महाराष्ट्र में रविवार को बड़ा पॉलिटिकल उलटफेर हुआ। NCP नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार नेता प्रतिपक्ष से कुछ ही घंटों में डिप्टी सीएम बन गए। विपक्ष को छोड़ अजीत पवार NCP के 8 विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए। एक घंटे में हुए इस घटनाक्रम में शपथ लेकर अजित पवार डिप्टी सीएम बन गए। वहीं, उनके साथ आए 8 विधायकों छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, संजय बनसोड़े, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ को भी मंत्री बनाया गया।
2024 से पहले महाराष्ट्र में हुई उलटफेर से देश की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। NDA गठबंधन में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया यानि RPI(A) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले रविवार को लखनऊ में थे।
उन्होंने कहा, “आने वाले समय में यूपी-बिहार के कई दल बीजेपी में शामिल होंगे। RLD मुखिया जयंत चौधरी भी बीजेपी के साथ आएंगे। इसीलिए वह विपक्षी पार्टियों की बैठक में नहीं गए।” महाराष्ट्र में पॉलिटिकल उलटफेर की वजह क्या है? यूपी की राजनीति में क्या बदलाव हो सकता है? अठावले ने इन सारे सवालों के भी बेबाकी से जवाब दिए।
उन्होंने कहा, “आने वाले समय में यूपी-बिहार के कई दल बीजेपी में शामिल होंगे। RLD मुखिया जयंत चौधरी भी बीजेपी के साथ आएंगे। इसीलिए वह विपक्षी पार्टियों की बैठक में नहीं गए।” महाराष्ट्र में पॉलिटिकल उलटफेर की वजह क्या है? यूपी की राजनीति में क्या बदलाव हो सकता है? अठावले ने इन सारे सवालों के भी बेबाकी से जवाब दिए। पढ़िए बातचीत के अंश… अजित पवार ने क्रांतिकारी निर्णय लिया है। वह बहुत दिनों से नाराज थे। बीजेपी के साथ जाने के लिए सोच रहे थे। कई विधायकों के साथ वह सरकार में शामिल हुए हैं। अब वह बीजेपी के साथ हैं। लेकिन, बीजेपी ने उनको नहीं तोड़ा है। वह खुद आए हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी का साथ देने का निर्णय लिया है। देश, महाराष्ट्र के विकास के लिए ये निर्णय बहुत जरूरी है।बहुत जगह ऐसा ही होगा। यूपी-बिहार समेत कई राज्यों में हो सकता है। पीएम मोदी अच्छा काम कर रहे हैं। इतना विरोध करना ठीक नहीं है। ऐसी भावना रखने वाले बहुत सारे MLA और बहुत सारे नेता हैं। इसीलिए बहुत सारे विपक्षी दलों में भविष्य में फूट हो सकती है। बीजेपी उनको तोड़ रही है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। वह खुद टूटकर बीजेपी के साथ आ रहे हैं।
अजित पवार के बारे में भी लोग कहते थे कि ऐसा नहीं होगा, लेकिन हो गया। यूपी में भी ऐसा हो सकता है। क्योंकि, अखिलेश के साथ रहने से कोई फायदा नहीं है। विधायकों में ऐसी चर्चा भी है। क्योंकि, उनकी सत्ता जल्दी नहीं आएगी। जब तक मोदी और योगी हैं, तब तक अखिलेश को मौका नहीं मिलेगा। इसीलिए देश के विकास, एकता के लिए एनडीए के साथ आने की लोग सोच रहे हैं।
मायावती आज बीजेपी के साथ नहीं है। लेकिन, मायावती को तीन बार मुख्यमंत्री बनाने का काम बीजेपी ने ही किया था। तीनों बार बीजेपी ने बाहर से समर्थन देकर मायावती की सरकार बनवाई। चौथी बार मायावती अपने बलबूते पर सीएम बनीं। मायावती ने जो यूनिफॉर्म सिविल के बारे में बयान दिया है, अच्छी बात है। वह सपोर्ट करना चाहती हैं तो सपोर्ट करें। उनके जो सुझाव होंगे, उस पर सरकार विचार कर सकती है।
मुझे लगता है कि पीडीए फॉर्मूला बनाया गया है। दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्गों में से बहुत सारा निषाद समाज है। बीजेपी के साथ कुर्मी, राजभर, यादव समाज के लोग हैं। पिछड़े वर्गों में कम से कम 60, 70 से 80 % जो वोटर्स हैं, ये सभी बीजेपी के साथ आएंगे।
दलित समाज से भी मायावती का जनाधार कम हो रहा है। बहुत सारे कार्यकर्ता बसपा से टूटकर बीजेपी, आरपीआई, कांग्रेस और सपा में जा रहे हैं। इसलिए दलित वोट बहुत जगह पर बीजेपी को मिलता है। दलित पीएम मोदी के साथ हैं। अल्पसंख्यकों की बात करेंगे तो क्रिश्चन, सिख, जैन, लिंगायत मोदी के साथ हैं।
अठावले ने कहा कि एनडीए का सामना बच्चों का खेल नहीं है। हम ताकत से 2024 का चुनाव लड़ेंगे। यूपी में RPI बहुजन पार्टी भी चाहती है कि बीजेपी RPI को साथ रखे। अगर RPI को साथ में रखती है तो बीजेपी करे फायदा होगा। इसलिए मैं अमित शाह, जेपी नड्डा, बीएल संतोष इन लोगों से मुलाकात करने वाला हूं।
तीन तलाक पर केंद्र सरकार ने जो निर्णय लिया उससे मुस्लिम महिलाएं खुश हैं। वह भी बीजेपी को वोट देती हैं। पिछले इलेक्शन में 8% मुस्लिम वोट बीजेपी को मिला है। योगी आदित्यनाथ से मेरे संबंध बहुत अच्छे हैं। उनके साथ भी मेरी बातचीत हुई है। बहुजन पार्टी के साथ के बहुत सारे मुस्लिम आना चाहते हैं। बहुत सारे अल्पसंख्यक भी आना चाहते हैं। हम लोकसभा के लिए ट्राई करेंगे। अगर कुछ सीटें RPI के लिए छोड़ दी जाती है तो मायावती का बहुत सारा वोट RPI में डायवर्ट हो सकता है।