यूपी की सियासत की धूरी जातीय राजनीति के इर्द-गिर्द है। 2024 से पहले मुस्लिम और OBC वोटर्स को अपने-अपने पाले में करने के लिए सियासी दांव-पेंच और बयानबाजी शुरू हो चुकी है। सपा प्रमुख अखिलेश को निशाना बनाकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के मुसलमानों को गुमराह करने के बयान के बाद बुधवार को अचानक बसपा सुप्रीमो मायावती ने जातीय जनगणना का मुद्दा उठा दिया।
पिछले एक साल से अखिलेश विधानसभा के अंदर से लेकर बाहर तक जातीय जनगणना का मुद्दा उठा रहे थे। ऐसे में मायावती के इस बयान ने I.N.D.I.A और NDA दोनों गठबंधन की चिंता बढ़ा दी है। यह सब कुछ वोटर्स के ध्रुवीकरण की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है। अगर, ऐसा होता है, तो पसमांदा मुस्लिमों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही BJP की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं, I.N.D.I.A यानी यूपी में अखिलेश के राजनीतिक प्लान को भी धक्का पहुंचेगा।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि जातीय जनगणना उत्तर प्रदेश समेत देशभर के सभी राज्यों में कराए जाने की मांग उठाकर मायावती ने बीजेपी के सामने चिंता की लाइन खींच दी है। बीजेपी बिहार में दबी जुबान जातीय जनगणना का समर्थन कर रही है। लेकिन वह जानती है कि यूपी समेत देश में अगर जातीय जनगणना हुई, तो OBC वर्ग एकजुट हो जाएगा। क्योंकि, बीजेपी पर शुरू से ही बनिया और सामान्य वर्ग की पार्टी होने का आरोप लगता है। ऐसे में बसपा प्रमुख ने जातीय जनगणना और मंडल कमीशन की सिफारिश लागू करने की मांग की है। यह भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती हो गई है।
इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, सपा और RLD के अलावा उत्तर प्रदेश में कोई और दल प्रमुख रूप से नहीं जुड़ा है। ऐसे में राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर मायावती जातीय जनगणना की मांग को लेकर और मुखर होती हैं तो OBC वोट बैंक में बिखराव होगा। इसका नुकसान इंडिया के दलों में सबसे ज्यादा सपा को हो सकता है। बसपा प्रमुख का यह दांव कहीं न कहीं भाजपा के NDA और सपा के INDIA दोनों को नुकसान उठाना होगा।
उत्तर प्रदेश के 45% मुस्लिम आबादी वाली रामपुर लोकसभा सीट पर BJP को 42 हजार वोटों से जीत मिली। मुस्लिमों के गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ उप-चुनाव में भी 13 साल बाद BJP कमल खिलाने में कामयाब रही है। BJP प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने दावा किया है कि UP विधानसभा चुनाव में 8% पसमांदा का वोट BJP को मिला है।
इसके अलावा CSDS लोकनीति सर्वे 2022 ने भी अपने रिपोर्ट में बताया है कि 8% पसमांदा मुस्लिमों ने UP विधानसभा में BJP को वोट दिए। इसकी वजह से कई सीटों पर BJP की जीत में पसमांदा ने अहम भूमिका निभाई है। UP विधानसभा चुनाव 2022 में 34 मुस्लिम विधायक जीतकर लखनऊ पहुंचे हैं, जिनमें से 30 विधायक पसमांदा हैं।
उत्तर प्रदेश की कुल आबादी में पसमांदा मुस्लिम 18% हैं। ऐसे में साफ है कि ‘स्नेह यात्रा’ के जरिए BJP न सिर्फ 80 लोकसभा वाले UP बल्कि बिहार, बंगाल, झारखंड जैसे राज्यों में भी राजनीति साधने की कोशिश कर रही है।