लखनऊ के संगीत नाट्य एकेडमी में शनिवार को मुशायर-कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। महफिल ए तहजीब ओ अदब और सुखंदान फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
शब्दों से सजे इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कई कवि और शायर शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंजर भोपाली और संचालन नदीम फर्रुख ने किया। इस दौरान सपा सरकार में पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप और पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएल पुनिया मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। उन्होंने कार्यक्रम में भाग ले रहे सभी शायरों-कवियों का सम्मान किया।
संचालक नदीम फर्रुख ने कहा- “इस कार्यक्रम से मोहब्बत का पैगाम फैलेगा। ये सम्मेलन-मुशायरा गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक है। उर्दू और हिंदी दोनों ही हिंदुस्तान की मीठी आवाजें हैं। आज इनके धुरंधर एक से बढ़कर एक कलाम आपको सामने पेश करेंगे।”
मशहूर शायर मंजर भोपाली ने भी सभी का स्वागत करते हुए कुछ शेर पेश किए। जिसके बाद नदीम फर्रुख ने कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की। सबसे पहले आदिल रशीद ने मंच संभाला। जब उन्होंने शेर ‘पहली मोहब्बत पहली मोहब्बत होती है। तू साथ नहीं तो तेरी तस्वीर साथ होती है’ सुनाया तो श्रोता वाह-वाह बोलने से खुद को रोक नहीं पाए।
राजीव राज ने अपनी कविता से लोगों का दिल जीता। उन्होंने कई शेर भी लोगों को सुनाए। मनीष शुक्ला ने जब अपना शहर ‘बात करने का हसीं तौर तरीका सीखा। हमने उर्दू के बहाने से सलीका सीखा’ पढ़ा तो तालियों की आवाज से ऑडिटोरियम गूंज उठा। साथ ही शकील आजमी, महशर आफरीदी, तारीक कमर, अज्म शाकिरी जैसे मशहूर शायरों ने भी महफिल में मौजूदगी दर्ज कराई।
सबा बलरामपुरी ने भी अपने शहर ‘ऐसा मुझे लगता है, गर्दिश में सितारे हैं’ से काफी तारीफ बटोरीं। इसके अलावा मुमताज नसीम, कमल हातवी ने भी कार्यक्रम में चार चांद लगाए। अंत में मशहूर हास्य कवि शंभू शिखर ने भी अपनी रचनाओं से लोगों का प्यार और तालियां हासिल करी।
कार्यक्रम में यासीर सिद्दीकी, अनीस खान वारसी , अब्दुल हलीम सिद्दीकी, परवेज अहमद, सैयद हारिस , आफाक अल्वी, डॉ रेहान फारूक, जुबैर अली, हर्षित मिश्रा, शाहबाज तालिब, अभिश्रेष्ठ तिवारी आदि मौजूद रहे।