ष और मऊ के सपा महासचिव का हस्ताक्षर भी है। इसमें बूथ अध्यक्षों के सामने उनको दिए गए रुपए की संख्या दर्ज की गई है। बाहर से आए लोगों ने गांवों में जाकर लोगों को सपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के लिए धमका रहे हैं। इससे घोसी विधानसभा में माहौल खराब होने की आशंका उत्पन्न हो गई है।डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि सुधाकर सिंह के बेटे सुजीत सिंह ने एक सिपाही को फोन करके धमकाया है। जिस तरीके से सपा प्रत्याशी के बेटे ने चौकी इंचार्ज को धमकी दी है। वह अराजकता का प्रमाण है। ​​​​​सपा पूरी तरह से अराजकता पर उतर आई है। उन्होंने कहा कि चुनाव में कभी भी हिंसा हो सकती है। इस संबंध में चुनाव आयोग से BJP का प्रतिनिधिमंडल शिकायत करेगा।
घोसी विधानसभा सीट पर 6 साल के भीतर चौथी बार चुनाव हो रहे हैं। दिलचस्प है कि PDA (पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक) का नारा बुलंद करने वाली समाजवादी पार्टी ने क्षत्रिय बिरादरी के उम्मीदवार पर दांव लगाया है। जबकि BJP की ओर से दलबदल के लिए चर्चित रहे दारा सिंह चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर है।
जातीय समीकरण (अनुमानित आंकड़ा)
सर्वाधिक आबादी मुस्लिम व दलित वोटरों की है। मुस्लिम वोटर 90 हजार, अनुसूचित वर्ग 70 हजार के करीब है। जबकि 60 हजार यादव, 55 हजार राजभर, 50 हजार नोनिया चौहान, 20 हजार निषाद वोटर्स, 35 हजार वैश्य बिरादरी के वोटर हैं। इसके अलावा, 20 हजार से अधिक भूमिहार, 15 हजार से अधिक राजपूत वोटर हैं। जबकि 11 हजार ब्राह्मण व 10 हजार अन्य जातियां हैं।
इस चुनाव में दारा सिंह चौहान की अपनी बिरादरी के साथ ही इलाकाई वोटरों पर पकड़ का लिटमस टेस्ट हो रहा है।
योगी सरकार की छवि और कामकाज का आकलन होगा तो वहीं, सत्तारूढ़ बीजेपी के अति पिछड़ा कार्ड की भी अग्नि परीक्षा होगी।
सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के सुप्रीमो संजय निषाद सरीखे बीजेपी के सहयोगियों की राजनीतिक प्रभाव की पैमाइश भी होने जा रही है।
अखिलेश के PDA फॉर्मूले के साथ ही नवगठित ‌‌‌‌ विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के जमीनी असर का भी आकलन होगा। तो अखिलेश के चाचा और कद्दावर सपा नेता शिवपाल सिंह यादव की चुनावी कूटनीति को भी परखा जाएगा।