संसद ने आजीवन अयोग्यता वाला कानून बदला, नवाज फिर बन सकेंगे पाकिस्तान के PM

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री लंदन से मुल्क लौटकर न सिर्फ चुनाव लड़ सकेंगे, बल्कि जीतने पर फिर प्रधानमंत्री भी बन सकेंगे। पाकिस्तान की संसद ने ‘लाइफटाइम डिस्क्वॉलिफिकेशन’ को रद्द कर दिया है।
नए कानून के तहत किसी भी सांसद को अब 5 साल से ज्यादा के लिए अयोग्य करार नहीं दिया जा सकेगा। नए कानून का फायदा नवाज के साथ नई पार्टी इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी (IPP) के चीफ जहांगीर खान तरीन को भी मिलेगा।

IPP में ज्यादातर वही नेता हैं, जिन्होंने 9 मई की हिंसा के बाद इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) छोड़ी है। माना जा रहा है कि इस पार्टी को फौज ने ही तैयार कराया है, ताकि इमरान को सियासी तौर पर खत्म किया जा सके।
नवाज शरीफ को सियासी साजिश के तहत जून 2017 में कई मामलों में सजा सुनाई गई थी। इसी वक्त सुप्रीम कोर्ट ने उनके ताउम्र चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी। संविधान के अनुच्छेद 62 (1)(f) के तहत उन्हें बेईमान करार भी दिया गया।
संसद के अपर हाउस सीनेट में इस महीने की शुरुआत में अयोग्यता कानून को बदलने के लिए नया बिल पेश किया गया था। इसे यहां से पारित कर दिया गया। इसके बाद शनिवार को यही बिल निचले सदन नेशनल असेंबली में पेश किया गया। यहां रविवार को इसे पारित कर दिया गया।
नए बिल के मुताबिक किसी भी सांसद या विधायक को 5 साल से ज्यादा के लिए अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता। मान लीजिए अगर किसी सांसद या विधायक को 2023 में अयोग्य करार दिया जाता है तो वो ज्यादा से ज्यादा पांच साल यानी 2028 तक ही चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
नए कानून के लिहाज से नवाज और जहांगीर खान तरीन दोनों अब न सिर्फ चुनाव लड़ सकेंगे, बल्कि प्रधानमंत्री समेत मुल्क के किसी भी ओहदे पर काबिज हो सकेंगे। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी इस बिल को जल्द मंजूरी दे देंगे। हालांकि अगर वो ऐसा नहीं भी करते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि 20 दिन बाद यह बिल अपने-आप कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा।
नवाज शरीफ अब तक 3 बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में नवाज शरीफ को पनामा पेपर्स मामले में अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद वो कोई चुनाव भी नहीं लड़ सकते थे।
लाहौर हाईकोर्ट ने 2019 में नवाज को इलाज कराने के लिए चार हफ्ते के लिए विदेश जाने की इजाजत दी थी। 19 नवंबर, 2019 को नवाज लंदन गए थे और तब से वापस नहीं लौटे।
कोर्ट ने 2018 में नवाज को अल-अजीजिया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा एवनफील्ड प्रॉपर्टी मामले में उन्हें 11 साल की सजा सुनाई गई थी और 80 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था। 16 नवंबर 2019 को लाहौर हाईकोर्ट ने नवाज की सजा सस्पेंड करते हुए उन्हें इलाज के लिए विदेश जाने की इजाजत दी।
इमरान जब प्रधानमंत्री थे तब उनके रेल मंत्री शेख रशीद ने नवाज और उनके भाई शहबाज पर गंभीर आरोप लगाए थे। रशीद ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था- नवाज और उनके भाई स्पेशल प्लेन में कम से कम 82 बक्से लेकर लंदन गए थे। इनमें क्या था? इसकी जांच क्यों नहीं हुई? किसने इतना सामान लेकर जाने की इजाजत दी? नवाज की बेटी मरियम अब क्यों चुप हैं?
रशीद ने आगे कहा था- आज शरीफ को देश छोड़ने की मंजूरी मिली है, कल आसिफ अली जरदारी भी यही मांग करेंगे। तब आप उन्हें कैसे इनकार कर पाएंगे। बिलावल की बात न करें तो अच्छा होगा। मैं जानता हूं कि उनकी सच्चाई क्या है।
रशीद के मुताबिक अकेले शहबाज ने ही करीब 423 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का भ्रष्टाचार किया है। उनके पास 32 कंपनियों का मालिकाना हक है। नवाज ने खुद कम से कम 16 ऐसी कंपनियां बनाईं, जो सिर्फ कागज पर हैं।
जहांगीर खान तरीन और इमरान की यह तस्वीर 2016 की है। तब दोनों बहुत करीबी दोस्त थे। अब तरीन ने इमरान की पार्टी को तोड़ने में सबसे अहम किरदार निभाया है।
पाकिस्तान में एक नई और बड़ी सियासी पार्टी बन गई है। इसका नाम ‘इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी’ है। इस पार्टी की दो खास बातें हैं। पहली- 9 मई की हिंसा के बाद इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) छोड़ने वाले ज्यादातर नेता नई पार्टी में शामिल हैं। दूसरी- इस पार्टी को मुल्क के सबसे अमीर कारोबारियों में शुमार शुगर माफिया जहांगीर खान तरीन (JKT) ने बनाया है।
जहांगीर तरीन वो शख्स हैं, जिनका 2011 में इमरान की पार्टी खड़ी करने में सबसे अहम रोल था। बाद में इमरान ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। जहांगीर के पास दो प्राईवेट जेट भी हैं।
जहांगीर खान तरीन को पाकिस्तान में JKT के नाम से जाना जाता है। वो अरबों रुपए की कंपनियों के मालिक हैं। हालांकि, पाकिस्तान में ही एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो जहांगीर को शुगर माफिया बताता है।