पश्चिम बंगाल के 64% मुस्लिम आबादी वाले सागरदिघी में मार्च 2023 में उपचुनाव हुए, TMC हार गई। मुस्लिम बहुल भांगड़ में पंचायत चुनाव हुए, TMC के सामने नई पार्टी ISF ने 43 सीटें जीत लीं। मुस्लिम बहुल बालीगंज में उपचुनाव हुए, TMC जीत तो गई, लेकिन मार्जिन 20% कम हो गया। बालीगंज सीट के 7 वार्डों में 60% से ज्यादा मुस्लिम आबादी है।
इन नतीजों से निकले संकेत बताते हैं कि मुस्लिम वोटर्स ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से दूर हो रहे हैं। भांगड़ में TMC पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने से पहले जीत रही थी, अब वहीं के मुस्लिम वोटर बंट गए हैं।
24 साउथ परगना जिले के भांगड़ में घूमने पर पता चला कि बड़ी संख्या में लोग फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दकी की पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट यानी ISF से जुड़ रहे हैं। हमने कुछ नौजवानों से पूछा- अब तक TMC के साथ थे, अब साथ क्यों छोड़ रहे हो। वे बोले- TMC ने हमारा सिर्फ इस्तेमाल किया है।
ये बातचीत पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के पहले हुई थी। लोगों की नाराजगी नतीजों में भी नजर आई। भांगड़ के ब्लॉक-1 में तो TMC जीती, लेकिन ब्लॉक-2 में ISF ने 132 में से 43 सीटें जीत लीं। TMC ने ISF का प्रभाव रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। दोनों पार्टियों के एग्रेसिव कैंपेन के बीच भांगड़ में नॉमिनेशन के दौरान हिंसा हुई, जिसमें तीन लोग मारे गए थे।
हालांकि, भांगड़ सिर्फ एक एग्जाम्पल है। बंगाल में बीते दो साल में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जो बताती हैं कि मुस्लिम वोटर दूसरी पार्टियों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। ये अब तक ममता बनर्जी के साथ एकतरफा खड़े होते थे।
TMC ने 2021 के विधानसभा चुनाव में BJP को पटखनी दी थी, इसकी बड़ी वजह 27% मुस्लिम वोटर थे। CSDS-लोकनीति पोस्ट पोल एनालिसिस के मुताबिक, इस चुनाव में 10 में से 8 मुस्लिमों ने TMC को वोट दिया था।अब पंचायत चुनाव के पहले हुए उपचुनाव पर आते हैं। TMC 2011 से ये सीट जीत रही थी। 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में सागरदिघी सीट TMC के सुब्रत साहा ने 50 हजार वोटों से जीती थी। 22 महीने बाद ही ये सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। कांग्रेस कैंडिडेट बायरन बिस्वास ने 23 हजार वोट से ये चुनाव जीता था।
हालांकि, नतीजों के कुछ महीने बाद ही कांग्रेस कैंडिडेट TMC में शामिल हो गए। सागरदिघी में मिली हार का असर CM ममता बनर्जी को भी पता है। इसलिए उन्होंने हार की समीक्षा के लिए अल्पसंख्यक मंत्रियों की एक कमेटी बनाई थी। साथ ही अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष को हटा दिया था। इसे नाराज चल रहे अल्पसंख्यकों को मनाने की कोशिश की तरह देखा गया।कोलकाता का दिल कही जाने वाली बालीगंज सीट 2021 में TMC के सुब्रत मुखर्जी ने 70% वोट के साथ जीती थी। BJP को 20% और लेफ्ट-कांग्रेस अलायंस को 5% वोट मिले थे। सुब्रत मुखर्जी के निधन के बाद यहां उपचुनाव हुए। TMC ने BJP से आए पूर्व मंत्री बाबुल सुप्रियो को कैंडिडेट बनाया
बाबुल का माइनॉरिटी कम्युनिटी ने विरोध किया था, क्योंकि BJP में रहते हुए वे मुस्लिम विरोधी बयान दे चुके थे। बाबुल जीत तो गए, लेकिन मार्जिन 70% से 49% पर आ गया। वहीं लेफ्ट-कांग्रेस अलायंस के वोट बढ़कर 30% पर पहुंच गए।
पंचायत चुनाव में भांगड़ के अलावा मुस्लिम बहुल हुगली, पूर्वी बर्दवान और मालदा में भी TMC कई सीटों पर हार गई। इनमें से ज्यादातर सीटें CPM ने जीती हैं। मालदा में ऐसी भी सीटें हैं, जिन पर TMC कम मार्जिन से जीती है।
हावड़ा के स्टूडेंट एक्टिविस्ट अनीस खान की मौत पर काफी हंगामा हुआ था। लोगों ने प्रदर्शन किए। परिवार ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था। CM ममता बनर्जी ने SIT बनाई, लेकिन परिवार ने CBI जांच की मांग की थी। अनीस की मौत का राज सामने नहीं आया, आरोप पुलिस पर था, इसलिए अल्पसंख्यकों में TMC सरकार के खिलाफ गुस्सा है।
अब ‘गैंग्स ऑफ बागतुई’ पर आते हैं। बागतुई पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आता है। ये झारखंड बॉर्डर से एकदम सटा हुआ है। गांव की आबादी करीब 5 हजार है, जिनमें 80% से ज्यादा मुस्लिम हैं। पिछले साल यहां हुई हिंसा में 10 मुस्लिम मारे गए थे। मामला बढ़ा तो CM ममता बनर्जी बागतुई का दौरा करने पहुंचीं और पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता दी।
पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाए थे कि TMC के लोकल लीडर्स सब जानते थे। उनके इन्वॉल्वमेंट से ही इतनी बड़ी हिंसा हुई। पुलिस ने इस केस में TMC के ब्लॉक प्रेसिडेंट को अरेस्ट किया था। कोलकाता हाईकोर्ट के निर्देश पर केस की जांच CBI कर रही है।
पश्चिम बंगाल के फुरफुरा शरीफ में पीरजादा अब्बास सिद्दकी ने 2021 चुनाव के पहले इंडियन सेक्युलर फ्रंट नाम की पार्टी बनाई थी। ISF ने लेफ्ट और कांग्रेस के साथ अलायंस में चुनाव लड़ा। भांगड़ की सीट अब्बास सिद्दकी के भाई नौशाद सिद्दकी जीत गए
TMC ने BJP से आए नेता अर्जुन सिंह, राजीव बनर्जी, बाबुल सुप्रियो जैसे नेताओं के लिए दरवाजे खोल दिए। BJP में रहने के दौरान ये नेता मुस्लिम विरोधी बयान देते थे। इनके बयानों से मुस्लिमों में नाराजगी थी। माना गया कि मुस्लिम समुदाय को इन नेताओं का TMC में शामिल होना पसंद नहीं आया।
पश्चिम बंगाल में 27% मुस्लिम आबादी चुनाव में हार-जीत तय करती है। पहले उनका सपोर्ट लेफ्ट को था। इसकी बदौलत CPI-M ने 34 साल तक पश्चिम बंगाल पर राज किया। 2008 से मुस्लिमों का सपोर्ट ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को मिलना शुरू हुआ, जो 2021 में पीक पर पहुंचा। बीते दो साल में हुए चुनावों के नतीजों से साफ है कि इनके वोट दोबारा लेफ्ट-कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं।
हालांकि, TMC के नेशनल वॉइस प्रेसिडेंट जयप्रकाश मजूमदार ऐसा नहीं मानते। वे कहते हैं, ‘ये बात सही नहीं है कि माइनॉरिटी कम्युनिटी TMC से दूर जा रही है। मुस्लिम बहुल मालदा, मुर्शिदाबाद, नदिया, हावड़ा और हुगली में हमने बहुमत के साथ पंचायत चुनाव जीता है।’
‘ISF का सिर्फ एक विधायक भांगड़ में है। वहां भी 50-50 का मामला है। चुनाव में सबसे ज्यादा हिंसा वहीं हुई। वहां TMC को 50% से ज्यादा वोट मिले।’
वहीं BJP बंगाल के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य कहते हैं, ‘बंगाल में बीते 11 साल में सबसे ज्यादा मर्डर माइनॉरिटी कम्युनिटी के लोगों के हुए हैं। उनका कोई सोशल, इकोनॉमिक लेवल पर डेवलपमेंट नहीं हुआ। अब माइनॉरिटी के लोग समझ रहे हैं कि उन्हें इस्तेमाल किया जा रहा है। TMC पंचायत चुनाव में लूट से जीती है। हमारे उम्मीदवारों के सर्टिफिकेट फाड़ दिए गए। इसलिए हम इन नतीजों को नहीं मान रहे
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के नतीजे TMC के लिए ही नहीं, BJP के लिए भी परेशान करने वाले हैं। कैसे, पढ़िए इस रिपोर्ट में…
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि BJP का वोट शेयर लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब आधा रह गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 40% वोट मिले थे। पंचायत चुनाव में ये 23% रह गए। हालांकि, इस बार के पंचायत चुनाव में BJP को 2018 से ज्यादा सीटें मिली हैं।