एक ऐसी एक्ट्रेस जिनके चेहरे से लोगों की नजरें नहीं हटती थीं तभी ये 10 साल तक दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं की लिस्ट में शामिल रहीं। ये एक्ट्रेस लीला नायडू थीं। लीला की खूबसूरती से प्रभावित होने वालों में राज कपूर और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे दिग्गज कलाकार शामिल थे। राज कपूर ने लीला को अपनी फिल्म में लेने के लिए कई जतन किए लेकिन उन्हें 3 बार नाकामी हाथ लगी। वहीं, ऋषिकेश मुखर्जी भी लाख कोशिशों के बाद ही लीला को फिल्म अनुराधा में कास्ट करने में सफल हो पाए।
इस फिल्म के जरिए लीला नायडू की किस्मत चमक गई क्योंकि उनकी पहली ही फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिल गया था। लीला को करियर में कामयाबी तो मिली लेकिन निजी जिंदगी 2 असफल शादियों के कारण हमेशा उथल-पुथल भरी रही। आखिरी समय तो और बुरा गुजरा क्योंकि सारे ऐशोआराम में पली-बढ़ीं लीला को तंगहाली का सामना करना पड़ा। बेटियां भी छिन गईं तो नशे को सहारा बनाया और खुद को अपने ही घर में कैद कर लिया।
भारत के बड़े न्यूक्लियर साइंटिस्ट रहे रमैय्या नायडू की मुलाकात लंदन में फ्रेंच जर्नलिस्ट और इंडोलॉजिस्ट डॉ. मार्थे मांगे से हुई थी। मार्थे के पिता फ्रांस के एक बड़े और नामी बिजनेसमैन थे। दोनों को प्यार हुआ और दोनों शादी कर मुंबई में बस गए। मार्थे का 6 बार गर्भपात हुआ, जिसके बाद 7वीं बार 1950 में इनके घर बेटी का जन्म हुआ। नाम दिया गया लीला नायडू। सरोजिनी नायडू इनकी आंटी थीं। बचपन से बड़े लोगों के बीच उठना-बैठना और हर शौक पूरा करने की इजाजत। कुछ ही समय में पूरा परिवार यूरोप शिफ्ट हो गया और लीला का दाखिला स्विट्जरलैंड के एक नामी स्कूल में करवाया गया। कम उम्र से ही लीला को एक्टिंग में दिलचस्पी थी तो उन्हें मशहूर फ्रेंच एक्टर जीन रेनोर से एक्टिंग क्लासेस दिलवाई गईं।
मूल भारत, लेकिन वेस्टर्न एलेगेंस से भरे इनके नैन-नक्श अच्छे-अच्छों की निगाहें रोक लिया करते थे। एक दिन ग्रैंड होटल ओपेरा, पेरिस पहुंचीं लीला नायडू पर मशहूर आर्टिस्ट साल्वाडोर डाली की नजर पड़ी। वो वहां पेंटिंग करने पहुंचे थे, तो उन्होंने लीला को एक तस्वीर के लिए पोज करने को कहा। लीला मान गईं तो साल्वाडोर ने उनकी पेंटिंग बना डाली।
टीनएज में लीला का परिवार दोबारा भारत पहुंच गया, जहां लीला ने महाराष्ट्र से फेमिना मिस इंडिया में हिस्सा लिया। महज 14 साल की लीला ने मिस इंडिया का खिताब हासिल किया।
1954 में लीला को वोग मैगजीन ने दुनिया की 5 सबसे खूबसूरत महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया।
दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं की लिस्ट में जयपुर की महारानी गायत्री देवी भी शामिल थीं।
1957 में फिल्मों में आने से पहले ही लीला नायडू ने महज 17 साल की उम्र में तिलक राज ओबेरॉय से शादी की थी। ये वही तिलक थे, जिनके पिता मोहन सिंह ओबेरॉय, लग्जरी ओबेरॉय होटल चेन के मालिक और बड़े बिजनेसमैन थे। तिलक, लीला से उम्र में 16 साल बड़े और 33 साल के थे। शादी के कुछ समय बाद कपल को दो जुड़वां बेटियां प्रिया और माया हुईं। फाउंटेन इंक वेबसाइट में लीला की करीबी दोस्त के हवाले से बताया गया है कि तिलक एक शराबी थे जो लीला के साथ बुरा बर्ताव किया करते थे, लेकिन लीला ने कभी उन्होंने पब्लिकली अपनी निजी जिंदगी के बुरे अनुभवों को जाहिर नहीं किया
मिंस इंडिया रह चुकीं लीला नायडू को राज कपूर अपनी फिल्म की हीरोइन बनाना चाहते थे, लेकिन लीला फिल्मों में आने के बजाय पढ़ाई करना चाहती थीं। राज कपूर ने एक-दो नहीं बल्कि पूरे 3 बार उन्हें फिल्म ऑफर की, लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जाने की चाहत में उन्होंने हर बार इनकार कर दिया। उस जमाने के मशहूर फिल्ममेकर ऋषिकेश मुखर्जी भी स्वतंत्रता सेनानी और फोटोग्राफर कमलादेवी चटोपाध्याय द्वारा खींची गई एक तस्वीर देखकर लीला को फिल्म में लेने का फैसला कर चुके थे। उन्होंने कई बार पूरी स्क्रिप्ट के साथ लीला को फिल्म ऑफर की। आखिरकार वो अनुराधा फिल्म करने के लिए मान गईं।पहले से शादीशुदा और दो बेटियों की मां लीला जब ‘अनुराधा’ फिल्म में आईं तो उनकी खूबसूरती से हर कोई प्रभावित हो गया, लेकिन अफसोस की ये फिल्म कमाई नहीं कर सकी। फ्लॉप होने के बावजूद इसे बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला और साथ ही लीला को मिली देशभर में पहचान। फिल्म के गाने ‘हाए रे वो दिन क्यों ना आए..’, ‘जाने कैसे सपनों में खो गईं अखियां..’, ‘कैसे दिन बीते कैसे बीती रातें..’ सालों साल लोगों की जुबान पर रहे।
पहली ही फिल्म के सेट पर लीला शूटिंग से जुडे़ लोगों के लिए आवाज उठाने लगी थीं। एक दिन सेट पर लीला, एक्स्ट्रा एक्टर्स के लिए सबसे लड़ पड़ीं। उनका कहना था कि इन लोगों को बड़े स्टार्स की तरह बैठने की कुर्सी क्यों नहीं दी जाती। लोगों ने उन्हें समझाया कि वो लोग एक्स्ट्रा हैं, लेकिन लीला नहीं मानीं। उल्टा जिद करने लगीं कि अगर उन्हें कुर्सी नहीं दी जाएगी तो खुद भी पूरा दिन सेट पर खड़ी रहेंगी। आखिरकार लोगों को उनकी बात माननी पड़ी और सेट पर मौजूद एक्स्ट्रा कलाकारों को बैठने के लिए कुर्सी मिली। कुछ ऐसा ही उन्होंने अपनी आखिरी फिल्म इलेक्ट्रिक मून के सेट पर भी किया जब मिसमैनेजमेंट से शूटिंग शेड्यूल खराब हो रहा था। ये थीं लीला जो हर तबके के लोगों को एक नजर से देखती थीं।
लीला उम्मीद और ये रास्ते हैं प्यार के जैसी फिल्मों में नजर आईं। ये रास्ते हैं प्यार के फिल्म फेमस नानावटी केस पर आधारित थी। विवादित सब्जेक्ट होने के बावजूद ये फिल्म फ्लॉप हो गई, लेकिन गानों ने फिर एक बार दर्शकों को खूब इम्प्रेस किया। इन्होंने अपने करियर में महज 9 फिल्में कीं, लेकिन उनकी खूबसूरती और उससे ज्यादा खूबसूरत रवैया हर किसी के जेहन में गहरी छाप छोड़ने वाला था।
मां फ्रेंच थीं तो लीला भी फ्रेंच बोलने में माहिर थीं वहीं उन्होंने भारत में रहते हुए देवनागिरी भी सीखी। हॉन्गकॉन्ग और विदेश से आई हुई कई फिल्मों को लीला अपनी आवाज में हिंदी में डब किया करती थीं।
सत्यजीत रे लीला, अमेरिक एक्टर मर्लन ब्रांडो और शशि कपूर को लेकर इंग्लिश फिल्म द जर्नी बनाना चाहते थे, लेकिन ये फिल्म कभी बनी ही नहीं। इसके अलावा लीला को फिल्म गाइड में रोजी का रोल ऑफर किया गया, लेकिन रोजी का किरदार एक प्रोफेशनल डांसर का था तो उनकी जगह वहीदा रहमान को लीड रोल मिल गया।
1964 की फिल्म बागी के बाद लीला को फिल्में मिलना लगभग बंद हो गईं। उन्होंने द गुरू फिल्म में कैमियो रोल किया और फिल्मों से दूरी बना ली। 6 साल बाद लीला ने श्याम बेनेगल की फिल्म त्रिकाल से कमबैक करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पहले जितनी कामयाबी नहीं मिली।
फिल्मों में काम करना बंद किया तो लीला ने अपना प्रोडक्शन हाउस लीला नायडू फिल्म बनाई जिसके बैनर तले वो दबे हुए सब्जेक्ट पर डॉक्यूमेंट्री बनाना चाहती थीं। लीला ने पहली डॉक्यूमेंट्री द सर्टेन चाइल्डहुड बनाई। दूसरी डॉक्यूमेंट्री उन्होंने हाउसलेस बॉम्बे बनाई, लेकिन कुछ आर्थिक दिक्कतों के कारण ये पूरी नहीं हो सकी। उन्होंने प्रोडक्शन हाउस बंद कर दिया और बॉम्बे की एक मैगजीन की नोट्स में बतौर एडिटर काम करने लगीं।
1969 में मशहूर राइटर डोम मोरियस ने तलाकशुदा लीला के पिता से उनका हाथ मांगा तो पिता राजी हो गए। लीला को डोम के साथ न्यूयॉर्क, हॉन्गकॉन्ग समेत दुनियाभर के कई शहरों को करीब से जानने का मौका मिला। दोनों कुछ समय नई दिल्ली में भी रहे और फिर मुंबई लौट आए। इस शादी से लीला को कोई बच्चे नहीं थे। लीला की दोस्त ने एक इंटरव्यू में कहा था कि डोम मोरियस एक बड़बोले किस्म के धोखेबाज, झूठे और शराबी थे, जिनका असल जिंदगी में कोई दोस्त नहीं था।
आखिरकार 1990 तक ये रिश्ता भी टूट गया। दूसरी शादी टूटने का सदमा लीला बर्दाश्त नहीं कर सकीं। लीला ने दुनिया से दूरी बना ली और कोलाबा के एक कच्चे ईंटों से बने बड़े से घर में अकेले रहने लगीं।
माउंटेन इंक में लीला के दोस्त और राइटर सुनील मूर्ति ने उनसे जुड़ी कुछ अहम बातें लिखीं। इसके अनुसार, लीला के साथ आखिरी समय में एक तमिल सर्वेंट सेलवम था, जो उनके लिए खाना बनाने, सफाई करने, दवाइयां देने और दिन से रात भर में भर चुके ऐशट्रे को खाली करने का काम किया करता था। 1991 में जब लीला के पिता की मौत हुई तो उन्होंने उनकी जमीन को हासिल करने के लिए सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ी और जमा पूंजी उसमें लगा दी। देखते-ही-देखते इनके सारे पैसे खत्म हो गए। गुजारा करने के लिए उन्होंने अपने घर को ही किराए पर देकर गुजारा किया।
जब सालों बाद सुनील, लीला से मिलने पहुंचे तो देखा कि उनके बाल सफेद हो चुके हैं, चेहरे पर झुर्रियां पड़ चुकी हैं और कपड़ों के नाम पर एक मामूली गाउन है। लीला अकेले रहते हुए नशे में चूर होने लगी थीं। आए दिन नशे में घर पर ही गिरती थीं, जिसके कारण उनके शरीर पर हमेशा चोट रहती थी। दोस्त ने रिहैब सेंटर और दवाइयों से मदद करने की कोशिश की, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। दोस्त चिल्लाता रहता और लीला हर बार हां कहने के बावजूद नशे में और ज्यादा डूबती जातीं। थक हारकर दोस्त ने भी उन्हें समझाना बंद कर दिया और लीला की हालत बद से बदतर होती देखते रहे। एक दिन दोस्त उनसे मिलने पहुंचा तो वो इंतजार करवाने के बावजूद कमरे से बाहर नहीं आईं। दोस्त ने बाहर से ही गुडबाय कहा और चला गया। वो उनकी आखिरी मुलाकात थी।
लीला की बेटियां प्रिया और माया अकसर उनसे मिलने आया करती थीं, लेकिन कभी लीला ने उनसे मदद नहीं ली। इनकी बेटी प्रिया का 8 फरवरी 2008 में हार्टअटैक से निधन हो गया। लीला भी अब बीमार रहने लगी थीं।