योगी 2.0 को 14 महीने पूरे हो चुके हैं। अगले 12 महीने बाद लोकसभा चुनाव होना है। योगी के मंत्रिमंडल में इस समय में 52 मंत्री हैं। विधायकों की संख्या के आधार पर 60 मंत्री बन सकते हैं। 30 मई से 30 जून तक चलने वाले जनसंपर्क महा-अभियान के बाद कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। इसमें मंत्रियों की परफॉर्मेंस चेक की जाएगी।
लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरण सेट करने के लिए कुछ नए चेहरों को भी मंत्रिमंडल में शामिल करना है। इसमें सबसे पहला चेहरा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह का है। वहीं, कुछ मंत्रियों के विभागों में कटौती के साथ ही उनको हटाया भी जा सकता है। इसमें सबसे पहला नाम धर्मवीर भारती का है।
रेस में सबसे आगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह हैं। पंकज सिंह नोएडा से दूसरी बार विधायक हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव 2022 में करीब 2 लाख वोटों से जीत हासिल की थी। वह पार्टी संगठन से लंबे समय से जुड़े हैं। इसके अलावा वह कभी भी विवादों में नहीं रहे हैं। इंडस्ट्रियल हब के तौर पर पहचान रखने वाले नोएडा से दो दशक से यूपी कैबिनेट में कोई विधायक शामिल नहीं रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि अबकी बार नोएडा से पंकज सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
हेट स्पीच मामले में सपा नेता आजम खान की विधायकी जाने के बाद रामपुर शहर सीट पर 5 दिसंबर 2022 को उपचुनाव हुए। इसमें भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने आजम के करीबी आसिम रजा को 25,703 वोटों से हरा दिया। इस जीत के साथ भाजपा ने आजम का सियासी किला ध्वस्त किया था। ऐसे में भाजपा रामपुर और पश्चिमी यूपी की सीटों पर पकड़ बना कर रखना चाहती है। ऐसे में भाजपा आकाश को हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में देख रही है।
शलभ मणि त्रिपाठी देवरिया सीट से पहली बार भाजपा के विधायक बने हैं। इससे पहले वह सीएम योगी के सलाहाकार और भाजपा के प्रवक्ता रह चुके हैं। शलभ मणि को सीएम योगी का करीबी माना जाता है। इसके अलावा शलभ की पूर्वांचल के ब्राह्मण बेल्ट में अच्छी पकड़ बन रही है। ऐसे में 2024 में पूर्वांचल के ब्राह्मणों को साधने के लिए शलभ को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
मंत्री एके शर्मा के पास वर्तमान में ऊर्जा और नगर विकास विभाग है। बिजली कर्मियों की 14 महीने में 2 हड़ताल हो चुकी है। हाल में बिजली कर्मियों ने 72 घंटे की हड़ताल की है। ऐसे में माना जा रहा है कि उनकी जिम्मेदारियां कम की जा सकती हैं। इसके अलावा योगी 2.0 में 58 मंत्रियों ने शपथ लिया था, तब ए के शर्मा को 2 विभाग सौंपा गया था। ऐसे में उनसे एक विभाग लेकर दूसरे को शिफ्ट किया जा सकता है।
मंत्री धर्मवीर प्रजापति के पास कारागार विभाग है। हाल में बरेली और चित्रकूट की जेल काफी चर्चा में रही। बरेली जेल में उमेश पाल की हत्या की प्लानिंग हुई थी, जबकि चित्रकूट जेल में अब्बास अंसारी से पत्नी निखत अंसारी अवैध रूप से मिलती थी। दोनों कांड में जेल कर्मियों की मिली भगत सामने आई है। चर्चा है कि सरकार इन कांडों से नाखुश है। इससे पहले विभागीय कार्य में गड़बड़ी के चलते शासन ने मंत्री के पीआरओ अनुराग और पीए को हटाया था। ऐसे में माना जा रहा है कि इन्हीं वजहों से उनको मंत्रिमंडल से हटाया जा सकता है।
मंत्री जितिन प्रसाद के पास वर्तमान में PWD विभाग है। विभाग को 27470 करोड़ रुपए विकास कार्यों के लिए मिला था। जबकि विभाग मात्र 7517 करोड़ ही खर्च कर सका। ऐसे उनकी परफॉर्मेंस को लेकर सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े हो रहे थे। ऐसे में माना जा रहा है कि उनका कद कम हो सकता है। दूसरी वजह यह है कि योगी सरकार जितिन प्रसाद को लोकसभा भेजने की तैयारी कर रही है।
इधर, लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने कमर कस ली है। अभी तक भाजपा गठबंधन के पास यूपी में 66 लोकसभा सांसद हैं। इन सभी मौजूदा सांसदों की स्कैनिंग भी की जा रही है। जिनके बारे में फीडबैक खराब मिल रहा है, उनका टिकट कट सकता है। उनकी जगह योगी सरकार के कुछ मंत्रियों को भी उम्मीदवार के तौर पर उतारा जा सकता है।
नगर निकाय चुनाव में सभी सांसदों के साथ ही मंत्रियों को भी अलग-अलग जिलों का प्रभार दिया गया था। अब जब नगर निकाय चुनाव का परिणाम घोषित हो चुका है, अब पार्टी भी देख रही है कि किस मंत्री ने कितना प्रयास किया। किसको कितनी सीट मिली। इसी के आधार पर ही मंत्रियों और सांसदों का टिकट काटा जाएगा।
इस मामले में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिशचंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि इसे बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। पार्टी में मंत्रियों के 8 सीट खाली है। अगर विस्तार होता भी है, तो इस बारे में पार्टी का नेतृत्व ही तय करता है कि किसे मंत्रिमंडल में शामिल करना है और किसे नहीं करना है।