आज ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) का चंद्रयान-3 लॉन्च होगा। पूरे अंतरिक्ष में अगर सबसे ज्यादा कोई चीज हमें लुभाती है, तो वो है चांद। साइंस की रिसर्च से फिल्मों की मेकिंग तक चांद हर जगह छाया हुआ है। सिनेमा और चांद का रिश्ता एक सदी से भी ज्यादा पुराना है। साल 1902 में फ्रांस में सबसे पहले चांद पर एक फिल्म बनाई गई थी, इसका नाम था- ए ट्रिप टु मून। फिल्म पूरी दुनिया में हिट हुई क्योंकि ये अपनी तरह का पहला प्रयोग था, जब किसी ने चांद पर जाने के बारे में सोचा।
सिनेमा में चांद सबसे ज्यादा यूज हुआ है। भारत में फिल्मों के नाम से, गानों के बोल तक चांद हर जगह है। गीतकार गुलजार ने तो चांद पर इतने गाने लिखे हैं कि एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- ‘मैं सोचता हूं कि मुझे चांद पर कॉपीराइट ले लेना चाहिए।’
माइकल जैक्सन के सिग्नेचर डांस स्टेप का नाम था मूनवॉक। जैक्सन के डांस से गुलजार के गानों तक चांद दुनियाभर की फिल्मों में हमेशा पसंदीदा सब्जेक्ट रहा है।
सिनेमा इतिहास की पहली साइंस फिक्शन फिल्म ए ट्रिप टु मून थी। ये 1902 की शॉर्ट फिल्म थी जिसके डायरेक्टर और राइटर जॉर्जेस मेलियस थे। ये फिल्म 10,000 फ्रैंक, मतलब आज के हिसाब से 9.34 लाख रुपए में बनी थी।
फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे एस्ट्रोनॉमी क्लब के प्रोफेसर बारबेनफौइलिस अपने कुछ साथियों के साथ चांद पर जाते हैं और तरह-तरह की खोज करते हैं
रिलीज के बाद फिल्म की पॉपुलैरिटी फ्रांस समेत यूनाइटेड अमेरिका में भी थी। इसकी वजह ये थी फिल्म के जरिए लोगों को एक नई दुनिया देखने को मिली थी, जो उनके लिए किसी अचंभे से कम नहीं था।
20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 मिशन में नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज एल्ड्रिन और माइकल ने चांद पर लैंडिंग की थी। तीनों में से नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने पहले अपना कदम चांद पर रखा था, जिसके साथ उन्होंने चांद की सतह पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।
नील आर्मस्ट्रॉन्ग के बाद बज एल्ड्रिन ने चांद पर अपना कदम रखा था। जब बज ने चांद पर अपना कदम रखा था, जब वहां पर फ्लाई मी टु द मून गीत बजा था। इसी के साथ ये चंद्रमा पर बजने वाला पहला गीत बन गया था।
गाने और फिल्मों के अलावा चांद के नाम पर डांस भी है जिसे हम मूनवॉक के नाम से जानते हैं। किंग ऑफ पॉप माइकल जैक्सन ने 1983 में टीवी शो मोटाउन की 25वीं एनिवर्सरी पर एक डांस मूव किया, जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया। इस मूव को माइकल ने मूनवॉक नाम दिया था।
कई लोगों का ये भी दावा है कि 1943 में, अमेरिकन टैप डांसर बिल बेली ने फिल्म द केबिन इन द स्काई में पहली बार ऑन-स्क्रीन बैकस्लाइड की परफॉर्मेंस दी थी। बैकस्लाइड डांस मूव काफी हद तक मूनवॉक से मिलता है।
इसका नाम मूनवॉक क्यों पड़ा, इसकी ठोस वजह तो नहीं पता, लेकिन इस डांस स्टेप को माइकल जैक्सन ने भी खुद किसी और से सीखा था। जब टीवी शोज में उन्होंने इसकी परफॉर्मेंस दी, तब लोगों ने उनसे इस डांस मूव का नाम पूछा, तब उन्होंने इसका नाम मूनवॉक दिया जिसका मतलब चांद पर चलना।
डांस मूव के अलावा माइकल जैक्सन की ऑटोबायोग्राफी का नाम भी मूनवॉक है। उन्होंने खुद पर एक फिल्म बनाई थी, जिसमें उन्होंने खुद के म्यूजिक वीडियो को भी शामिल किया था। 92 मिनट की इस फीचर फिल्म का नाम मूनवॉकर था।
माइकल जैक्सन के एक जादूगर दोस्त थे, जिन्होंने बताया कि माइकल हमेशा से चांद पर जाकर मूनवॉक करना चाहते थे।
बॉलीवुड ने फिल्मों में चांद पर बेस्ड सीन्स से हमें कभी निराश नहीं किया है। बॉलीवुड लेखकों और शायरों ने हर समय चांद का एक नया अर्थ खोजा है, जिससे सिनेमा को नए-नए मास्टरपीस मिले हैं। चांद हमेशा खूबसूरत रहेगा और इसमें कोई शक नहीं है कि इसने बॉलीवुड की फिल्मों और गानों पर ऐसी छाप छोड़ी है जिसे कभी भूला नहीं जा सकता।
बॉलीवुड की पहली साइंस फिक्शन फिल्म का नाम चांद पर चढ़ाई थी। 1967 की इस फिल्म में दारा सिंह ने एस्ट्रोनॉट की भूमिका निभाई थी। फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे आनंद नाम के एक शख्स के रोल में दिखे दारा सिंह अपने साथी भगवान के साथ चंद्रमा पर पहुंचते हैं और वहां इन दोनों को दूसरे ग्रहों से आए कई तरह के मॉन्स्टर्स से दो-चार होना पड़ता है।
फिल्म में रॉकेट लॉन्चिंग के सीन्स फिल्माए गए थे। इसमें हेलन, अनवर हुसैन, पद्मा खन्ना, भगवान दादा और सी रत्ना ने भी काम किया था। फिल्म के म्यूजिक को उषा खन्ना ने कंपोज किया था। इसके ज्यादातर गानों को लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी थी। कुछ गानों को मो. रफी और आशा भोसले ने भी गाया था।1933 की फिल्म कर्मा पहली भारतीय फिल्म थी, जिसमें एक्ट्रेस देविका रानी ने एक इंग्लिश गाना गाया था। ये गाना चांद थीम पर बना था जिसके बोल थे- नाउ द मून हर लाइट हैज शेड।बॉलीवुड के गीतकार गुलजार 50 के दशक से इस इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। फिल्म बंदनी का गाना ‘मेरा गोरा अंग लई ले’ उनका लिखा हुआ पहला गाना था, जिसमें उन्होंने चांद पर भी कुछ लाइन्स लिखी थीं। तब से अब तक उन्होंने 50 से अधिक गाने चांद पर लिखे हैं।
आशा भोसले ने एक इंटरव्यू में बताया था कि चांद ही वो सब्जेक्ट है जिसे आधार बना कर गुलजार साहब मास्टरपीस दे पाते हैं। एक बार खुद गुलजार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि इतने गानों की वजह से उन्हें चांद पर कापीराइट ले लेना चाहिए।
बॉलीवुड में चांद पर बने गानों की बात की जाए तो लेखकों ने चांद को गानों के जरिए कई तरह से परिभाषित किया है। चांद के जरिए लेखकों ने प्यार करने, तो कभी रूठे यार को मनाना सिखाया है। वहीं, चांद को लोरी के रूप में भी सुना गया है।सुशांत चांद पर जमीन खरीदने वाले पहले एक्टर, शाहरुख को फैन ने चांद पर जमीन गिफ्ट की
दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत को अंतरिक्ष से खास लगाव था। उन्होंने दावा किया था कि चंद्रमा के दूर क्षेत्र में जिसे मस्कोविएन्स ‘मस्कोवी का सागर’ कहा जाता है, वहां पर उन्होंने जमीन खरीदी है।
सुशांत ने ये जमीन इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री से खरीदी थी। जिसके बाद वो चांद पर जमीन खरीदने वाले पहले बॉलीवुड एक्टर बन गए थे। उन्होंने यह जमीन 25 जून 2018 को अपने नाम करवाई थी।
सुशांत के अलावा शाहरुख खान भी चांद के छोटे से टुकड़े के मालिक हैं। उन्हें एक फैन ने चांद पर एक छोटी जमीन गिफ्ट की थी।
इंटरनेट पर इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री, लूनर रिपब्लिक डॉटकॉम जैसी कपनियां हैं जो चांद पर जमीन बेचने का दावा करती हैं।
हालांकि, 1967 में भारत सहित 100 से अधिक देशों ने एक ट्रीटी साइन की थी, जिसके अनुसार अंतरिक्ष में मौजूद किसी भी चीज पर किसी भी देश का अधिकार नहीं होगा। मतलब चांद पर जो लोग जमीन खरीदने का दावा करते हैं, कानूनन उस जमीन पर उनका हक नहीं होता।