एक्ट्रेस हिबा नवाब इन दिनों टीवी शो ‘वो तो है अलबेला’ में सयूरी चौधरी की भूमिका में नजर आ रही हैं। 26 साल की हिबा शो में आए लीप के बाद मां का किरदार निभा रही हैं। हाल ही में दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर चर्चा की।
मुझे पहले डाउट था कि मैं यह रोल कर पाऊंगी या नहीं? क्योंकि इससे पहले मैंने कभी मां की भूमिका निभाई नहीं थी। यह रोल एक्सेप्ट करना इतना आसान भी नहीं था। पर फिर सोचा कि सेट पर 80 लोग काम कर रहे हैं। उन सभी का अपना परिवार है। एक शो से सबका घर चलता है इसलिए शो के लिए जो अच्छा है, वह करना होगा। राजन जी, अच्छा शो बना रहे हैं। अगर उनका विजन कहता है कि मां का रोल प्ले करूं तो फिर मैं उस पर कोई सवाल नहीं उठा सकती
बहुत ज्यादा। वैसे तो मां के साथ मेरी कई यादें हैं पर एक हमेशा याद आती है। मेरा सातवां जन्मदिन था और घर में पार्टी चल रही थी। मेरी मां बड़ी शर्मीली किस्म की हैं पर उन्होंने मेरे लिए सबके सामने ‘एक छोटी-सी नन्हीं परी…’ गाना गाया। वह याद हमेशा मेरे दिल के करीब रहती है।
आई थिंक, आप सिर्फ अपने आर्ट पर ध्यान दे सकते हैं। शो बनाना एक आर्ट है। बाकी शो चलाना ऑडियंस के हाथ में होता है। अगर ऑडियंस शो को पसंद करेगी तभी चलेगा। मैंने कई बेहतरीन रोल निभाए हैं पर अंत में सब कुछ ऑडियंस पर ही निर्भर करता है।
शहीर शेख एक्टिंग के साथ-साथ डायरेक्शन भी कर चुके हैं। वो अपने को-स्टार को बहुत ज्यादा कंफर्ट फील करवाते हैं। मेरे अब तक के किसी भी को-एक्टर ने डायरेक्शन का एक्सपीरियंस नहीं था तो उस लिहाज से भी शहीर अलग हैं। चीजों को देखने का उनका नजरिया थोड़ा अलग है। हर किसी के साथ आपकी केमेस्ट्री बिल्ट करना आसान नहीं होता चूंकि शहीर काफी सुलझे हुए व्यक्ति हैं, इसलिए लोगों से काफी अलग हैं।
जिस दिन मुझे अच्छा किरदार मिल जाएगा उस दिन मैं फिल्म या वेब सीरीज में जरूर नजर आऊंगी। अभी तक मन मुताबिक कोई रोल मिला नहीं है। दूसरा मैं किसी भी तरह का बोल्ड कंटेंट नहीं करना चाहती।
सच कहूं तो अपने किरदार के अंदर 50 से 60 परसेंट मैं खुद होती हूं। अगर ऐसा नहीं करूंगी तो रिलेट नहीं कर पाऊंगी और ऑडियंस को भी नेचुरल नहीं लगेगा। मुझे जब भी कोई किरदार निभाने को मिलता है, तो ऐसा लगता है कि मैं खुद धीरे-धीरे उस किरदार की तरह बनती जाती हूं। मेरा एक्सपीरियंस कहता है कि कई बार एक एक्टर के दिमाग पर उसके किरदार काफी हावी हो जाते हैं। मैं जब ‘जीजा जी छत पर हैं’ शो कर रही थी। उस समय मैं एकदम इलायची की तरह बिहेव करने लग गई थी। मेरे ज्यादातर किरदारों के साथ ऐसा ही होता है।
उस समय मेरे साथ मेरी मम्मी होती हैं। वो मुझे हमेशा पॉजिटिव रखती हैं। लेकिन यह भी सच है कि उस समय बहुत टेंशन होती है क्योंकि हमारा प्रोफेशन ही ऐसा है। कुछ भी तय नहीं है। आज काम है और कल होगा या नहीं होगा, कुछ पता नहीं होता। मैंने जब काम करना शुरू किया था, तब एकदम यंग एज थी। उस समय लगता था कि चलो, कल कुछ नया हो जाएगा। लेकिन अब तो ऐसा लगता है कि यह डर और ज्यादा बढ़ा हो गया है। हालांकि मैं जानती हूं कि करियर कितना भी अच्छा हो जाए यह डर तो हमेशा ही रहेगा।