भाजपा ने पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है, पढ़िए खबर

यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा राज्यसभा जाएंगे। भाजपा ने उनको राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी सांसद हरद्वार दुबे के निधन के बाद राज्यसभा की एक सीट खाली हुई थी। 15 सितंबर को इस सीट पर वोट डाले जाएंगे। उसी दिन वोटों की गिनती भी होगी। समीकरणों के हिसाब से दिनेश शर्मा का राज्यसभा में जाना तय है।
वहीं, दिनेश शर्मा के राज्यसभा जाने से यूपी में विधान परिषद की एक सीट पर भी जल्द उपचुनाव होगा। क्योंकि, वह अभी विधान परिषद के सदस्य हैं और उनका कार्यकाल जनवरी, 2027 तक है। दिनेश शर्मा योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में डिप्टी सीएम रहे हैं। हालांकि, योगी 2.0 के मंत्रिमंडल में उनको जगह नहीं मिली थी।दरअसल, 26 जून 2023 को दिल्ली में राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे का निधन हो गया था। इसके बाद राज्यसभा की यह सीट खाली हुई थी। उनका कार्यकाल नवंबर, 2026 तक था। इसके बाद से भाजपा में चर्चा चल रही थी कि इस सीट किसी ब्राह्मण चेहरे को ही उम्मीदवार बनाया जाए। हालांकि, दिनेश शर्मा का लिस्ट में कहीं भी नाम नहीं था। जाने-माने कवि कुमार विश्वास, प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रज बहादुर और पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव के नाम पर लगातार चर्चा चल रही थी। लेकिन भाजपा ने दिनेश के नाम का ऐलान कर सभी को चौंका दिया।
इस सीट पर नामांकन की प्रक्रिया 29 अगस्त से शुरू होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 5 सितंबर है। 6 सितंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। नाम वापसी का अंतिम दिन 8 सितंबर है। 15 सितंबर को वोट डाले जाएंगे। वोटिंग सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक विधानसभा के भीतर ही तिलक हॉल में होगी। वोटों की गिनती उसी दिन शाम 5 बजे से होगी।
स्वर्गीय हरद्वार दुबे ब्रज क्षेत्र के मथुरा के रहने वाले थे। वह ब्राह्मण थे और शायद इसीलिए भाजपा ने ब्राह्मण दिनेश शर्मा को ही प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान का विधानसभा चुनाव होना है। दिनेश शर्मा का 3 राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से रिश्ता है। यूपी में वह डिप्टी सीएम की कुर्सी तक पहुंचे। उनका परिवार मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला है और वह गुजरात के प्रभारी रहे हैं।
इसीलिए दिनेश शर्मा को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने राजस्थान में ब्राह्मण वर्ग के वोटरों में बड़ा मैसेज दिया है। डॉ. दिनेश शर्मा को राज्यसभा भेजने का फैसला राजस्थान चुनाव से पहले जातीय समीकरण साधने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने लिया है। राजनीतिक पंडित यह भी मानते हैं कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में दिनेश शर्मा बीते दो दशक से सक्रिय रहे हैं। इसके साथ ही डॉ. दिनेश शर्मा को राज्यसभा भेजना यूपी के लिए एक बड़ा संदेश भी माना जा रहा है।
डॉ. दिनेश शर्मा बीजेपी के इकलौते ऐसे नेता थे, जिन्हें राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का निमंत्रण मिला था, तब हाशिए पर माने जाने वाले डॉ. शर्मा को लेकर की गई कांग्रेस की कवायद को लेकर कई अटकलें लगी थीं।
हालांकि डॉ. शर्मा ने निमंत्रण ठुकराते हुए कहा था- ‘भारत जोड़ने का वास्तविक कार्य तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। मैं कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आह्वान करता हूं कि वह प्रधानमंत्री के भारत जोड़ो अभियान में योगदान करें।’
भाजपा इससे पहले भी संगठन में काम करने वाले पदाधिकारियों को ही विधान परिषद और राज्यसभा भेजती रही है। साल 2020 में पार्टी ने 8 नेताओं को राज्यसभा भेजा था। इनमें बीएल वर्मा और हरद्वार दुबे का नाम शामिल था। इसके बाद 2012 से 2016 तक पार्टी अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकांत बाजपेई को भी राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया था। साथ ही यूपी भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रहीं दर्शना सिंह को भी पार्टी ने राज्यसभा भेजा था।​​​​​​
बीजेपी सरकार बनने पर इन्हें राज्य मंत्री का दर्जा मिला। साथ ही उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम का उपाध्यक्ष बनाया गया।
भारत सरकार में राष्ट्रीय युवा मोर्चा आयोग के सदस्य भी बने।
उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति व भारत सरकार की युवा नीति तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
पर्यटन निगम के उपाध्यक्ष रहते हुए भाजपा संगठन में उप्र भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश प्रभारी बनाया गया।
2006 में लखनऊ के मेयर चुने गए।
2012 में दूसरी बार लखनऊ के मेयर चुने गए। भारी मतों से विजयी होने पर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज हुआ।
16 अगस्त, 2014 को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और गुजरात प्रदेश का प्रभारी बनाया गया।
देश के सबसे बड़े राजनीतिक सदस्यता अभियान का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया गया, जिसमें राष्ट्रीय नेताओं के मार्गदर्शन में भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी।
2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा की सरकार बनी, तब प्रदेश का उपमुख्यमंत्री चुना गया।
माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी की भी जिम्मेदारी संभाली।
साथ में एक अन्य महत्वपूर्ण दायित्व विधान परिषद में “नेता सदन” की जिम्मेदारी मिली।
औद्योगिक नीति निर्माण के लिए मंत्री समूह के अध्यक्ष रहे।
डॉ. दिनेश शर्मा का जन्म 12 जनवरी, 1964 को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। उनका ताल्लुक लखनऊ के एक कर्मकांडी ब्राह्मण परिवार से है। इनके पिता केदार नाथ शर्मा (पाधाजी) RSS और जनसंघ के कार्यकर्ता थे।
डॉ. दिनेश शर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और फिर बाद में यहीं प्रोफेसर भी रहे। प्रोफेसर कार्यकाल के दौरान उन्होंने 20 से अधिक छात्रों को पीएचडी कराई और 6 किताबें लिखीं।