विक्की कौशल और सारा अली खान स्टारर फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ 2 जून को रिलीज हो चुकी है। ये एक फैमिली ड्रामा फिल्म है, जिसे लक्ष्मण उतेकर ने निर्देशित किया है। ये पहली बार है जब विक्की- सारा बड़े पर्दे पर साथ दिखे हैं। अब निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने सारा और विक्की के चुने जाने से लेकर फिल्म मेकिंग के बारे में दैनिक भास्कर से बातचीत की।
फिल्म का आइडिया राइटर मैत्रेय बाजपेयी और रमीज खान के पास था। वे आइडिया मेरे पास 2021 में लेकर आए। फिर हमने मिलकर उस आइडिया को अच्छे से पकाया और कहानी लिखनी शुरू की। करीब छह महीने लिखने में लगा, उसके बाद शूटिंग शुरू हुई।
हमें कहानी में ऐसा टाउन चाहिए था, जो बिल्कुल छोटा भी न हो और दिल्ली-मुंबई जितना बड़ा भी न हो। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़िया हो। बतौर डायरेक्टर मुझे मध्यप्रदेश पसंद है। फिल्म ‘लुका छिपी’ को ग्वालियर में शूट किया था, इसलिए इंदौर में इस फिल्म को शूट किया।
हमने स्क्रिप्ट कंप्लीट किया, तब एक्टर चुनने की बारी आई। उस समय हमारी पहली और आखिरी च्वाइस सारा अली खान और विक्की कौशल ही थे। मैं काफी समय से विक्की के साथ काम करना चाहता था। पहले विक्की को कहानी सुनाई तो उन्हें बहुत पसंद आई। फिर सारा को सुनाया, उन्हें भी अच्छी लगी। वैसे कहानी लिखते हैं, तब भी कैरेक्टर को विजुलाइज करते हैं।
कैरेक्टर दिखेंगे कैसे, बिहेवियर कैसा होगा, लुक कैसा होगा और लुक में कौन फिट बैठेगा, जो एकदम परफेक्ट होगा। विक्की एक मिडिल क्लास इंसान दिखते हैं, ऐसा ही एक्टर हमें चाहिए था, जो कहानी के साथ जस्टिफाई करे। इसी तरह सारा में एक नटखटपन है। कैरेक्टर में उसी तरह नेचर हमें चाहिए था। उनसे पहले भी कई बार मिला था, इसलिए उनके स्वभाव से परिचित था। यहां बता दूं कि दोनों स्क्रिप्ट सुनते ही इमिजेटली ‘हां’ बोला था।
45 दिनों में शूटिंग और पोस्ट प्रोडक्शन में लगे छह महीने
फिल्म की शूटिंग इंदौर में एक्चुअल लोकेशन पर की गई, जबकि मुंबई में सेट लगाया गया था। फिल्म की ज्यादातर शूटिंग इंदौर और आसपास के शहर मांडू, महेश्वर सहित गलियों और रोड पर हुई है। उन गलियों के तो नाम याद नहीं आ रहे हैं, क्योंकि एक-डेढ़ साल पहले शूटिंग की गई थी। हां, इंदौर का पूरा फ्लेवर फिल्म में दिख रहा है। फिल्म में एक कोर्ट रूम का सीन है, जिसे इंदौर के एक कॉलेज में सेट करके शूट किया गया। फिल्म की शूटिंग कुल 45 दिन की गई। इंदौर में 25 दिन बाकी 20 दिन मुंबई में शूट किया। गाना और घर का इंटीरियर सेट मुंबई में सेट लगाकर फिल्माया गया। फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन में छह महीने लगे।
रियल लोकेशन पर शूट करने की चुनौती बहुत रही, क्योंकि पता होगा कि जब छोटे शहरों में शूट करने जाते हैं, तब हीरो-हीरोइन को देखने के लिए ढेर सारे स्थानीय लोग आते हैं। शूटिंग में रुकावट न आए, इसके लिए सिक्योरिटी रखनी पड़ती है। सारा और विक्की को देखने के लिए काफी भीड़ इकट्ठा होती थी। 300-400 लोग तो आराम से आते थे।
कई बार तो 700-800 से लेकर करीब हजार लोग तक भी आ जाते थे। सारा- विक्की के फैन सेट पर आते थे, तब सारा-सारा, विक्की-विक्की करने लगते थे। लेकिन इंदौर के लोग इतने प्यारे और समझदार हैं कि जब विक्की और सारा माइक पर बोलते थे कि प्लीज! हमें शूटिंग करने दीजिए। आप लोग शांत बैठ जाइए। फिर तो सब लोग शांत बैठ जाते थे और हमें आराम से शूटिंग करने देते थे। पूरा मामला काफी सपोर्टिव रहा।
सेट पर सारा और विक्की के बीच बहुत प्यारा और दोस्ती का माहौल होता था। दोनों बहुत अच्छे इंसान और बहुत अच्छे कलाकार हैं। दोनों बड़े अच्छे से सीन को समझते थे। हमने काफी वर्कशाप भी किए थे। सीन का जितना माहौल होता था, उसे दोनों आपस में क्रिएट करते थे। गानों और ट्रेलर में जो केमिस्ट्री दिख रही है, वह इसी तरह से दोनों के बीच हुई है।
दोनों की यह केमिस्ट्री फिल्म में भी दिखाई देगी। दोनों की दोस्ती भी है, इसलिए सेट पर बड़ा पॉजिटिव माहौल होता था।
कहानी मिडिल क्लास फैमिली की है। मिडिल क्लास फैमिली के लोग किस तरह से रहते हैं, किस तरह से पैसे बचाते हैं, किस तरह से कंजूस होते हैं। किस तरह का विहेवियर होता है। इन सारी बातों पर सारा और विक्की के साथ काफी काम किया। हम जब कोल्ड्रिंक पीने जाते हैं, तब हम दो जन होते हैं, तब दो कोल्ड्रिंक न लेकर एक में आधा-आधा पीते हैं। इंदौर में की अपनी खास बोली-भाषा और लहजा है, उसके अलावा पहनावा आदि छोटी-छोटी चीजों पर बारीकी से काम किया था, जो फिल्म में बखूबी दिखाई देगा। फिजिकल कोई तैयारी नहीं करनी पड़ी।
यह बहुत प्यारी, साफ-सुथरी और फैमिली ओरिएंटेड फिल्म है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के एक भी सीन में कोई कट नहीं किया। फिल्म बिना किसी कट के पास हो गई और इसे ‘यूए’ सर्टिफिकेट दिया गया है।