अमेरिका में सुमैया मुहित बंगाली स्टूडेंट एसोसिएशन के जरिए मॉक शादी कराती हैं

पारंपरिक भारतीय शादियां एक तरह से उत्सव होती हैं। हल्दी-मेहंदी की रस्में, बारात, दूल्हा-दुल्हन का तैयार होना, नाचना-गाना और खाना-पीना। अमेरिका की कोलंबिया, ऑरेगॉन, न्यूयॉर्क, टेक्सास, स्टैनफोर्ड, टोरंटो जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स को यही भारतीय शादी लुभा रही है। वहां स्टूडेंट्स अब मॉक (नकली) शादी आयोजित कर रहे हैं।
शेरवानी पहने दूल्हा बना स्टूडेंट सजी-धजी घोड़ी पर बारात लेकर निकलता है। स्टूडेंट्स बाराती बनकर शामिल होते हैं। ढोल पर नाचते हैं। सब दुल्हन के यहां पहुंचते हैं। चमकती ड्रेस और ज्वेलरी पहनी दुल्हन बनी स्टूडेंट आती है। दूल्हा-दुल्हन स्टेज पर बैठते हैं। सारी रस्में निभाई जाती हैं। स्टूडेंट्स एंजॉय करते हैं। खाते-पीते हैं और लौट जाते हैं।
पूरे उत्तरी अमेरिका में दक्षिण एिशयाई स्टूडेंट्स के बीच मॉक शादी का ट्रेंड बढ़ा है। दूल्हा-दुल्हन ऐसे स्टूडेंट्स होते हैं, जो कभी मिले भी नहीं होते। वे बस भूमिका निभा रहे होते हैं। कई बार अलग-अलग यूनिवर्सिटी के भी होते हैं।
ऐसी ही एक शादी में दूल्हा बने ऑरेगॉन यूनिवर्सिटी के नासिर को जब पता चला कि पाकिस्तान स्टूडेंट एसोसिएशन कोलंबिया यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर मॉक शादी कर रहा है तो वे दूल्हे के रूप में नामांकन के लिए पहुंच गए। उन्होंने कहा-लोग एक बार शादी करते हैं। मुझे तो प्रैक्टिस का मौका मिल रहा था। शादी में गोरे दोस्त भी शामिल थे। उन्हें रस्में समझ नहीं आ रही थीं, लेकिन वे उसी जोश से लुत्फ ले रहे थे। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की मॉक शादी में तो चार-चार दूल्हा-दुल्हन शामिल होते हैं।
न्यूयॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की सुमैया मुहित बंगाली स्टूडेंट एसोसिएशन के जरिए मॉक शादी कराती हैं। वे कहती हैं- शादी के लिए दूल्हा-दुल्हन एक महीने चले सिलेक्शन से चुने। इसमें भारत, पाक, नेपाल और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों के 500 स्टूडेंट्स शामिल हुए। एग्जीक्यूटिव ने सारी रस्मों के बारे में बताया। अब मॉक शादी से कैंपस से बाहर के एशियाई लोगों को भी जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
अमेरिका के कई कॉलेजों में अब मौक शादी सालाना जलसा बन गया है। वेस्टर्न कॉलेज कैंपस की एसो. प्रोफेसर डॉ. अपर्णा कपाड़िया कहती हैं, इसमें दक्षिण एिशया के विभिन्न क्षेत्रों के स्टूडेंट्स एक-दूजे की संस्कृति के बारे में जानते हैं। सकारात्मक या नकारात्मक दृष्टि से देखने की बजाय मैं इसे अमेरिका के कैंपस में दक्षिण एिशयाई समुदाय के दबदबे के रूप में देखती हूं।