सुपरस्टार चियान विक्रम का आज 58वां बर्थडे है। तमिल फिल्म अपरिचित (2005) का मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से पीड़ित रामानुजम का कैरेक्टर शायद आप सभी को याद होगा। इस रोल को परफेक्ट तरीके से ढालने में विक्रम को 140 दिन लगे थे। सलमान खान की फिल्म तेरे नाम विक्रम की ही फिल्म सेतु की हिंदी रीमेक है, जिससे उन्हें सुपरस्टार का तमगा मिला था। फिल्म सेतु से पहले विक्रम ने लगातार 9 सालों में सिर्फ फ्लाॅप फिल्में ही दी थीं।
चियान विक्रम का फिल्मों में रुझान इसलिए था क्योंकि उनके पापा जॉन विक्टर फिल्मों में काम करते थे, लेकिन उन्हें कभी लीड रोल नसीब नहीं हुआ। साइड रोल करते हुए ही उन्होंने अपना जीवन गुजार दिया। यही वजह थी कि वो नहीं चाहते थे कि विक्रम फिल्मों में आएं।
स्कूल ड्रामा से शुरू हुआ विक्रम का एक्टिंग सफर स्टारडम और संघर्ष से भरा था। इसी सफर के बीच उनका एक भयानक एक्सीडेंट हो गया, जिसमें उनकी कई हड्डियां टूट गईं। हालत इतनी खराब थी कि डॉक्टरों ने पैर काटने की सलाह दी थी, लेकिन परिवार वालों ने मना कर दिया था। फिर 3 साल में उनके 23 ऑपरेशन हुए, जिसकी बदौलत वो आज अपने पैरों पर खड़े हैं। इलाज के दौरान ही उन्हें अपनी लाइफ पार्टनर शैलजा मिलीं, जो उनकी साइकोलॉजिस्ट थीं।
विक्रम का जन्म 17 अप्रैल 1966 को चेन्नई में एक क्रिश्चियन परिवार में हुआ था। उनके पिता जाॅन विक्टर क्रिश्चियन थे और मां हिंदू थीं। पिता एक्टिंग के लिए बहुत जुनूनी थे, लेकिन परिवार वाले सख्त खिलाफ थे। इसी वजह से जाॅन विक्टर एक्टिंग में करियर बनाने के लिए घर से भाग गए थे। हालांकि जिस कामयाबी की उम्मीद के साथ इस सफर की शुरुआत उन्होंने की थी, वो नसीब नहीं हुई।
उनका करियर सिर्फ तमिल सिनेमा की फिल्मों में छोटे रोल तक ही सीमित था। कई टीवी शो में भी वो नजर आए थे। वहीं विक्रम की मां सरकारी अधिकारी थीं।पिता के इसी जुनून का असर विक्रम पर भी पड़ा और इसी वजह से उन्होंने अपना नाम भी बदल दिया। उनका नाम पहले केनेडी था, जो कि विदेशी लगता था और उनके हिसाब से वो फिल्मों में भी नहीं जमता। इस वजह से उन्होंने अपना नाम विक्रम रख लिया। विक्रम का ‘वि’ उन्होंने अपने पिता के नाम विक्टर से लिया, ‘क’ खुद के नाम केनेडी से लिया और ‘र’ मां के नाम राजेश्वरी के नाम से लिया और ‘म’ उन्होंने अपने गोत्र मेष से लिया। इस पूरे नाम का अर्थ होता है, मनुष्य जो महान कार्य करता है।विक्रम की पढ़ाई बोर्डिंग स्कूल में हुई। उन्होंने बताया था कि स्कूल के दिनों से ही वो कराटे, घुड़सवारी और तैराकी के साथ-साथ थिएटर में भी भाग लिया करते थे। इन्हीं दिनों उन्हें नाटक डॉक्टर इन स्पाइट में काम करने का मौका मिला। पहले इसमें उन्हें बैकस्टेज कैरेक्टर मिला था। बाद में जिस लड़के का लीड रोल था, उसे चिकन पॉक्स हो गया, फिर लीड रोल में विक्रम को कास्ट कर लिया गया। इस एक्ट के बाद एक्टिंग के लिए उनका प्यार और भी बढ़ गया।
स्कूलिंग के बाद विक्रम फिल्मों में आना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने साफ मना कर दिया, क्योंकि उनका अनुभव फिल्म इंडस्ट्री में कुछ खास अच्छा नहीं था। उन्होंने कहा कि वो पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर लें, उसके बाद जो मन करे, वो करें।
पिता के कहने पर उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान विक्रम ने एक इंटर कॉलेज कॉम्पिटिशन के नाटक में पार्टिसिपेट किया था, जो IIT मद्रास में हुआ था। इसके लिए उन्हें बेस्ट एक्टर अवाॅर्ड मिला था, साथ ही लोगों ने उनके काम को स्टैंडिंग ओवेशन से सराहा।
इस स्टैंडिंग ओवेशन से उन्हें लगा कि जब इस स्टेज पर उनके काम को सराहना मिल रही है, तो बतौर एक्टर भी लोगों का उन्हें बहुत प्यार मिलेगा। फिर उन्होंने ठान लिया कि वो एक्टर ही बनेंगे।
इस जीत की खुशी को विक्रम अपने दोस्तों के साथ मनाने के बाद बाइक से घर लौट रहे थे। तभी अचानक एक ट्रक ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी और वो दूर जा गिरे। इस हादसे में वो बुरी तरह से घायल हो गए थे। दाहिने घुटने की हड्डियां पूरी तरह से टूट गई थीं। खराब हालत की वजह से डॉक्टरों ने पैर काटने की सलाह दी थी, लेकिन उनकी मां ने मना कर दिया था।
ये समय उनकी लाइफ का सबसे खराब समय था। वो 3 साल तक बेड पर रहे, इसी बीच उनकी 23 सर्जरी हुई, जिससे उनका पैर सही हो गया। हालांकि सर्जरी के बाद भी वो कई दिनों तक ठीक से चल नहीं पा रहे थे, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और इस बुरे वक्त से खुद को बाहर निकाला।जब विक्रम का एक्सीडेंट हुआ था, तब हालत में थोड़े सुधार के बाद परिवार वाले एक दिन उन्हें चर्च लेकर गए थे। वहां पर उनकी मुलाकात शैलजा बालकृष्णन से हुई थी। उन दिनों शैलजा साइकोलॉजिस्ट के तौर पर काम कर रही थीं और विक्रम की देखभाल के लिए उन्हें रखा गया था।
इलाज के दौरान शैलजा के प्यार और समर्पण की वजह से विक्रम उन्हें पसंद करने लगे। समय के साथ शैलेजा को भी उनसे प्यार और 1992 में केरल के गुरुवयूर मंदिर में दोनों ने शादी कर ली। शादी के एक साल बाद 1993 में उनकी बेटी अक्षिता का जन्म हुआ और 1995 में बेटे ध्रुव विक्रम का जन्म हुआ।
इस हादसे से उबरने के बाद विक्रम ने मॉडलिंग करने का फैसला किया। उन्हें लगा कि मॉडलिंग ही ऐसा जरिया है जिससे वो एक्टर बनने का सफर तय कर सकते हैं। कई मॉडलिंग प्रोजेक्ट्स में काम करने के बाद उन्हें टीवी शो गलट कुदुंबम में काम करने का मौका मिला।
फिर कड़ी मेहनत के बाद उन्हें फीचर फिल्म एन कादल कनमणी मिली, जो 1990 में रिलीज हुई थी। ये लव स्टोरी बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हो गई। दूसरी तमिल फिल्म से भी उन्हें नाकामयाबी ही मिली। इसके बाद उन्होंने खुद को तमिल फिल्मों से अलग कर लिया। तेलुगु और मलयालम फिल्मों में काम करने लगे। यहां पर उन्होंने कई फिल्मों में सपोर्टिंग किरदार निभाए।
तेलुगु और मलयालम फिल्मों से विक्रम का खाने-पीने का खर्च निकल जाता था, लेकिन वो कामयाबी अभी भी दूर थी, जिसकी उनको तलाश थी। साइड रोल के अलावा उन्होंने कई फिल्मों के लिए डबिंग भी की। जिन फिल्मों में उन्होंने लीड रोल किया, वो लगभग सभी फ्लॉप रहीं। ये सिलसिला 1999 तक यानी 9 साल तक चलता गया। फिर रिलीज हुई फिल्म सेतु, जिसने विक्रम को रातों-रात सुपरस्टार बना दिया।
इस फिल्म के बनने का किस्सा भी बहुत दिलचस्प है। फिल्म की कहानी डायरेक्टर बाला ने लिखी थी, जिसमें कॉलेज के एक दबंग लड़के को एक मामूली लड़की से प्यार हो जाता है। फिल्म के क्लाईमैक्स में लड़की का साथ उस लड़के को नहीं मिलता है, जिस वजह से वो लड़का पागल हो जाता है। इस कहानी पर फिल्म बनाने के लिए बाला ने कई एक्टर्स को अप्रोच किया था, लेकिन कोई भी ऐसी डार्क स्टोरी पर बनी फिल्म में काम नहीं करना चाहता था।
जब इस कहानी को विक्रम ने सुना तो उन्होंने काम करने के लिए हामी भर दी। फिल्म की शूटिंग जब शुरू हुई, तभी तमिल सिनेमा में हड़ताल हो गई, जिस वजह से शूटिंग 3 महीने रोकनी पड़ी, बाद में कुछ दूसरी वजहों से फिल्म की शूटिंग एक साल तक के लिए रोक दी गई।
इस फिल्म के लुक को तैयार करने में विक्रम ने अपना वजन 21 किलो घटा लिया। शूटिंग की डेट बढ़ने के बाद भी वो दूसरी फिल्म में काम नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि लुक की कंटिन्यूनिटी खराब हो जाती। आखिरकार 2 साल बाद फिल्म की शूटिंग पूरी हुई, लेकिन इसके बाद भी कोई डिस्ट्रीब्यूटर इस फिल्म को खरीदना नहीं चाहता था। वजह ये थी कि कोई भी फिल्म के लास्ट सीन में एक्टर की ऐसी खराब हालत दिखाने का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। थक हार कर मेकर्स को खुद ही फिल्म को रिलीज करना पड़ा।रिलीज के बाद के शुरुआती दिनों में फिल्म देखने के लिए कोई नहीं आता था। पूरा थिएटर खाली पड़ा रहता था। एक दिन फिल्म देखने के लिए विक्रम भी चले गए, लेकिन लगभग खाली थिएटर देखकर वो बहुत निराश हुए। उन्हें लगा कि ये फिल्म भी फ्लॉप लिस्ट में शामिल हो जाएगी, लेकिन धीरे-धीरे माउथ पब्लिसिटी के बदौलत इस फिल्म के दर्शक बढ़ते गए और 100 दिनों तक ये फिल्म सिनेमा हाॅल में लगी रही। सेतु को बेस्ट फीचर का नेशनल अवाॅर्ड भी मिला था।
विक्रम का हमेशा से डायरेक्टर मणिरत्नम की फिल्मों में काम करने का सपना था। उनका ये सपना फिल्म रावणन से पूरा हुआ था और इसी के हिंदी रीमेक रावण से उन्होंने बाॅलीवुड डेब्यू किया था। फिल्म रावणन में उन्होंने लीड रोल निभाया था और रावण में उन्होंने पुलिस ऑफिसर का रोल प्ले किया था।
फिल्म रावण में लीड रोल में अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राॅय थीं। खास बात ये है कि दोनों ही फिल्मों की शूटिंग एक ही समय पर हुई थी। इस वजह से अलग-अलग रोल में स्विच करने में विक्रम को बहुत परेशान होती थी, लेकिन उन्होंने अपना काम बखूबी पूरा किया।
विक्रम तमिल फिल्म इंडस्ट्री के तीसरे एक्टर हैं, जिन्हें नेशनल फिल्म अवाॅर्ड से नवाजा गया है। साथ ही वो 7 साउथ फिल्मफेयर अवाॅर्ड भी जीत चुके हैं, जिसमें से 5 उन्हें बेस्ट एक्टर के लिए मिला था।
पिछले साल ये खबर सामने आई थी कि विक्रम को हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया। इस खबर के सामने आते ही उनके फैंस चिंता में पड़ गए थे। हालांकि बाद में उनके बेटे ध्रुव और उन्होंने इस खबर को गलत बताया था। बेटे ने पोस्ट शेयर कर कहा था कि विक्रम के सीने में थोड़ी तकलीफ थी, जिस वजह से उन्हें अस्पताल लाया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विक्रम की कुल नेटवर्थ करीब 148 करोड़ रुपए है। वहीं एक फिल्म के लिए वो 10-12 करोड़ रुपए फीस चार्ज करते हैं। ब्रांड एडोर्समेंट के लिए वो 1.5 करोड़ फीस वसूलते हैं।
इस साल विक्रम पोन्नियन सेलवन पार्ट 2 में नजर आएंगे, जिसे मणिरत्नम ने डायरेक्टर किया है। ये फिल्म 28 अप्रैल को रिलीज होगी। साथ ही आर.एम विमल के डायरेक्शन में बनी फिल्म सूर्यपुत्र महावीर कर्ण में भी वो नजर आएंगे, जो 1 अक्टूबर को रिलीज होगी।