एशिया में सिंथेटिक ड्रग्स का काला कारोबार फिर से पनप गया है। कई देशों की प्रवर्तन एजेंसियों ने ड्रग माफिया पर सख्ती की है। इसी कारण संगठित ड्रग माफिया ने कार्रवाई से बचने के लिए तस्करी के नए रास्ते अपना लिए हैं। यह जानकारी ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की शुक्रवार को जारी अध्ययन रिपोर्ट से सामने आई है।
रिपोर्ट के प्रमुख जेरमी डगलस ने कहा, कोरोना के बाद बदले हालात में तस्करों ने खुद का मार्ग बदल दिया है। दशकों से अधिकांश क्षेत्रीय मेथ का उत्पादन गोल्डन ट्राइएंगल के जंगलों में हुआ है। ये वो क्षेत्र है जहां थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमाएं मिलती हैं। यहां के अपराध समूह तेजी से पश्चिमी समुद्री मार्गों की ओर रुख कर रहे हैं।
वे मध्य म्यांमार की बजाय अब सप्लाई को अंडमान सागर की तरफ ले जा रहे हैं। म्यांमार से मेथ और अन्य सिंथेटिक ड्रग्स की खेप पहले जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के मार्ग से भेजी जाती थी। अब इसके लिए नया रूट मिल गया है।
म्यांमार से दक्षिण एशिया में बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत में बड़ी मात्रा में मेथ पहुंचाया जा रहा है। म्यांमार का शान प्रांत सिंथेटिक ड्रग उत्पादन का केंद्र बना हुआ है। साथ ही अफीम उत्पादन का बड़ा क्षेत्र है। कंबोडिया में तो अफीम उगाने वालों, संगठित माफिया को संरक्षण मिलता है। कंबोडिया ड्रग्स तो बना ही रहा है। वहां उत्पादन, भंडारण के साथ ही प्रयोगशालाओं में नई ड्रग्स विकसित की जा रही है।
सिंथेटिक दवाओं पर UNODC के क्षेत्रीय समन्वयक इंशिक सिम ने कहा, “क्षेत्र में केटामाइन की स्थिति कई मायनों में 2010 के मध्य में मेथामफेटामाइन बाजार के विस्तार वाले दौर के स्तर पर पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में बीते साल हुई मेथ की जब्ती महामारी के पूर्व के स्तर से भी ज्यादा हो चुकी है।
जापान में कस्टम अधिकारियों ने पाया कि हवाई यात्रियों के जरिए मेथामफेटामाइन की तस्करी का गोरखधंधा तेज हुआ।
- भारत में ड्रग्स तस्करी तेजी से बढ़ती जा रही है। यह खुलासा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्योरे की जब्ती से होता है। 2021-22 में कोकीन जब्ती 310 किलोग्राम हो गई है, जो 2019-20 में सिर्फ 1.1 किलोग्राम ही थी। यानी 36 गुना।
- डीआरआई ने 2021-22 में 884.69 किलो मेथामफेटामाइन बरामद की। जो 2020-21 में 64.39 किलोग्राम थी। यानी 14 गुना वृद्धि ।
- 2021-22 में 3,410 किलो हेरोइन जब्त हुई। ये उससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 17 गुना ।