लखनऊ के जाबाज कैप्टन अंशुमान सिंह सियाचिन मेंशहीद, AFMC टॉप कर बने थे डॉक्टर

सियाचिन हादसे में शहीद हुए लखनऊ के जाबाज कैप्टन अंशुमान सिंह की इसी साल फरवरी में शादी हुई थी। अंशुमान मूल रूप से देवरिया के रहने वाले थे। लखनऊ के पारा मोहान रोड स्थित जिस घर में छह महीने पहले कैप्टन अंशुमान सिंह की शादी की शहनाई गूंजी थी, वहां अचानक से मातम पसर गया। बुधवार सुबह सेना मेडिकल कोर और कमांड अस्पताल के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी कैप्टन अंशुमान सिंह के घर पहुंचे। उन्होंने पिता रवि प्रताप सिंह को कैप्टन अंशुमान सिंह के शहीद होने की खबर दी।

कुछ देर में उनके परिचितों और रिश्तेदारों का घर पहुंचना शुरू हो गया। बेहाल मां मंजू सिंह के आंसू नहीं रुक रहे थे । पश्चिमी लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में बंकर में आग लगने से बलिदानी कैप्टन अंशुमान सिंह ने परिवार से ही जांबाजी सीखी थी। उनके पिता रवि प्रताप सिंह सेना में JCO थे। कैप्टन अंशुमान के चाचा सहित परिवार के कई सदस्य सेना में विभिन्न पदों पर तैनात रहे हैं। कैप्टन अंशुमान शुरू से ही मेधावी थे। कक्षा छह से इंटर तक की पढ़ाई उन्होंने मिलिट्री स्कूल से की थी
पढ़ाई के बाद उनका चयन आर्मर्ड फोर्स मेडिकल कालेज पुणे में हो गया। वहां से एमबीबीएस करने के बाद कैप्टन अंशुमान सिंह सेना की मेडिकल कोर में शामिल हुए। छह महीने पहले ही 10 फरवरी को होशियारपुर की स्मृति के साथ हुआ था । स्मृति पेशे से इंजीनियर हैं और उनके माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। आगरा मिलिट्री हास्पिटल में ट्रेनिंग के बाद वहीं उनकी तैनाती हो गई थी। पिछले दिनों कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात एक बटालियन के वह मेडिकल आफिसर बने । कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचीन गए थे। कैप्टन अंशुमान सिंह की मां मंजू सिंह के अलावा भाई घनश्याम सिंह और बहन तान्या सिंह हैं। दोनों ही नोएडा में डाक्टर हैं।
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चैल के छात्र रहे अंशुमान की शादी इसी वर्ष फरवरी में पठानकोट की सृष्टि सिंह से हुई थी। उनके पिता रवि प्रताप सिंह सेना की सिग्नल कोर से गत वर्ष सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। कैप्टन अंशुमान आम्र्ड फोर्स मेडिकल कालेज से पासआउट होने के बाद इस समय वह लाख के सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थे।
मूल रूप से देवरिया के रहने वाले अंशुमान का घर लखनऊ में है। शहीद कैप्टन का पार्थिव शरीर गुरुवार को लखनऊ लाया जाएगा। कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत की खबर सुनकर पैतृक गांव बरडीहा दलपत में कोहराम मच गया। उनके पिता रविप्रताप उर्फ अखिलेश प्रताप सिंह सेना से सूबेदार पद से रिटायर हैं। नौकरी में रहने के दौरान ही आलमनगर मोहान रोड पर मकान बनवा लिया था। वे पत्नी व बच्चों के साथ वहीं रहते हैं।