16 अगस्त 1970, आज से ठीक 53 साल पहले, नई दिल्ली में एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर और नवाब मंसूर अली खान के घर पहली संतान का जन्म हुआ। नाम रखा गया सैफ अली खान पटौदी। ये पटौदी खानदान के 10वें नवाब हैं। पिता नवाब मंसूर अली खान ने राजशाही के साथ-साथ क्रिकेट को अपना प्रोफेशन बनाया, लेकिन सैफ ने मां शर्मिला के नक्शेकदम पर फिल्मी दुनिया चुनी। पहली फिल्म की शूटिंग शुरू की ही थी कि पहले दिन सेट पर 7 साल बड़ी एक्ट्रेस अमृता सिंह को दिल दे बैठे और फिल्म से निकाले गए।
1804 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पटौदी रियासत शुरू करवाई थी। फैज तलाब अली खान इसके पहले नवाब बने, जिन्होंने दूसरी आंग्ला-मराठा की लड़ाई में मराठा साम्राज्य की मदद की थी। उनके पूर्वज 16वीं सदी में लोधी वंश के समय भारत आए थे।
ब्रिटिश इंडिया में पटौदी खानदान का बड़ा रुतबा था, हालांकि 1947 में आजादी के बाद पटौदी रियासत खत्म कर दी। उस समय इसके शासक मोहम्मद इफ्तिखार अली खान पटौदी (सैफ अली खान के दादा जी) थे। हालांकि, उन्हें राजशाही के कुछ विशेषाधिकार दिए गए थे। आगे उन्होंने बतौर क्रिकेटर पहचान हासिल की और इंडियन क्रिकेट टीम का हिस्सा बने। मोहम्मद इफ्तिखार अली खान ने भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की तीसरी बेटी साजिदा सुल्ताना से शादी की थी और ऐसे पटौदी रियासत का रिश्ता भोपाल रियासत से जुड़ गया। इस शादी से इफ्तिखार को एक बेटा मंसूर अली खान (सैफ के पिता) और 3 बेटियां हुईं।
जब सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान 11 साल के हुए तो उनके जन्मदिन के दिन ही पोलो खेलते हुए दादाजी इफ्तिखार की मौत हो गई। 11 साल की उम्र में मंसूर अली खान की पगड़ी रस्म हुई और उन्हें पटौदी खानदान का मुखिया बनाया गया।
कम उम्र से ही इंग्लैंड में पढ़ाई करते हुए मंसूर अली खान की क्रिकेट में रुचि जागी और उन्होंने हुनर की बदौलत इंडियन क्रिकेट टीम के लिए खेलना शुरू कर दिया। 1961 में एक कार एक्सीडेंट के चलते उनकी आंख में कांच का टुकड़ा चला गया, जिससे उनकी आंख पूरी तरह खराब हो गई। डॉक्टर्स की मदद से आंख बचाई गई, लेकिन उन्हें उस आंख से सब कुछ डबल दिखता था। ऐसे में उन्होंने 6 महीनों तक एक आंख बंद कर क्रिकेट की ट्रेनिंग ली और खेल में दमदार वापसी की। पहले मैच में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में 103 रन बनाए थे।
26 दिसंबर 1968 को नवाब मंसूर अली खान पटौदी ने हिंदी सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर से शादी की। शादी के 2 साल बाद 16 अगस्त 1970 को उनके घर बेटे सैफ अली खान का जन्म हुआ। सैफ की दो छोटी बहनें सबा अली खान (जन्म- 1976) और सोहा अली खान (जन्म- 1978) हैं।
सैफ अली खान के जन्म के अगले साल 1971 में भारत सरकार ने पटौदी रियासत के आखिरी नवाब मंसूर अली खान पर नवाब टाइटल इस्तेमाल करने की रोक लगा दी थी।
सैफ अली खान बचपन से ही बेहद जिद्दी और शरारती हुआ करते थे। परवरिश कई नौकरों के बीच हुई। पिता आए दिन अपने सेक्रेटरी के जरिए एक सिल्वर थाली में हैंडरिटन नोट सैफ तक भिजवाते थे, जिसमें लिखा होता था कि आपके पिता आपको पढ़ता हुआ देखना चाहते हैं।
मंसूर अली खान सिगरेट पिया करते थे, जिनके बचे हुए बड्स से सैफ टारगेट प्रैक्टिस करते थे। भोपाल में वो अपनी हवेली में पिता की फेंकी हुई सिगरेट उठाते थे और उन्हें फेंककर उनमें एयरगन से शूट करते थे। एक बार जब पिता ने उन्हें ऐसा करते देखा तो बेल्ट से उनकी जोरदार पिटाई कर दी।
हिमाचल प्रदेश के द लॉरेंस स्कूल से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद सैफ अली खान को 9 साल की उम्र में इंग्लैंड के लॉकर्स पार्क स्कूल भेजा गया। आगे उन्होंने विनचेस्टर कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। भारत की रॉयल फैमिली से ताल्लुक होने के बावजूद सैफ अली खान आम बच्चों की तरह रहते थे। एक बार सैफ ने ऑक्सफोर्ट और कैंब्रिज के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया और वो फर्स्ट आए, इसके बावजूद उन्होंने पढ़ाई न करके भारत लौटने का फैसला किया।
भारत लौटकर सैफ अली खान के पास करियर के लिए कोई विकल्प नहीं था। ऐसे में उन्होंने दिल्ली की एक ऐडवर्टाइजमेंट फर्म में नौकरी करना शुरू कर दी। इसी दौरान उन्हें कुछ टीवी कॉमर्शियल ऐड भी मिल गए। सबसे पहले सैफ अली खान एक फैमिली फ्रेंड की मदद से ग्वालियर सूटिंग के ऐड में नजर आए थे।
सैफ अली खान के लुक और स्क्रीनप्रेजेंस से खुश होकर आनंद महिंद्रो ने उन्हें अपनी एक फिल्म में कास्ट कर लिया और उसके सिलसिले में उन्हें मुंबई बुला लिया। सैफ अकेले मुंबई रहने पहुंच गए और वो नए सफर की शुरुआत के लिए बेहद खुश थे, लेकिन अफसोस वो फिल्म शुरू होने से पहले ही बंद पड़ गई। अब मुंबई पहुंच चुके सैफ के पास कोई रास्ता नहीं बचा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मुंबई में ही बसने का इरादा कर लिया।
साल 1991 में सैफ अली खान को राहुल रवैल ने फिल्म बेखुदी में कास्ट कर लिया। इसी फिल्म से तनूजा की बेटी काजोल भी डेब्यू कर रही थीं।
राहुल रवैल नए एक्टर्स को लॉन्च करने से पहले उस जमाने के नामी लोगों के साथ उनका फोटोशूट करवाते थे। सैफ का फोटोशूट शुरू हुआ और अचानक उस जमाने की मशहूर एक्ट्रेस अमृता सिंह हड़बड़ाते हुए दाखिल हुईं, जो फोटोशूट के लिए लेट हो गई थीं।
सैफ ने उन्हें देखा, लेकिन वो तो सनी देओल और बाकी बड़े सितारों के साथ व्यस्त थीं। जैसे ही फोटोशूट शुरू हुआ तो सैफ ने अपना हाथ अमृता के कंधे पर रख दिया। अमृता ने तुरंत उन्हें घूरा, लेकिन सैफ ने हाथ नहीं हटाया। कुछ दिनों बाद जब फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तो मुहुर्त शॉट का क्लैप देने के लिए फिर अमृता सिंह को बुलाया गया।
शूटिंग का पहला दिन था, लेकिन सैफ की नजरें अमृता पर थीं। वो सीधे अमृता के पास पहुंच गए और उनसे पूछा- क्या आप मेरे साथ डिनर करने चलेंगी?
जवाब मिला- नहीं, मैं बाहर डिनर नहीं करती।
सैफ ने हिम्मत नहीं हारी और फिर पूछा- तो फिर लंच पर चलते हैं।
फिर जवाब मिला- मैं बाहर खाना नहीं खाती, अगर तुम चाहो तो मेरे घर आ सकते हो।
अमृता ने कहा था- अगर तुम्हें लगता है हमारे बीच कुछ होगा, तो तुम गलत हो।
कुछ दिनों बाद एक दिन शूटिंग से फ्री होकर सैफ अली खान सीधे अमृता के घर पहुंच गए। अमृता ने उनके लिए दरवाजा खोला। जैसे ही सैफ आकर बैठे तो उन्होंने देखा कि अमृता अपने चेहरे से मेकअप साफ कर रही थीं।
सैफ को लगा कि शायद अमृता उनमें बिल्कुल इंट्रेस्ट नहीं ले रही हैं, इसीलिए उन्होंने मेकअप किए रहना भी ठीक नहीं समझा। जब उन्हें मेकअप उतारते देख सैफ का चेहरा उतर गया तो अमृता ने उनसे कहा- अगर तुम्हें लगता है कि हमारे बीच कुछ हो सकता है तो तुम गलत हो।
शुरुआत में भले ही अमृता ने सैफ को नजरअंदाज किया, लेकिन पहली मुलाकात इतनी कामयाब रही कि सैफ अपने घर लौटे ही नहीं। दोनों ने एक-दूसरे से प्यार का इजहार किया और किस भी किया। सैफ दो दिनों तक अमृता के घर ही रुके, लेकिन जब बार-बार जब प्रोड्यूसर के कॉल आने लगे तो सैफ को भी शूटिंग पर जाना पड़ा।
जाते हुए सैफ अली खान ने अमृता सिंह से 100 रुपए उधार मांगे। अमृता ने उन्हें कहा कि अगर वो चाहें तो उनकी कार ले जा सकते हैं, लेकिन प्रोडक्शन वालों की कार आ चुकी थी, तो सैफ ने इनकार कर दिया।
सैफ अली खान की डेब्यू फिल्म बेखुदी का पहला शूटिंग शेड्यूल जैसे-तैसे पूरा हो गया, लेकिन अमृता से नजदीकियां बढ़ने के चलते सैफ का ध्यान पूरी तरह शूटिंग से हट चुका था।
अमृता से मिलने के लिए या तो सैफ शूटिंग से गायब हो जाते या घंटों तक सेट पर पूरी यूनिट से इंतजार करवाते। एक दिन सैफ के रवैये से तंग आकर डायरेक्टर ने उनसे साफ कह दिया कि या तो वो अमृता को छोड़ दें या फिल्म। जब सैफ ने अमृता को छोड़ने से इनकार कर दिया तो डायरेक्टर ने उन्हें फिल्म से निकाल दिया। उनकी जगह कमल सदाना ने काजोल के साथ बॉलीवुड डेब्यू किया था।