शाम का वक्त था। अमजद खान की पत्नी शेहला खान ने बेटे शादाब खान से कहा कि वो अमजद खान को उठा दे क्योंकि वो बहुत देर से सो रहे थे। जब शादाब उन्हें जगाने गए तब उनकी बॉडी बर्फ की तरह ठंडी थी। ये देख वो घबरा गए और तुरंत नजदीकी डॉक्टर को बुलाने चले गए।
डॉक्टर आए और उन्होंने बताया कि अमजद खान को हार्ट अटैक आया है। इसके बाद उन्होंने तुरंत ही एंड्रेलिन नाम का इंजेक्शन लाने को कहा। डॉक्टर के कहते ही शादाब घर से इंजेक्शन लेने निकल पड़े। वो इंजेक्शन आसानी से मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध नहीं रहता था। उम्मीद लिए वो फिर भी पागलों की तरह दुकान-दुकान इंजेक्शन के बारे में पूछ रहे थे। आखिरकार लंबी-दौड़ भाग के बाद उन्हें आशा पारेख हॉस्पिटल के बगल के एक मेडिकल स्टोर में ये इंजेक्शन मिला।
वो इंजेक्शन लेकर घर आए और डॉक्टर को दे दिया। वो डॉक्टर से राहत भरे जवाब का इंतजार कर रहे थे, लेकिन डॉक्टर ने उनकी सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने शादाब से कहा- अब बहुत देर हो चुकी है। आपके पिता अब नहीं रहे।
शादाब के पैरों तले जमीन खिसक गई। ये बात सुनकर वो गुस्से में इतना तिलमिला गए कि उन्होंने डॉक्टर को ही मार दिया। क्राॅकरी तोड़ दी और तेज मुक्का दीवार में मार दिया, जिस वजह से उनके हाथ में चोट लग गई, जिसे ठीक होने में भी काफी वक्त लगा।
पिता के चले जाने का गहरा सदमा छोटे बेटे को भी लगा। कई दिनों तक वो बहुत बीमार रहा, फिर उसे अस्थमा का अटैक आ गया। अमजद खान के जाने से उनके परिवार पर आर्थिक संकट भी गहरा गया था, लेकिन उनकी पत्नी शेहला ने हिम्मत दिखाई। परिवार की खातिर उन्होंने दुखों को दबाए रखा और कंस्ट्रक्शन बिजनेस में उतरकर परिवार का सहारा बनीं।
अमजद खान की लाइफ कई ट्रेजडी से भरी रही। 30 के दशक के टॉप मोस्ट एक्टर जयंत जकारिया खान के बेटे होने के बावजूद उन्हें इंडस्ट्री में खुद की पहचान बनाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा।
अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को पेशावर में एक्टर जयंत के घर हुआ था। पेशावर अब पाकिस्तान का हिस्सा है। 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद उनका पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। अमजद खान की स्कूलिंग बांद्रा के सेंट एड्रिव हाई स्कूल से हुई और R.D कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया।
उस वक्त उनके पिता जयंत फिल्म इंडस्ट्री के नामी एक्टर थे। पिता की एक्टिंग स्किल्स से अमजद खान को भी एक्टर बनने की प्रेरणा मिली। वो अक्सर कहते थे कि उन्हें किसी एक्टिंग क्लास की जरूरत नहीं। उन्होंने एक्टिंग के सारे गुण अपने पिता से ही सीखे। एक्टिंग के लिए उनकी मां भी उन्हें प्रेरित किया करती थीं।
11 साल की उम्र से ही उन्होंने फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम करना शुरू कर दिया था। फिल्म का नाम था नाजनीन। इस फिल्म में उन्होंने अपने पिता के साथ स्क्रीन शेयर किया था। फिर उन्होंने राज कपूर की बनाई हुई फिल्म ‘दिल्ली दूर नहीं है’ में काम किया। फिल्म में उनके अपोजिट उस वक्त के बेहतरीन एक्टर मोतीलाल थे। इसके बाद तो अमजद खान का फिल्मों के लिए प्यार और बढ़ता गया।अमजद खान फिल्मों के साथ रंगमंच से भी जुड़े रहे। ये वो वक्त था जब सलमान खान के पिता राइटर सलीम फिल्म शोले में गब्बर सिंह की भूमिका के लिए एक कलाकार की तलाश में थे। इसी दौरान जब उन्होंने एक नाटक में अमजद खान को देखा तो वो उनकी एक्टिंग के मुरीद हो गए। सलीम उनके पिता को भी जानते थे। जब अमजद खान छोटे थे, तब सलीम का उनके घर आना-जाना था।
नाटक खत्म हो जाने के बाद सलीम ने उनसे कहा कि उन्होंने एक कहानी लिखी है, जिसे रमेश सिप्पी डायरेक्ट कर रहे हैं। फिल्म में एक रोल है, जिसके लिए उन्हें ऑडिशन देना होगा। अमजद खान ऑडिशन के लिए तैयार हो गए। स्क्रीन टेस्ट के बाद उनका सिलेक्शन भी हो गया।
गब्बर के रोल के लिए फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी की पहली पसंद डैनी थे। उस वक्त डैनी इंडस्ट्री के टाॅप विलेन थे, लेकिन वो फिल्म धर्मात्मा की शूटिंग में बिजी थे। इस वजह से उन्होंने शोले फिल्म के लिए मना कर दिया। फिर सलीम ने अमजद खान की सिफारिश इस रोल के लिए की।अमजद खान की संवाद अदायगी का भी एक किस्सा मशहूर है, जब लोगों ने उनकी आवाज का मजाक बनाया था। शोले की शूटिंग के दौरान लोग अमजद खान के डायलॉग डिलीवरी पर ताने मारते थे। कहते थे कि उनकी आवाज में दम नहीं है और वो अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और संजीव कुमार को क्या टक्कर देंगे।
अमजद खान भी अपनी डायलॉग डिलीवरी से परेशान थे। शोले की शूटिंग के पहले दिन उन्हें ‘कितने आदमी थे’ डायलॉग बोलना था, लेकिन वो ठीक से बोल नहीं पा रहे थे। बार-बार रीटेक ले रहे थे। लगभग 40 रीटेक लिए, लेकिन डायलॉग नहीं बोल पाए। डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने उन्हें आराम करने के लिए भेज दिया।
ये बात उन्हें बहुत परेशान कर रही थी। उन्होंने इस रोल के लिए बहुत तैयारियां की थीं, लेकिन शूटिंग के दौरान उनकी सारी तैयारियां धरी रह गईं। इस बात से आहत वो पूरी रात रोए। फिर अगले दिन नए उत्साह के साथ शूटिंग के लिए निकल गए। उस दिन उन्होंने कुछ टेक में ही सीन पूरा कर दिया।
शोले की शूटिंग के शुरुआती दिनों के संघर्ष के कारण ये चर्चा होने लगी कि अमजद खान का काम अच्छा नहीं है और शायद उन्हें फिल्म से निकाल भी दिया जाए। फिल्म फ्लॉप ना हो जाए, इस डर से सलीम ने रमेश सिप्पी से कहा था कि अगर वो अमजद खान से संतुष्ट नहीं हैं, तो इस रोल के लिए किसी दूसरे के बारे में भी सोच सकते हैं। इसके बाद ये बात चर्चा में रही कि फिल्म से अमजद को निकाल दिया गया है। हालांकि अंत तक रमेश सिप्पी गब्बर के रोल के लिए अमजद खान के फेवर में ही रहे।
इन अफवाहों की भनक अमजद खान को भी हुई। साथ ही उन्हें इस बात का भी बुरा लगा कि जिस शख्स से उनके नाम की सिफारिश फिल्म के लिए की, वही फिल्म से उन्हें क्यों निकलवाना चाह रहे थे। इसके बाद उनके मन में सलीम खान के लिए गलतफहमी बस गई तो हमेशा रही। फिल्म शोले के बाद उन्होंने कभी भी सलीम खान के साथ किसी दूसरी फिल्म में काम नहीं किया।
जिस दिन फिल्म शोले के लिए अमजद खान को सिलेक्ट किया गया था, उसी दिन उनके बेटे शादाब का जन्म हुआ था। ये वक्त ऐसा था कि उनकी आर्थिक हालत बेहद खराब थी। बेटे के जन्म के तुरंत बाद ही वो शूटिंग के लिए निकल गए थे।
दरअसल, वो बहुत शर्मिंदा थे क्योंकि उनके पास पत्नी और बेटे को डिस्चार्ज कराने के पैसे भी नहीं थे। तब इस बुरे दौर में चेतन आनंद ने उन्हें 400 रुपए देकर मदद की थी। पैसे मिल जाने के बाद वो पत्नी और बेटे को डिस्चार्ज करा कर घर ले लाए थे।अमजद खान की बड़ी ख्वाहिश थी कि शोले में उनकी एक्टिंग को उनके पिता देखें, लेकिन किस्मत को ये मंजूर नहीं था। 15 अगस्त 1975 को फिल्म शोले रिलीज हुई थी, लेकिन इससे ढाई महीने पहले ही 2 जून 1975 को उनके पिता जयंत का निधन हो गया। इस वजह से उनकी ये ख्वाहिश ताउम्र अधूरी रही।अमजद खान चाय के बहुत शौकीन थे। वो एक दिन में करीब 30 कप चाय पी जाते थे। जब उन्हें चाय टाइम पर नहीं मिलती थी तो वो परेशान हो उठते थे।
एक बार वो पृथ्वी थिएटर में नाटक का रिहर्सल कर रहे थे। उस दौरान उन्हें चाय नहीं मिली। वजह पूछने पर पता चला कि दूध खत्म हो गया। अगले दिन वो एक भैंस लेकर गए और सेट पर उसे बांध दिया। फिर चाय बनाने वाले से कहा- कुछ भी हो जाए, चाय किसी भी हाल में मुझे मिलनी ही चाहिए।अमजद खान की लव स्टोरी भी कम फिल्मी नहीं है। शेहला और अमजद खान पड़ोसी थे। जब वो ग्रेजुएशन कर रहे थे, तब शेहला की उम्र 14 साल थी। दोनों कभी-कभार साथ में बैडमिंटन खेलते थे। शेहला उन्हें भाई कहकर पुकारती थीं। एक दिन अमजद खान उनके पास गए और कहा- तुम मुझे भाई ना कहा करो।कुछ दिनों बाद शेहला स्कूल से लौट रही थीं। तभी अमजद खान ने उन्हें रोक कर उनके नाम का मतलब पूछा। वो जवाब देतीं, इससे पहले अमजद ने खुद ही नाम का अर्थ बताया- जिसकी आंखें डार्क हो। फिर आगे कहा कि- तुम जल्दी बड़ी हो जाओ, मैं तुमसे शादी करूंगा।
बिना वक्त गंवाए उन्होंने शादी का प्रपोजल शेहला के घर भेज भी दिया, लेकिन घरवालों ने शेहला की उम्र कम बता कर प्रस्ताव ठुकरा दिया। इस घटना को कुछ ही दिन बीते थे कि पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए शेहला को अलीगढ़ भेज दिया।
इस दौरान शेहला और अमजद खान खत के जरिए बातें किया करते थे। कुछ ही हफ्ते गुजरे थे कि शेहला बहुत बीमार पड़ गईं, जिस कारण वो वापस मुंबई आ गईं। शेहला का एक सब्जेक्ट फारसी था, जिसकी क्लास वो अमजद खान से लिया करती थीं, क्योंकि वो फारसी की पढ़ाई कर चुके थे। पढ़ाई के दौरान वो दोनों और करीब आ गए।
दोनों कई साल तक रिलेशनशिप में रहे, फिर दोबारा अमजद खान ने शादी का प्रस्ताव शेहला के घर भेजा। इस बार उनके परिवार वाले मान गए और दोनों की शादी 1972 में हो गई।
फिल्म शोले की रिलीज के कुछ ही दिन गुजरे थे कि अमजद खान एक हादसे का शिकार हो गए। फिल्म द ग्रेट गैम्बलर की शूटिंग के दौरान उनका कार एक्सीडेंट हो गया, जिसमें वो बुरी तरह से घायल हो गए। हालांकि कुछ समय बाद वो ठीक हो गए, लेकिन दवाइयों का रिएक्शन हो गया। उनका मोटापा तेजी से बढ़ने लगा। हालात ये हो गए कि वो ढंग से चल भी नहीं पा रहे थे।
एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया था कि वो जो ये दुख झेल रहे हैं, अल्लाह ने सजा दी है। दरअसल, उन्होंने शोले की रिलीज से पहले ये दुआ मांगी थी कि अगर फिल्म सुपरहिट हो जाएगी तो वो फिल्मों में काम करना बंद कर देंगे। वहीं फिल्म जब सुपरहिट हो गई तो उन्होंने अल्लाह से किया अपना वादा नहीं निभाया और फिल्मों में काम करते रहे।अमजद खान ने अपने फिल्मी करियर में 55 से ज्यादा फिल्में की थीं। विलेन के साथ उन्होंने कॉमेडी जाॅनर की फिल्में भी की थीं। इसके अलावा उन्होंने 1983 की फिल्म चोर-पुलिस और 1985 की फिल्म ‘अमीर आदमी गरीब आदमी’ का डायरेक्शन भी किया था।