ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद योगी सरकार ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के लिए कमर कस चुकी है। 35 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए बड़े पैमाने पर भूमि की आवश्यकता है, जिसको लेकर सरकार व्यापक स्तर पर तैयारियों में जुटी है। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश में अपने भूमि बैंक को दृढ़ता प्रदान करने और तीव्र औद्योगिक विकास की दिशा में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसआईडीए) ने बड़े कदम उठाए हैं।
प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए नोडल एजेंसी के तौर पर कार्य कर रही यूपीएसआईडीए ने विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए न सिर्फ अपने भूमि बैंक का विस्तार किया है, बल्कि अनुपयोगी, विवादित, दीवालिया घोषित और बंद पड़े भूखंडों का अधिग्रहण करने के लिए 4 सूत्रीय रणनीति भी बनाई है।
विभिन्न जिलों में ग्राम सभा भूमि का किया जा रहा अधिग्रहण: यूपीएसआईडीए औद्योगिक विकास के संवर्धन के लिए उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली 871 एकड़ से अधिक ग्राम सभा भूमि का अधिग्रहण करने में सफल रहा है। इसके अतिरिक्त 1300 एकड़ ग्राम सभा भूमि की भी पहचान की गई है और यूपीएसआईडीए सक्रिय रूप से विभिन्न जिलों में औद्योगिक विकास के लिए भूमि का अधिग्रहण करने के लिए प्रयासरत है।
भारत सरकार की अनुपयोगी भूमि का अधिग्रहण: यूपीएसआईडीए सक्रिय रूप से भारत सरकार के साथ बड़े भूखंडों का अधिग्रहण करने के लिए काम कर रहा है, जिसमें भारत सरकार के रुग्ण हो गए हैं या निष्क्रिय हो चुके हैं। प्रयागराज में बीपीसीएल की भूमि (लगभग 231 एकड़) और स्कूटर इंडिया की भूमि (लगभग 147 एकड़), यह दो उदाहरण हैं जिसमें यूपीएसआईडीए ने इस अभिनव पहल के अंतर्गत भारत सरकार के भूखंडों के अधिग्रहण का प्रयास किया है। यूपीएसआईडीए की यह रणनीति राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन की अवधारणा के अनुरूप है।
दीवालियापन और विवादित भूमि का न्यायालय की मदद से अधिग्रहण: यूपीएसआईडीए औद्योगिक विकास के लिए सक्रिय रूप से उन भूखंडों का अधिग्रहण करने के लिए प्रयासरत है जो दीवालियापन घोषित होने प्रक्रिया के या विधिक मुकदमेबाजी के परिणामस्वरूप फंसे हुए हों। कुशल विधिक पेशेवरों की सहायता और रणनीतिक योजना के माध्यम से यूपीएसआईडीए अपने उद्देश्यों के लिए महत्त्वपूर्ण भूखंडों को मुक्त करने में सक्षम रहा है, जैसे प्रतापगढ़ में ऑटो ट्रैक्टर लिमिटेड की भूमि (97 एकड़) और हाथरस में सलेमपुर (580 एकड़)। खराब या बंद पड़े भूखंडों का अधिग्रहणउत्तर प्रदेश सरकार के ऐसे उद्यमों के प्रमुख भूखंडों की पहचान करके ऐसे भूखंडों का अधिग्रहण करने का प्रयास करना जो या तो खराब स्थिति में हैं, या तो बंद हो चुके हैं या बंद होने वाले हैं। इस पहल के अंतर्गत उत्तर प्रदेश की वर्तमान में निष्क्रिय हो चुकी कताई मिलों, कपड़ा मिलों आदि जैसे उद्योगों के भूखंडों की पहचान की गई है।
निवेशकों की आवश्यकताओं की हो रही पूर्तियूपी: एसआईडीए उद्योग भागीदारों और निवेशकों के साथ सक्रिय रूप से कार्यरत है ताकि मौजूदा भूखंडों का उपयोग करके राज्य भर में नव नियोजित औद्योगिक क्षेत्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के लिए भूखंडों की व्यवस्था करना यूपीएसआईडीए की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है। ये समझौता ज्ञापन उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों, जिलों और यूपीएसआईडीए के क्षेत्रीय कार्यालयों को आच्छादित करते हैं। इन प्रतिबद्धताओं को नियोजित करके, यूपीएसआईडीए का उद्देश्य इन समझौतों के कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करते हुए तीव्र गति से पूरा भी करना है जिससे निवेशकों के लिए एक सहज अनुभव प्रदान किया जा सके।
उत्तर प्रदेश में “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” के संवर्धन के लिए यूपीएसआईडीए ने अपने भूमि बैंक का विस्तार करने के अलावा भी कई अन्य पहल की हैं। पिछले दो वर्षों की छोटी सी अवधि में यूपीएसआईडीए ने अपनी 32 सेवाओं को ऑनलाइन करने में उल्लेखनीय प्रगति की है, ताकि भू आवंटियों को परेशानी मुक्त समयबद्ध सेवा प्रदान किया जाना सुनिश्चित किया जा सके। एक स्वचालित और अवरोध मुक्त ई-गवर्नेस समाधान के माध्यम से भवन अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए अत्याधुनिक “ऑनलाइन बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम (ओबीपीएएस)” को अंगीकार किया गया है। इसके अतिरिक्त, “वन मैप जीआईएस पोर्टल” का अंगीकरण कार्य प्रक्रिया में है। यह एक सेंट्रलाइज्ड डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो आधारभूत संरचना, भूमि उपयोग, परिवहन नेटवर्क, प्रशासनिक सीमाओं और अन्य प्रासंगिक डेटा सहित व्यापक भू-स्थानिक जानकारी प्रदान करता है।