हिजाब बैन का कर्नाटक इलेक्शन पर हुआ असर, ‘जो बच्चियां हिजाब पहनकर पढ़ना चाहती हैं, वो घर में हैं।

उडुपी के एक कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद, पहले पूरे कर्नाटक में फैला और सुप्रीम कोर्ट तक गया। इंटरनेशनल मीडिया में भी इसे कवरेज मिली। पर अब उडुपी के लोग ही इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते।
जिन 6 मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब बैन के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन लगाई, वे या उनके परिवार सामने नहीं आ रहे। कर्नाटक में 10 मई को वोटिंग है। BJP ने उडुपी विधानसभा सीट से हिंदूवादी नेता और हिजाब विवाद में एक्टिव रहे यशपाल सुवर्णा को टिकट दिया है। हालांकि उडुपी का माहौल देखकर नहीं लगता कि हिजाब पर बैन चुनावी मुद्दा बन पाएगा।

उडुपी के कुंडापुर में मुझे मोहम्मद जुल्फिकार मिले। उनकी बेटी ऐशत शिफा ने हिजाब बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे पिटीशन लगाई है, लेकिन जुल्फिकार कहते हैं, ‘बेटी के नाम से पिटीशन किसने लगाई, हमें नहीं पता।’ उडुपी के जिस प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में ये कंट्रोवर्सी हुई थी, वहां के प्रिंसिपल ने हिजाब के बारे में सवाल सुनते ही फोन रख दिया। कई बार कॉल लगाने पर भी रिसीव नहीं किया।

उडुपी में करीब 9% मुस्लिम आबादी है। यहां के लोग बताते हैं कि ‘पिटीशन लगाने वाली कुछ लड़कियां मेंगलुरु शिफ्ट हो गई हैं, बाकी अपने घर में हैं। वे किसी से बात नहीं करना चाहतीं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है।’

सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन लगाने वाली लड़कियों से मिलने मैं उडुपी से सटे कस्बे कुंडापुर पहुंचा। यहीं मोहम्मद जुल्फिकार मिले। उनकी बेटी ऐशत शिफा कुंडापुर के गवर्नमेंट प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में पढ़ती थीं
मोहम्मद जुल्फिकार ने बताया, ‘नकाब पहनने की वजह से बेटी को स्कूल से लौटाया गया, लेकिन हम कोर्ट नहीं गए। वो कोई दूसरे लोग हैं। हमारे गांव का ही एक आदमी है, वो बोला कि पिटीशन पर साइन कर दो, तो हमने कर दिए। मेंगलुरु से भी तीन आदमी आए थे। वो भी साइन करवाकर चले गए। एक इंग्लिश वाली मैडम भी आईं थीं। हमें इस बारे में कुछ नहीं मालूम।’

‘बेटी ने इस साल 11वीं पास की है। गांव की 6 लड़कियां हैं, जिन्होंने हिजाब बैन के बाद सरकारी कॉलेज छोड़ दिया और मुस्लिम मैनेजमेंट वाले कॉलेज में एडमिशन ले लिया। बच्चियां कई साल से हिजाब पहन रहीं थीं, लेकिन पिछले साल अचानक क्यों रोक लगी, पता नहीं।’
उडुपी में मुस्लिम संगठन के सेक्रेटरी मोहम्मद इदरीश मिले। इदरीश कहते हैं, ‘हिजाब पर विवाद के चलते कई लड़कियां प्राइवेट कॉलेजों में चली गईं, जहां हिजाब पहनकर आना मना नहीं है। सबसे ज्यादा नुकसान गरीब लड़कियों का हुआ। वे प्राइवेट कॉलेज की फीस नहीं भर सकतीं और सरकारी में हिजाब पहनकर जा नहीं सकतीं। ऐसे में उनकी पढ़ाई ही छूट गई।’
उडुपी के प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पर हुई कंट्रोवर्सी के बाद जिले के गवर्नमेंट प्री यूनिवर्सिटी कॉलेजों में मुस्लिम स्टूडेंट्स की संख्या 50% तक कम हो गई है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रो. के फनीराज कहते हैं, ‘हिजाब कंट्रोवर्सी का सीधा असर मुस्लिम लड़कियों की पढ़ाई पर दिख रहा है। हालांकि चुनाव पर इस मुद्दे का असर नहीं दिख रहा।’

सोशल एक्टिविस्ट हुमायरा खातून कहती हैं, ‘जो बच्चियां हिजाब पहनकर पढ़ना चाहती हैं, वो घर में हैं। कुछ ने कॉलेज बदल लिए और कुछ दूसरे राज्यों में चली गईं। ये इश्यू सिर्फ गवर्नमेंट नहीं, बल्कि प्राइवेट और डिग्री कॉलेज, सभी जगह है। ये पूरी तरह पॉलिटिकली मोटिवेटेड लगता है। ऐसा नहीं है कि हिजाब का विवाद पिछले साल पहली बार हुआ।’
मंदिरों का शहर कहे जाने वाले उडुपी में BJP ने इस बार 45 साल के यशपाल सुवर्णा को कैंडिडेट बनाया है। पार्टी ने उनके लिए तीन बार के विधायक रघुपति भट्ट का टिकट काट दिया। मोगावीरा कम्युनिटी से आने वाले यशपाल सुवर्णा के जरिए BJP हिंदुत्व की पॉलिटिक्स के साथ OBC को जोड़कर जीतना चाहती है।

पहली बार चुनाव लड़ रहे यशपाल बजरंग सेना और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हैं। गोरक्षा और लव जिहाद के मुद्दे उठाते रहे हैं। उन्होंने हिजाब पहनने वाली लड़कियों को आतंकवादी तक कह दिया था।
हालांकि अभी वो अपने पुराने बयानों पर कुछ नहीं कहना चाहते। प्रचार में जुटे यशपाल से मैंने पूछा कि विधायक बनने के बाद आपकी हिंदुत्व की राजनीति कैसी होगी? वे बोले, ‘मैं पहले हिंदू हूं, बाद में पार्टी कार्यकर्ता। हिंदू संगठन में कई साल से काम कर रहा हूं, पार्टी ने बाद में जिम्मेदारी दी।
मुस्लिम लड़कियों को आतंकी कहने के सवाल पर यशपाल बोले, ‘अभी ये मामला कोर्ट में है, इसलिए कुछ नहीं कहूंगा।’ यशपाल सुवर्णा गवर्नमेंट पीयू गर्ल्स कॉलेज की डेवलपमेंट कमेटी के वाइस प्रेसिडेंट हैं। उन्होंने कॉलेज में मुस्लिम स्टूडेंट्स की संख्या कम होने को गलत बताया, कहा- हमारे कॉलेज में तो संख्या कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ी है।
BJP के डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट सुरेश नायक कहते हैं, ‘ये मुस्लिम लड़कियों को तय करना है कि उन्हें हिजाब चाहिए या एजुकेशन। हिजाब को लेकर आप कॉलेज क्यों छोड़ते हो। क्लासरूम में जो यूनिफार्म है, वो पहनना नहीं है, कोर्ट का ऑर्डर फॉलो करना नहीं है, वही करते हो जो आपके धर्म में लिखा है। कर्नाटक में किसी भी कॉलेज में एडमिशन देने से मना नहीं किया गया है, बस नियम फॉलो करो।’
उडुपी से कुल 9 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने यहां से ऑटोमोबाइल कारोबारी प्रसादराज कंचन को टिकट दिया है। प्रसादराज उडुपी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रह चुके हैं। JD(S) ने दक्षत आर शेट्टी और AAP ने प्रभाकर पुजारी को कैंडिडेट बनाया है।
उडुपी कोस्टल कर्नाटक में आता है, जहां 19 सीटें हैं। 2013 में BJP को 19 में से सिर्फ 3 सीटें मिली थीं। 2018 में 16 सीटें BJP ने जीतीं। BJP की सरकार बनाने में दक्षिण कन्नड़, उडुपी और उत्तर कन्नड़ जिले का बड़ा रोल था। पार्टी यहां एंटी इनकम्बेंसी भी खत्म करने की कोशिश में है। उडुपी जिले की 5 सीटों में से BJP ने चार पर नए चेहरे उतारे हैं।
कांग्रेस BJP पर इस रीजन को हिंदुत्व की लैबोरेटरी बनाने के आरोप लगाती रही है। 2018 के चुनाव में BJP ने अपने फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ और अनंत हेगड़े से यहां प्रचार करवाया था। हिंदूवादी संगठन श्रीराम सेना का प्रभाव इसी इलाके में हैं।
BJP के डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट सुरेश नायक बताते हैं कि उडुपी में RSS का पुराना बेस है। देश में पहली बार नगर निगम का चुनाव BJP यहीं जीती थी, इसलिए फिलहाल यहां कोई हमारे संगठन को टक्कर देने की स्थिति में नहीं है।
कर्नाटक की 224 सीटों पर 10 मई को वोटिंग होगी। नतीजे 13 मई को आएंगे। यहां टीपू सुल्तान के अलावा राम मंदिर और अयोध्या भी मुद्दा है, पर ये अयोध्या दक्षिण की अपनी है।