सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटे हैं। 80 लोकसभा सीट पर प्रशिक्षण शिविर के जरिए कोर कैडर मजबूत करने का प्लान था। शुरुआत गोला गोकर्णनाथ और नैमिषारण्य से हुई थी। अखिलेश खुद कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे थे। इसके बाद हरदोई में आयोजन होना था, लेकिन शिविर लगा नहीं। 42 दिन बाद भी अखिलेश के दौरे को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है।
वहीं अब सपा PDA और जातीय जनगणना की डिमांड के साथ अपने पुराने एजेंडा के साथ आगे बढ़ रही है। दूसरी तरफ, BJP जनसंपर्क अभियान के जरिए 5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का दावा कर रही है।
बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे को टक्कर देने के लिए सपा ने नैमिषारण्य और गोला गोकर्णनाथ में प्रशिक्षण शिविर करके पूरा माहौल बनाया। 5 और 6 जून खीरी और 9-10 जून को सीतापुर में पार्टी के दो दिवसीय कार्यक्रमों में अखिलेश यादव भी मौजूद रहे। अखिलेश ने लोक जागरण यात्रा की शुरुआत भी की।
दूसरी तरफ, बीजेपी ने सभी 80 लोकसभा सीट पर सांसद, मंत्री, विधायक और कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतार किया। टिफिन पर चर्चा और महाजनसंपर्क अभियान छेड़ा गया। पार्टी की तरफ से दावा है कि करीब 5 करोड़ से ज्यादा लोगों से संपर्क हुआ।
सपा के सोर्स बताते हैं कि सभी 80 लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव का दौरा होना था। इसको लेकर कार्यकर्ताओं में उत्साह था। अब लोकसभा चुनाव में 8 से 10 महीने ही बचे हैं। अभी पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव के दौरे को लेकर कोई नया कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है।
दूसरी तरफ, पीएम मोदी खुद गोरखपुर में गीता प्रेस के जरिए संदेश दे चुके हैं। BJP में नितिन गडकरी, जेपी नड्डा समेत तमाम बड़े चेहरे यूपी का दौरा कर रहे हैं। NDA को यूपी के अंदर लगातार मजबूत किया जा रहा है। दावा पूरी 80 सीट जीतने का किया जा रहा है।
अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव में बसपा सरकार के खिलाफ रथ यात्रा और फिर साइकिल यात्रा निकाली थी। विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से सपा की सरकार प्रदेश में आई थी और अखिलेश यादव पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
सपा को 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठजोड़ के बाद भी कुल 54 सीटें ही मिल पाई थीं। इस बाद समाजवादी पार्टी ने सत्ता में वापसी के लिए 2022 में ‘विजय रथ’ निकाला था। इस यात्रा से सपा सत्ता में तो नहीं आ सकी, लेकिन पार्टी की सीटें दो गुना हो गई थी। सूबे में 111 पर पहुंच गई। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अखिलेश के दौरे में जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर रथ यात्रा करने का प्रोटोकॉल शामिल किया गया।
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सपा अपने पुराने एजेंडे पर लौटती दिख रही है। सपा ने प्रशिक्षण शिविर में जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर ‘लोक जागरण यात्रा’ को रवाना करने की योजना बनाई है। इससे साफ जाहिर है कि सपा की कोशिश अपने कोर वोट बैंक यादव-मुस्लिम को साधे रखते हुए दलित और OBC को जोड़ने की है।
2022 में सपा के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई थी। इसलिए पहला टारगेट इस 36% वोट को सुरक्षित रखना है। सपा जाति के इर्द-गिर्द 2024 का चुनावी एजेंडा सेट करना चाहती है, जिसके लिए सपा प्रमुख जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।
ऐसा इसलिए क्योंकि सपा की ‘यादव परस्त’ छवि ने ओबीसी-दलित समुदाय की जातियों का विश्वास खोया है। ऐसे में सपा अब जातिगत जनगणना की मांग को धार देकर OBC की राजनीति को दोबारा से खड़ी करना चाहती है ताकि बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड का सामना किया जाए सके?