पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी अब मुल्क से भाग नहीं सकेंगे। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) चेयरमैन इमरान का नाम ‘नो फ्लाय लिस्ट’ में शामिल कर लिया गया है। दूसरी तरफ, आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने गुरुवार को कहा- फौज के ठिकानों पर हमले करने वालों को न हम भूलेंगे और न उन्हें भूलने देंगे।
इमरान को 9 मई को अल कादिर ट्रस्ट केस में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद मुल्क में जबरदस्त हिंसा हुई थी। 8 लोग मारे गए थे। फौज के ठिकानों पर खान के समर्थकों ने हमले किए थे। जिन्ना हाउस तक जला दिया गया था।
इमरान के खिलाफ एंटी टेररिज्म एक्ट समेत करीब 140 मामले दर्ज हैं। 9 मई की हिंसा का मास्टरमाइंड भी फौज इमरान को ही मान रही है। इसके पहले उनके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं। यही वजह है कि खान-बुशरा समेत कुल 600 लोगों का नाम नो फ्लाय लिस्ट में शामिल किया गया है।
इमरान का नाम नो फ्लाय लिस्ट में शामिल किए जाने की जानकारी ‘पाकिस्तान डेली’ ने एक आला अफसर के हवाले से दी है। हालांकि कुछ दिन पहले कुछ और मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरफ इशारा किया गया था। पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है।
9 मई की हिंसा के बाद फौज और सरकार ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। इसके बाद इमरान के तमाम करीबी साथी उनका साथ और पार्टी छोड़ गए हैं। जो बचे हैं, वो या तो जेल में हैं या फिर विदेश भाग चुके हैं। 16 बड़े नेता इमरान की पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें शिरीन मजारी, आमिर मेहमूद कियानी, मलिक अमीन असलम, मेहमूद मौलवी, आफताब सिद्दीकी, फैयाज-उल-हसन चौहान, फवाद चौधरी और आमिर मीर शामिल हैं।
मीडिया से बातचीत में फैयाज-उल-हसन चौहान ने कहा- 9 मई को फौज के ठिकानों पर हमले हुए। पूरे मुल्क को हिंसा की आग में झोंक दिया गया। इसके लिए इमरान ने ही समर्थकों को ट्रेनिंग दी थी।
चौहान ने कहा- पिछले साल मई में मैंने खान को एक वीडियो मैसेज किया था। यह मैसेज अब तक कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों के पास मौजूद है। तब मैंने खान को सलाह दी थी कि वो सियासत में हिंसा लेकर न आएं। अगर ऐसा हुआ तो एक दिन फंस जाएंगे। खान को मेरी सलाह पसंद नहीं आई। आज हालात सबके सामने हैं।
चौहान ने आगे कहा- हमारे फौज से कुछ मामलों पर मतभेद हो सकते हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि हम फौज के ठिकानों पर ही हमला कर दें। जिन लोगों ने 9 मई को जिन्ना हाउस और आर्मी हेडक्वॉर्टर पर हमले किए, उन्हें इमरान ने ही ट्रेनिंग दी थी
9 मई के बाद सियासी हलकों में आशंका जताई जा रही है कि इमरान और PTI वर्कर्स का जो रवैया है, उसे देखते हुए इस पार्टी को बैन कर देना चाहिए। फौज के ठिकानों पर हमलों के बाद आर्मी चीफ ने साफ कहा था- इस हरकत के लिए जो भी जिम्मेदार हैं, चाहे वो कोई भी हों या कितने भी ताकतवर हों, उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और उनके केस भी फौजी अदालतों में चलेंगे।
इसके बाद, बुधवार को सरकार की तरफ से डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ सामने आए। कहा- हम PTI को बतौर पॉलिटिकल पार्टी बैन करने पर विचार कर रहे हैं। PTI वर्कर्स और इमरान ने जो किया है, वो पाकिस्तान के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ।
आसिफ ने कहा- तमाम लीगल ऑप्शंस देखे जा रहे हैं। कसूरवारों को ऐसी सजा मिलेगी, जो मिसाल बने। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर पहले ही यह बात साफ-साफ कह चुके हैं।
इमरान ने बुधवार रात यूट्यूब चैनल पर समर्थकों को संबोधित किया। मंगलवार को उन्होंने सरकार के साथ ही फौज पर तंज कसे थे। खान ने कहा था- हमने अब तक जबरिया निकाह के बारे में तो सुना था, अब तो जबरन तलाक पर मजबूर किया जा रहा था।
दरअसल, खान के कहने का मतलब यह था कि फौज और सरकार उनकी पार्टी के नेताओं को जेल में डालकर उन पर पार्टी छोड़ने का दबाव बना रही हैं। अब तक PTI के 16 बड़े नेता और हजारों समर्थक पार्टी छोड़ चुके हैं।
खान ने आगे कहा- मैं पाकिस्तान का सबसे पॉपुलर लीडर हूं। इसके बावजूद आर्मी चीफ नहीं चाहते कि मैं फिर से प्रधानमंत्री बनूं और मेरी पार्टी सत्ता में वापसी करे। आखिर क्यों? इसका जवाब क्यों नहीं दिया जाता, जबकि पाकिस्तान में तो जम्हूरियत यानी लोकतंत्र है। इमरान का दावा है कि हिंसा के दौरान सिक्योरिटी फोर्सेज ने फायरिंग की थी और इसमें उनके 40 समर्थक मारे गए थे।