जर्मनी ने बुधवार को एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम यूक्रेन को सौंप दिया। इसे तैनात भी कर दिया गया है। जर्मनी, अमेरिका और नाटो के इस कदम से रूस-यूक्रेन जंग काफी तेज हो सकती है। रूस ने पिछले दिनों इस तरफ इशारा भी किया था।
दूसरी तरफ, यूक्रेन के डिफेंस मिनिस्टर ने जर्मनी, अमेरिका और नाटो का शुक्रिया अदा किया। कहा- यूक्रेन का खूबसूरत आसमान अब पहले से बहुत ज्यादा महफूज हो जाएगा। यह बहुत अच्छी खबर है। अमेरिका ने हमसे जो वादा किया था, उसे निभाया भी है।
पैट्रियट मिसाइल सिस्टम हकीकत में अमेरिकी एयर डिफेंस प्रोडक्ट है। जर्मनी ने इसे अमेरिका से ही खरीदा था और अब इसकी एक यूनिट यूक्रेन को सौंप दी है। पश्चिमी देशों के इस कदम से रूस का बौखलाना बिल्कुल तय है। हालांकि, उसके पास अपना एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इसे पैट्रियट से ज्यादा बेहतर माना जाता है।
जर्मनी ने जनवरी में वादा किया था कि वो अमेरिका से बातचीत के बाद पैट्रियट की एक यूनिट यूक्रेन को देगा। अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट कमला हैरिस ने भी इसका भरोसा दिलाया था। इसके बाद इस सिस्टम की ऑपरेशनल ट्रेनिंग भी यूक्रेन के 100 सैनिकों को दी गई।रूस-यूक्रेन जंग में NATO का मेंबर पोलैंड पश्चिमी देशों और यूक्रेन के बीच एक अहम पॉइंट है। इसकी वजह यह है कि पश्चिमी देश पोलैंड के रास्ते ही यूक्रेन को सैन्य मदद भेज रहे हैं। अमेरिका ने यूक्रेन से सटे पोलैंड में 2 पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम पिछले साल ही तैनात कर दिए थे। रूस इससे काफी नाराज हुआ था।
तब कुछ एक्सपर्ट्स ने कहा था कि रूस किसी बहाने से पोलैंड पर भी हमला कर सकता है। हालांकि, जंग को एक साल से ज्यादा हो चुका है, लेकिन रूस ने पोलैंड के खिलाफ को मिलिट्री एक्शन नहीं लिया। इसकी वजह पोलैंड में तैनात अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल सिस्टम भी है।
पैट्रियट एडवांस्ड कैपेबिलिटी- 3 यानी PAC-3 मिसाइल दुनिया की सबसे बेहतरीन डिफेंस सिस्टम में से एक है।
यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू विमानों को पल भर में मार गिराने में सक्षम है। सभी मौसम में दागी जाने वाली इस मिसाइल का निर्माण लॉकहीड मॉर्टिन ने किया है।
पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम 100 किलोमीटर दूर दुश्मन की मिसाइल को ट्रैक कर इसे नष्ट कर सकता है। पैट्रियट को पहली बार 1982 में तैनात किया गया था। 2003 में ऑपरेशन इराक जंग में यह अमेरिकी सेना का हिस्सा थी।
1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान इस डिफेंस सिस्टम ने सोवियत दौर की कई स्कड रॉकेटों को हवा में मार गिराया था। ये रॉकेट सद्दाम हुसैन ने सऊदी अरब और इजराइल के लिए छोड़े थे।
UAE, कुवैत और सऊदी अरब भी पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही जर्मनी, ग्रीस, इजराइल और जापान में भी यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम मौजूद है।
अमेरिका के पास पैट्रियट मिसाइल सिस्टम है, जिसे बेहद ताकतवर माना जाता है, लेकिन कई पैमानों पर रूस का S-400 उससे भी बेहतर है। अब तो यह भारत के पास भी है।
पैट्रियट सिस्टम की तैनाती में 25 मिनट का समय लगता है वहीं, S-400 को 6 मिनट में ही तैनात किया जा सकता है। साथ ही लॉन्चिंग स्पीड के लिहाज से भी रूसी S-400 हर लिहाज से पैट्रियट पर भारी पड़ता है। पैट्रियट की लॉन्चिंग स्पीड 1.38 किलोमीटर/सेकंड है वहीं, S-400 की 4.8 किलोमीटर/सेकंड है। साथ ही S-400 पैट्रियट से काफी सस्ता भी है।
S-400 एक एयर डिफेंस सिस्टम है, यानी ये हवा के जरिए हो रहे अटैक को रोकता है। ये दुश्मन देशों के मिसाइल, ड्रोन, राकेट लॉन्चर और फाइटर जेट्स के हमले को रोकने में कारगर है। इसे रूस के एलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है और दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है। भारत और रूस के बीच S-400 की 5 यूनिट के लिए 2018 में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की डील हुई थी। चार यूनिट भार को मिल चुकी हैं
बेलारूस में रूस ने जंग शुरू होने के बाद से ही काफी ज्यादा सैन्य तैनाती कर रखी है। पोलैंड और बेलारूस की सीमा मिली हुई है। साथ ही दोनों देशों के बीच रिश्ते भी तनावपूर्ण रहे हैं। इस वजह से भी पोलैंड पर रूस के हमले का खतरा बना रहता है।
2020 में अलेक्जेंडर लुकाशेंको छठीं बार बेलारूस के राष्ट्रपति बने। हालांकि, उन पर चुनावों धांधली कर सत्ता में वापस आने के आरोप लगाए गए। पोलैंड ने लुकाशेंको के खिलाफ कई कड़े प्रतिबंध भी लगाए थे।
2021 में पोलैंड ने लुकाशेंको पर देश में माइग्रेंट क्राइसिस पैदा करने का आरोप भी लगाया। पोलैंड ने कहा था कि लुकाशेंको इसके जरिए अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों में ढील देने का सौदा करना चाहते थे।
पोलैंड ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से कहा था कि खतरे को देखते हुए इस क्षेत्र में NATO के और सैनिकों की तैनाती की जानी चाहिए। इसके बाद कमला हैरिस यहां पहुंचीं और इसके बाद पैट्रियट की यहां तैनाती हुई थी।
पोलैंड NATO यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन का सदस्य है। NATO यूरोप और उत्तरी अमेरिकी देशों का एक सैन्य और राजनीतिक गठबंधन है।
NATO की स्थापना के समय अमेरिका समेत 12 देश इसके सदस्य थे। अब 31 सदस्य देश हैं।
इस संगठन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी NATO देशों की हिफाजत करना है। NATO के आर्टिकल 5 के मुताबिक- इसके किसी भी सदस्य देश पर हमले को NATO के सभी देशों पर हमला माना जाएगा। ऐसे में रूस यदि पोलैंड पर हमला करता है तो इसे NATO पर हमला माना जाएगा। इसके चलते अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस समेत सभी NATO सदस्य देश इस युद्ध में शामिल होंगे। यूक्रेन भी नाटो में शामिल होना चाहता है, और रूस-यूक्रेन जंग की असली वजह भी यही है।