देश का संविधान चाहे कितना भी बेहतर क्यों न हो यदि उसको बेहतर ढंग से न चलाया जाए और उसका पालन करने वाले लोग सही नहीं है तो वह गलत पथ पर अग्रसर हो जाता है। ऐसे में संविधान का पालन कराने वाले सही लोगों की जरूरत है। ये बातें शुक्रवार को बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के मौके पर अटल बिहारी वाजपेई सभागार में मुख्य अतिथि सिक्किम राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कहीं।
उन्होंने अंबेडकर के सामाजिक लोकतंत्र के सपने को सामने रखते हुए कहा कि यह तभी संभव है जब स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की भावना आम जन मानस में शामिल हो जाए। यह कार्यक्रम कुलपति डॉ संजय सिंह की अध्यक्षता में आयोजि हुआ। कार्यक्रम में मंच पर कुलाधिपति बाबासाहेब अंबेडकर विवि डॉ प्रकाश बरतुनिया, विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जाति आयोग विजय सांपला और मुख्य वक्ता भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे की गरिमामयी उपस्थिति में अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद दीप प्रज्ज्वलित करके इस समारोह का शुभारंभ किया। इस दौरान प्रेक्षागृह में विश्वविद्यालय संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान से सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गयाविश्वविद्यालय के विद्यार्थियों तथा लोकगायकों ने सांस्कृतिया कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
मुख्य वक्ता डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि बाबासाहेब ने भारतीय समाज के लिए जो किया उसके लिए हम सभी को उनका कृतज्ञ होना चाहिए। वे उच्चकोटि के तत्व चिंतक, अर्थशास्त्री, समाज चिंतक, समाज विचारक एवं समाज सुधारक थे। वे राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा के लिए प्रतिबद्ध थे, इसलिए वे सत्य के रास्ते पर चले
अंबेडकर का वैज्ञानिक दृष्टिकोण और राष्ट्र निर्माण में सुधार के अप्रकाशित पहलू विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी भीमराव अंबेडकर की 132 वीं जयंती और विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की गई। मंच पर पूर्व आईएएस अधिकारी बाबूराम समेत लखनऊ विवि से प्रोफेसर कालीचरण सनेही, उप सचिव इंडियन साइंस राइटर एसोसिएशन तारिक बदर, प्रो. प्रीति सक्सेना रहे।